- पेंशन योग्य वेतन सीमा को बढ़ाना या सीमा को हटाना, नियोक्ताओं का अंशदान बढ़ाना।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। यूनिफाइड पेंशन स्कीम (Unified Pension Scheme) आने के बाद कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995) को लेकर आवाज और तेज हो गई है। केंद्र सरकार और ईपीएफओ पर दबाव डाला जा रहा है कि उनकी न्यूनतम पेंशन बढ़ाई जाए।
पेंशनर्स रामकृष्ण पिल्लई का कहना है कि केंद्र सरकार के पैटर्न का पालन करना संभव नहीं है, क्योंकि ईपीएस (EPS) में कर्मचारी-नियोक्ता (Employee – Employer) का अंशदान सीमित पेंशन योग्य वेतन का केवल 8.33% है, जबकि एनपीएस (NPS) में नियोक्ता (सरकार) द्वारा अंशदान बिना किसी सीमा के वास्तविक वेतन का 14% है।
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क्या आपके नियोक्ता बिना किसी सीमा के वास्तविक वेतन का 14% अंशदान करने के लिए तैयार हैं और क्या कर्मचारी नियोक्ता के पूरे अंशदान को छोड़ने के लिए तैयार हैं?
आप ईपीएस (EPS) और ईपीएफ (EPF) दोनों नहीं रख सकते। नियोक्ताओं के अलावा ट्रेड यूनियन इस बारे में क्या कहते हैं? वर्तमान व्यवस्था के तहत जो संभव है वह है पेंशन योग्य वेतन सीमा को बढ़ाना या सीमा को हटाना, नियोक्ताओं का अंशदान बढ़ाना।
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न्यूनतम पेंशन (Minimum Pension) के माध्यम से वृद्ध पेंशनभोगियों को कुछ राहत देने के लिए सरकारी सब्सिडी बढ़ाना, ईपीएस में सरकारी अंशदान को 1.16 से बढ़ाकर 2.00%+ करना। यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह हितधारकों के परामर्श से उन पर विचार करे और सरकार कितना वहन कर सकती है।
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संशोधनों पर विचार करना संभव नहीं है?
इस पोस्ट पर पेंशनभोगी अरुणाचलम लक्ष्मणन ने लिखा-क्या ईपीएफ पेंशन मुद्दे की समीक्षा करना और वर्तमान आर्थिक परिदृश्य के संबंध में संशोधनों पर विचार करना संभव नहीं है?
अधिक योगदान देकर योजना में सुधार संभव
संभव है, लेकिन इच्छाशक्ति होनी चाहिए। मैंने जो कहा वह यह है कि सरकारी पेंशन योजना के साथ मेल खाना संभव नहीं है क्योंकि निजी क्षेत्र के नियोक्ताओं के पास सरकार जितनी वित्तीय क्षमता और स्थिरता नहीं है। लेकिन नियोक्ताओं/कर्मचारियों और सरकार द्वारा अधिक योगदान देकर योजना में सुधार किया जा सकता है। सरकार निजी क्षेत्र की पूरी पेंशन देनदारियों को नहीं ले सकती।