ट्रायल के पश्चात न्यायालय ने आरोपियों को दोषी ठहराया एवं तदनुसार उन्हें सजा सुनाई।
सूचनाजी न्यूज, पंजाब। पुलिस अधिकारी भी सीबीआई के हत्थे चढ़ गए हैं। सीबीआई अदालत ने मोहाली पुलिस स्टेशन की हिरासत से एक व्यक्ति को जबरन हिरासत में लेने के मामले में पंजाब पुलिस के तत्कालीन आईजीपी, एक आईडीईएस अधिकारी एवं 4 निजी व्यक्तियों सहित 6 आरोपियों को 8 महीने की कारावास के साथ जुर्माने की सजा सुनाई।
सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, पंजाब, मोहाली ने गौतम चीमा-आईपीएस, तत्कालीन आईजीपी, पंजाब पुलिस, अजय चौधरी, आईडीईएस एवं 04 निजी व्यक्तियों यथा वरुण उतरेजा (तत्कालीन अधिवक्ता), रश्मि नेगी, विक्की वर्मा एवं आर्यन सिंह सहित छह आरोपियों को फेज-I पुलिस स्टेशन, मोहाली (पंजाब) की वैध हिरासत से एक व्यक्ति को जबरन हिरासत में लेने के एक मामले में 8 महीने की कारावास के साथ कुल 39,000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
सीबीआई ने उच्च न्यायालय के 04.03.2020 के आदेश, के अनुपालन में तत्काल मामला दर्ज किया था, जिसमें पूर्व में फेज- I पुलिस स्टेशन, मोहाली में दर्ज प्राथमिकी की जांच को सीबीआई को स्थानांतरित किया गया था।
यह मामला आरोपी गौतम चीमा, आईपीएस, अजय चौधरी, आईडीईएस एवं 04 अन्य द्वारा फेज-I पुलिस स्टेशन, मोहाली की वैध हिरासत से सुमेध गुलाटी को जबरन पकड़ने से संबंधित है।
तत्कालीन आईजीपी गौतम चीमा नशे की हालत में…
यह आरोप है कि 26 अगस्त, 2014 को रात करीब 11 बजे तत्कालीन आईजीपी गौतम चीमा नशे की हालत में अजय चौधरी एवं अन्य लोगों के साथ, मोहाली के फेज-1 पुलिस स्टेशन पहुंचे और सुमेध गुलाटी (जिन्हें पहले ही उसी दिन, दूसरे मामले में गिरफ्तार किया गया था) को जबरन एक निजी कार में मैक्स अस्पताल, फेज-6, मोहाली ले गए, जहां एक शिकायतकर्ता भर्ती थीं।
शिकायतकर्ता को धमकाया
आगे आरोप है कि गौतम चीमा ने सुमेध गुलाटी को जबरन उसी कमरे में बंद कर दिया एवं उक्त शिकायतकर्ता को धमकाते हुए मांग की कि वह उनके विरुद्ध दर्ज की गई शिकायत वापस ले ले। जांच पूरी होने के पश्चात, सीबीआई ने 31 दिसंबर 2020 को छह आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया। विचारण के पश्चात्, न्यायालय ने आरोपियों को दोषी ठहराया एवं तदनुसार उन्हें सजा सुनाई।