बुजुर्ग हमारे देश की असली संपत्ति हैं। इनका सम्मान और संरक्षण किया जाना चाहिए।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ के सदस्यों की मांग है कि पेंशन बढ़ाई जाए। अब सवाल ये है कि मांग तो हो रही है, लेकिन इस मांग का वास्तव में कितना फायदा? एक पेंशन ने अपना केस साझा किया और सुझाव दिया कि पेंशन संशोधन की मांग होनी चाहिए, ताकि अधिक पैसे का लाभ मिल सके। मांग करने की दिशा को बदलने की जरूरत है।
पेंशनभोगी ने आखिर यह बात क्यों कही। इसका राज भी उन्होंने खुद ही खोल दिया है। पेंशनर्स का कहना है कि चूंकि हम ईपीएस पेंशन में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं, हमें सुपरएनुएशन स्कीम के तहत पेंशन में संशोधन की भी मांग करनी चाहिए।
उन्होंने बताया मैं सितंबर/अक्टूबर 2003 में सेवानिवृत्त हुआ और मेरे पास एलआईसी के पास लगभग 4.5 लाख रुपये जमा हैं (मुझे सटीक राशि याद नहीं है)।
इसके लिए मुझे पेंशन के रूप में प्रति माह 2088 रुपये मिल रहे हैं। उस समय मैं व्यक्तिगत रूप से एलआईसी के कस्तूरबा गांधी मार्ग, नई दिल्ली कार्यालय गया था और उनसे पूछा था कि मुझे इतनी कम राशि क्यों मिल रही है। मुझसे एक साल पहले सेवानिवृत्त हुए नियोक्ता मुझसे अधिक राशि प्राप्त कर रहे हैं।
एलआईसी अधिकारी ने बताया
एलआईसी के पास उनकी कुल राशि मुझसे बहुत कम थी। जवाब में पेंशन मामलों को संभालने वाले एलआईसी अधिकारी ने मुझे बताया कि वर्तमान में एफडी पर केवल 5.5% (सटीक प्रतिशत याद नहीं है) के आसपास ब्याज मिल रहा है और इसलिए पेंशन कम है। हालांकि, उन्होंने मुझे बताया कि क्या अब कुछ किया जा सकता है? क्या कोई मुझे इस बारे में सलाह दे सकता है?
बुजुर्ग हमारे देश की असली संपत्ति
पेंशनर्स वीरेंद्र बाबू लिखते हैं कि हमने पूरी ज़िंदगी देश की सेवा की है, फिर भी हमें पेंशन नहीं मिली। विधायक, जो सिर्फ़ 6 महीने से सेवारत हैं, उन्हें पेंशन मिल रही है। हमारे देश में इस तरह की अनैतिक घटनाएँ क्यों प्रचलित हैं। हमारे बुजुर्ग हमारे देश की असली संपत्ति हैं। इनका सम्मान और संरक्षण किया जाना चाहिए।