इंटक महासचिव वंश बहादुर सिंह ने कहा-भिलाई मे वर्क्स एवं नॉन वर्क्स एरिया में एक साथ बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लगने का ठीकरा सीटू अन्य यूनियनों पर फोड़ रहा।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। केंद्रीय मुख्य श्रमायुक्त कार्यालय में सेल प्रबंधन और एनजेसीएस यूनियनों के बीच विवाद का दायरा बढ़ रहा है। अब एनजेसीएस यूनियनों में ही बयानबाजी तेज हो गई है। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं।
इंटक महासचिव वंश बहादुर सिंह ने कहा कि भिलाई मे वर्क्स एवं नॉन वर्क्स एरिया में एक साथ बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लागू होने के बाद सीटू यूनियन इसका ठीकरा अन्य यूनियनो पर फोड़ना चाहती हैं, जबकि हकीकत यह है कि भिलाई में सीटू के पहले कार्यकाल मे बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लागू किया गया।
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भिलाई में 18 मार्च 2015 से इस्पात भवन में बायोमेट्रिक सिस्टम शुरू हुआ, उस समय सीटू यूनियन मान्यता में थी। निश्चित रूप से प्रबंधन ने सीटू से सहमति लेकर ही बायोमेट्रिक सिस्टम लगाया होगा और यदि सीटू से सहमति लेकर नहीं लगाया तो सीटू ने विरोध क्यों नहीं किया?
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उसी समय से ही महीने में 9 दिन तक 15 मिनट तक देर से आने का नियम प्रबंधन ने बनाया, जबकि यह एक्ट का उल्लंघन है। कर्मचारी पूरे महीने भर ड्यूटी शुरू होने के 15 मिनट बाद तक आ सकता है।
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वंश बहादुर सिंह ने कहा-सीटू यूनियन बायोमेट्रिक के समर्थन में इस कद्र आ गया था कि उसे प्रबंधन द्वारा एक्ट का उल्लंघन किया जाना भी दिखाई नहीं दे रहा। उसके नेता अक्सर शॉप फ्लोर में कहते थे कि इस्पात भवन में लोग पूरी ड्यूटी नहीं करते हैं। इसलिए बायोमेट्रिक जरूरी है।
सीटू को लगता था कि इस तरह के बयान देने से उसे चुनावी फायदा होगा। बाद में बायोमेट्रिक का दायरा बढ़ते हुए पूरे नॉन वर्क एरिया में फैल गया। सीटू के नेता उस समय कभी भी बायोमेट्रिक का विरोध नहीं किए। ना ही परिवाद दायर किए, जबकि इंटक यूनियन ने बायोमेट्रिक के खिलाफ में 2015 में परिवाद दायर किया था।
अब जब बायोमेट्रिक सिस्टम सेल के अधिकांश इकाइयों में लागू होते हुए भिलाई में भी लागू हुआ तो सीटू के नेता अन्य यूनियनों पर इसका ठीकरा फोड़ना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से अब उन्हें ज्यादा चुनावी फायदा होगा। लेकिन कर्मचारी अब जागरूक हो गए हैं। उन्हें मालूम है कि बायोमेट्रिक के मुद्दे पर सीटू अब ज्यादा गुमराह नहीं कर सकता।
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इंटक ने बताया श्रमायुक्त कार्यालय में क्या था विवाद
सीटू ने बयान जारी कर कहा कि प्रबंधन के कहने पर चार यूनियन नेता साइन किए। यह पूरी तरह से झूठा बयान है। सीटू गलत बयानबाजी कर कर्मचारियों को गुमराह ना करे। हकीकत तो यह है कि पहले जो ड्राफ्ट आया था, उस पर प्रबंधन ने साइन कर दिया।
लेकिन यूनियनों ने साइन करने से मना कर दिया और बाद में उसमें कई पॉइंट जुड़वाया गया, उसके बाद भी सीटू नेता 2 पॉइंट और जोड़ने की बात करने लगे और बोले कि यदि इस पॉइंट को नहीं जोड़ा गया तो साइन नहीं करूंगा। उनके इस रवैये पर आरएलसी ने भी नाराजगी व्यक्ति की।
क्या सीटू सिर्फ विवाद बनाए रखना चाहता है
इंटक महासचिव वंश बहादुर सिंह ने कहा-एनजेसीएस में शामिल पांचों यूनियन में क्या सीटू ही कर्मचारियों की हितैषी है? क्या बाकी अन्य यूनियन कर्मचारी हितैसी नहीं है? सीटू को आत्म आकलन करना चाहिए कि अन्य यूनियने सीटू का क्यों साथ छोड़ देते हैं।
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हकीकत यह है कि अन्य यूनियनों को जब यह लगने लगता है कि सीटू अब चुनावी फायदे के हिसाब से बात कर रहा है, तभी उसका विरोध होता है। चीफ लेबर कमिश्नर के कार्यालय में हुई मीटिंग में भी लगभग यही हुआ। बड़े मुद्दों के समाधान की तरफ बात बढ़ रही थी, लेकिन कुछ अन्य मुद्दे डालकर विवाद पैदा कर दिया गया। जबकि आगे एनजेसीएस की बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा किया जा सकता था।