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EPS 95 पेंशन: पेंशनर्स की मांग EPFO-सरकार लौटाए जमा पैसा, उसी पैसे से खोलेंगे चाय-पान और पकौड़े की दुकान

EPS 95 पेंशन: पेंशनर्स की मांग EPFO-सरकार लौटाए जमा पैसा, उसी पैसे से खोलेंगे चाय-पान और पकौड़े की दुकान
  • हायर पेंशन पर देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला 2016 और 2022 को जारी कर दिया था,उस पर भी देश के अधिकांश सेवानिवृत्त आज भी अपने आप को कानूनी दावं पेंच के चलते असहाय महसूस कर रहे हैं।

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। EPS 95 हायर पेंशन (Higher Pension) पर एक और कथन सामने आ गया है। पेंशनर्स के मन की बात सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। Anil Kumar Namdeo ने एक पोस्ट किया। सालों से न्यूनतम पेंशन 7500+महंगाई भत्ता प्रदान करने की मांग पर चले आ रहे देशव्यापी आंदोलनों का जिक्र किया।

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पेंशनर्स ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका उद्देश्य NAC प्रमुख कमांडर अशोक राउत, वीरेंद्र राजावत और उनकी जाबांज साथियों के भागीरथी प्रयास और उस पर समर्थन या विरोधाभासी वक्तव्यों की समीक्षा की जा सके और बहुमत का सम्मान किया जाए।

पेंशन मिलना न मिलना, खुदा की मर्जी…जो शायद हम सब से अभी रूठा हुआ है। जबकि हमने सुन रखा है कि ‘हिम्मत ए मर्दा मदद ए खुदा’ और शायद खुदा भी हमारी हिम्मतों की परीक्षा लेना चाहता है। पर कुछ और भी हैं नंगे, जो खुदा से भी बड़े हैं…यही हमारी सबसे बड़ी विडंबना ही है।

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सड़क पर हो या कोर्ट में लड़ते-लड़ते मर जाओ…

हायर पेंशन पर देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला 2016 और 2022 को जारी कर दिया था,उस पर भी देश के अधिकांश सेवानिवृत्त आज भी अपने आप को कानूनी दावं पेंच के चलते असहाय महसूस कर रहे हैं।

लगता है हम सभी की परिणिती यही है कि सड़क पर हो या कोर्ट में लड़ते-लड़ते मर जाओ और वो हो भी रहा है। अब तो दोनों मोर्चों पर इस बात की लड़ाई होनी चाहिए कि हमें किसी की दया धर्म,मेहरबानी की जरूरत नहीं है।

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EPFO-सरकार के पास जमा है, वो लौटा दिया जाए

पेंशनर्स ने लिखा-हमारा जो पैसा EPFO-सरकार के पास जमा है, वो लौटा दिया जाए,ताकि उसी पैसे से हम चाय,पान पकौड़े की दुकान से अपना जीवन यापन कर सकें। इससे होने वाली कमाई आज दी जाने वाली पेंशन से कहीं बेहतर है और तथाकथित हमारी सेवानिवृत काल को संवारने वाली दुकान रुपी संस्था को बंद कर दिया जाए।

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फिर अपनी ऐसी सरकार को चुनना है,जो हमारी एक न सुने…

पेंशनर्स की नाराजगी इतनी बढ़ चुकी है कि अब वह बोलने लगे कि ये कैसा प्रजातंत्र है, जो हमारा ही अभिशाप साबित हो रही है। बहुत कुछ कहा गया है अब तक, कुछ बाकी नहीं रहा, सिवाय इसके कि चुनाव सामने है। मुझे फिर अपनी ऐसी सरकार को चुनना है,जो हमारी एक न सुने…।

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