बजट 2024: पुरानी पेंशन योजना, 8वें वेतन आयोग, GST और सार्वभौमिक पेंशन योजना को लेकर सड़क पर कर्मचारी

  • यूनियन नेताओं ने कहा-जनादेश से सबक सीखे मोदी सरकार।
  • वित्त मंत्री के बजट पूर्व किये गये विचार-विमर्श के अनुरूप सार्वभौमिक पेंशन योजना लागू करें।
  • सरकारी क्षेत्र में नई भर्ती आरंभ करने, मनरेगा के तहत 200 दिनों का काम सुनिश्चित करने की मांग।

सूचनाजी न्यूज, रायपुर। केंद्रीय बजट (Union Budget) लोकसभा (Loksabha) में पेश हो चुका है, लेकिन इस पर गुस्सा अब भी शांत नहीं हुआ है। ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच द्वारा मोदी सरकार के बजट को जन विरोधी व संकुचनकारी निरूपित करते हुए आज 9 अगस्त को देश भर में विरोध प्रदर्शन किया।

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राजधानी रायपुर के अंबेडकर चौक (Ambedkar Chowk of capital Raipur) में आज संध्या सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (Centre of Indian Trade Unions), संयुक्त ट्रेड यूनियन कौंसिल (oint Trade Union Council), सेंट्रल ज़ोन इंश्योरेंस एम्पलाइज एसोसिएशन (Central Zone Insurance Employees Association), रायपुर डिवीजन इंश्योरेंस एम्पलाइज यूनियन (Raipur Division Insurance Employees Union), सेल्स प्रमोशन रिप्रेजेंटेटिव यूनियन (Sales Promotion Representative Union), पोस्टल यूनियन (Postal Union),बी एस एन एल एम्पलाइज यूनियन (BSNL Employees Union) से जुड़े सदस्यों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

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इस अवसर पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए सीजेड आईईए के महासचिव धर्मराज महापात्र ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार (Modi Govt) ने लोकसभा चुनाव के परिणामों से कोई सबक नहीं लिया है और कार्पोरेट घरानों के हितों को आगे बढ़ाने की अपनी नीति को जारी रखा।

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उन्होंने इस बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य, फसल बीमा, कृषि सब्सिडी, खाद्य व ईंधन सब्सिडी, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन विकास, श्रम कल्याण कोष, ग्रामीण विकास निधि जैसे बुनियादी क्षेत्रों में बजटीय आबंटन में कटौती का तीखा विरोध किया।

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बीमा प्रिमियमों से जीएसटी हटाने की मांग

उन्होंने कहा कि इस बजट में बीमा प्रिमियमों से जीएसटी (GST) हटाने, किसानों को एमएसपी की गारंटी देने, पुरानी पेंशन योजना बहाल किए जाने तथा 8वां वेतन आयोग गठित किये जाने की लोकप्रिय माँगों पर कोई प्रावधान नहीं किया गया है।

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सार्वजनिक कोष, निजीकरण व ईपीएफ

दूसरी ओर यह बजट विदेशी कार्पोरेट घरानों के लिए टैक्स में छूट बढ़ाने के साथ ही सार्वजनिक कोष का उपयोग निजीकरण व ईपीएफ (EPF) की आड़ में कार्पोरेट घरानों के लाभ के लिए किया जा रहा है। इस बजट से बेरोजगारी व महंगाई बढ़ेगी।

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चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने की मांग

सभा में संयुक्त ट्रेड यूनियन काउंसिल (Joint Trade Union Council) के सचिव एस सी भट्टाचार्य ने मांग की कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ वित्त मंत्री के बजट पूर्व किये गये विचार-विमर्श के अनुरूप सार्वभौमिक पेंशन योजना लागू करने, सरकारी क्षेत्र में नई भर्ती आरंभ करने, मनरेगा के तहत 200 दिनों का काम सुनिश्चित करने, चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने, 26000 रुपये प्रतिमाह न्यूनतम वेतन प्रदान करने, सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण पर रोक लगाने, योजना कर्मियों को नियमित करने जैसे मुद्दों पर यह बजट मौन है।

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बजट से पूंजीपतियों व कार्पोरेट घरानों को छूट

कुल मिलाकर यह बजट पूंजीपतियों व कार्पोरेट घरानों को छूट व आम जनता की लूट वाला बजट है। देश की मेहनतकश जनता इस जनविरोधी बजट का जबर्दस्त विरोध कर रही है।

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विरोध प्रदर्शन में ये रहे शामिल

प्रदर्शन में राजेश पराते, सुरेंद्र शर्मा, संदीप सोनी, करण सोनकर, मारुति डोंगरे, अजय कन्नौजे, ज्योति पाटिल, अनुसुइया ठाकुर, गजेंद्र पटेल , ऋषि मिश्रा, ललित वर्मा, डी सी पटेल, सुभाष साहू, निसार अली, साजिद रजा, मसूद अंसारी, मयंक लौतरे, हर्षवर्धन शर्मा, पंचू यादव, आरिफ दगिया, नश्कर , राजेंद्र सिंह ठाकुर प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

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विश्व आदिवासी दिवस व अगस्त क्रांति दिवस

सभा के अंत में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस व अगस्त क्रांति दिवस के महत्व को निरूपित करते हुए इन दोनों अवसरों पर जारी विभिन्न आयोजनों के साथ एकजुटता व्यक्त की गई।

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