EPS 95 पेंशनर्स की बात में दम, सरकार की बढ़ेगी बेचैनी, EPFO पर दबाव

  • पेंशनभोगी की जरूरतों को पूरा करने में विफल रहने से सामाजिक अशांति और राजनीतिक परिणामों का जोखिम होता है।

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। ईपीएस 95 पेंशन (EPS 95) को लेकर इस वक्त सबसे ज्यादा खरी-कोटी केंद्र सरकार और ईपीएफओ (EPFO) सुन रही है। पेंशनर्स भड़के हुए हैं। लोकसभा चुनाव को देखते हुए ज्यादा बेचैनी है। आचार संहिता लगने से पहले अगर कोई फैसला नहीं हुआ तो लंबा इंतजार करना पड़ जाएगा।

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पेंशनर्स Sasi Nair ने फेसबुक पर पोस्ट किया। यदि सरकार न्यूनतम पेंशन के लिए पेंशनभोगी के अनुरोध को संबोधित नहीं करने का विकल्प चुनती है, तो इसके महत्वपूर्ण परिणाम हो सकते हैं। पेंशनरों को उचित न्यूनतम पेंशन से इनकार करने से उनकी आजीविका कम होती है और समाज में उनके योगदान की अवहेलना होती है।

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जवाब में, चुनाव में राष्ट्रीय आंदोलन समिति (एनएसी) एक शक्तिशाली संदेश भेजती है, जिसमें मतदाताओं के लिए इस मुद्दे के महत्व पर प्रकाश डाला गया है। इसके अतिरिक्त, एक औद्योगिक हड़ताल का आह्वान श्रमिकों की सामूहिक ताकत को प्रदर्शित करता है, पेंशन मुद्दे की तात्कालिकता पर जोर देता है।

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पेंशनभोगी की जरूरतों को पूरा करें

आगे पीएफ योगदान को रोकना एक सामरिक कदम के रूप में कार्य करता है, जिससे सरकार पर अपने रुख पर फिर से विचार करने का दबाव पड़ता है। कुल मिलाकर, पेंशनभोगी की जरूरतों को पूरा करने में विफल रहने से सामाजिक अशांति और राजनीतिक परिणामों का जोखिम होता है, न्यायसंगत पेंशन नीतियों के महत्व पर प्रकाश डाला जाता है।

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तानाशाही तस्वीर

पेंशनर्स Ramakrisha Pillai ने लिखा-जब निष्पक्ष चुनाव नहीं होता, तब तानाशाही ही तस्वीर में आती है। यदि आप वर्तमान सरकार से संतुष्ट नहीं हैं। इसे अपनी पसंद के साथ बदलें। हमने अतीत में कई सरकारों को केंद्र, राज्यों में बदल दिया है।

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