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तलाशी सीएमजे विश्वविद्यालय और सीएमजे फाउंडेशन के कार्यालयों और नई दिल्ली और शिलांग में कुलाधिपति चंद्र मोहन झा के आवासों में भी की गई है।
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कुल पीओसी 83.52 करोड़ रुपये आंकी गई है, जिसमें से ईडी पहले ही 48.76 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर चुका है।
सूचनाजी न्यूज, मेघालय। देश के नामी यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति (Chancellor) ईडी के शिकंजे में फंस गए हैं। फर्जीवाड़ा के केस में ईडी ने बड़ी कार्रवाई की है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) गुवाहाटी आंचलिक कार्यालय ने मेसर्स सीएमजे विश्वविद्यालय शिलांग, मेघालय (CMJ University Shillong Meghalaya) और इसके कुलाधिपति (Chancellor) चंद्र मोहन झा, उनके परिवार के सदस्यों और अन्य के खिलाफ फ्रॉड डिग्री प्रमाण पत्र मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत तलाशी अभियान चलाया है।
ये तलाशी सीएमजे विश्वविद्यालय और सीएमजे फाउंडेशन के कार्यालयों और नई दिल्ली और शिलांग में कुलाधिपति चंद्र मोहन झा के आवासों में भी की गई है।
कई शिकायतों के आधार पर, मेघालय के राज्यपाल, जो सीएमजे विश्वविद्यालय के विजिटर थे, ने राज्य सरकार को वर्ष 2013 में सीएमजे विश्वविद्यालय को भंग करने का निर्देश दिया था और 2021 में मेघालय उच्च न्यायालय ने भी विघटन को बरकरार रखा था।
ईडी ने मेघालय पुलिस द्वारा आईपीसी, 1860 के तहत मेसर्स सीएमजे विश्वविद्यालय, शिलांग, मेघालय, इसके कुलाधिपति चंद्र मोहन झा, उनके परिवार के सदस्यों, जो मेसर्स सीएमजे फाउंडेशन के ट्रस्टी भी थे।
अन्य व्यक्तियों के खिलाफ पैसे के बदले फर्जी डिग्री प्रमाण पत्र देकर हजारों छात्रों को धोखा देने के आरोप में दर्ज एफआईआर और चार्जशीट के आधार पर जांच शुरू की। मेसर्स सीएमजे विश्वविद्यालय द्वारा अत्यधिक संदिग्ध साख वाले अपने छोटे संकाय के बावजूद लगभग 20570 फर्जी डिग्रियां प्रदान की गईं।
ईडी की जांच में पता चला है कि फर्जी डिग्रियां बेचने के बाद, उनके बैंक खातों में प्राप्त धन को झा परिवार के सदस्यों द्वारा बनाए गए फिक्स्ड डिपॉजिट/बैंक बैलेंस, म्यूचुअल फंड और जीवन बीमा पॉलिसियों के रूप में विभिन्न बैंकों में बैंक खातों में घुमाने के बाद डायवर्ट किया गया और वास्तविक लेनदेन का रंग दिया गया। अपराध की आय (पीओसी) को भी भू-संपत्तियों में निवेश किया गया था।
आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य पाए गए
वर्तमान तलाशी के दौरान, कई आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य पाए गए और उन्हें जब्त कर लिया गया। जब्त डिजिटल साक्ष्यों से पता चला है कि वर्ष 2012, 2013 आदि से संबंधित फर्जी डिग्रियां अभी भी सीएमजे विश्वविद्यालय द्वारा भारी कीमतों पर बेची जा रही थीं।
बैंक खातों में पाए गए 1.53 करोड़
विश्वविद्यालय भी उचित रिकॉर्ड के बिनाहीकंकालीय बुनियादी ढांचे के साथ चल रहा था। इसके अलावा, पीएमएलए के तहत तलाशी के दौरान बैंक खातों में पाए गए 1.53 करोड़ रुपये के पीओसी को फ्रीज करने के आदेश दिए गए हैं।
कुल पीओसी 83.52 करोड़ रुपये आंकी गई है, जिसमें से ईडी पहले ही 48.76 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर चुका है। इस मामले में एक अभियोजन शिकायत विशेष न्यायालय (पीएमएलए), शिलांग में पहले ही दायर की जा चुकी है। आगे की जांच जारी है।