सरकार, EPFO ने स्पष्ट कर दिया-एक भी मांग EPS 95 के प्रावधान में है ही नहीं, पूरी कैसे हो…!

  • EPS-95 में पेंशनरों के हित वाला ROC का खास प्रावधान, जिसमें पेंशनर की सेलेरी से जितना भी पैसा पेंशन खाते में जमा हुआ, वह पूरा का पूरा पैसा पेंशनर पति-पत्नी के मरणोपरांत उसके उत्तराधिकारी को वापस मिलता है।

सूचनाजी न्यूज़, छत्तीसगढ़।  EPS-95 पेंशन (EPS 95 Pension) संघर्ष आज का सत्य…। यह शब्द हैरान करने वाला है। न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए को 7500 रुपए करने की मांग की जा रही है। सरकार आखिर यह मांग क्यों स्वीकार नहीं कर रही है। इस बात का राज पेंशनर्स रणजीत-सिंह दसून्दी ने खोल दिया है। सोशल मीडिया पर उनका पोस्ट तेजी से वायरल हो रहा है।

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मांगें पूरी होने तक गली से लेकर दिल्ली तक पेंशन जागरण अभियान के तहत देशभर में फिर से अखण्ड धरना, प्रदर्शन एवं आंदोलन के कार्यक्रम का आह्वान किया गया है।

रणजीत-सिंह दसून्दी के मुताबिक EPFO एवं GOI ने स्पष्ट कर दिया कि चारों में से एक भी मांग EPS 95 के प्रावधान में है ही नहीं, तो पूरी कैसे की जा सकती है। दूसरी तरफ EPS-95 में पेंशनरों के हित वाला ROC का खास प्रावधान, जिसमें पेंशनर की सेलेरी से जितना भी पैसा पेंशन खाते में जमा हुआ, वह पूरा का पूरा पैसा पेंशनर पति-पत्नी के मरणोपरांत उसके उत्तराधिकारी को वापस मिलता है।

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गैरकानूनी तरीके से ROC बंद कर दी

आपको बता दें कि स्कीम निर्माताओं ने आरुषि को इस पेंशन स्कीम की रीड की हड्डी कहा था। EPS-95 के विद्वान पेंशनर नेताओं एवं NAC के फाउंडर मेम्बर्स ने NAC की स्थापना के समय से ही 2008 से EPFO द्वारा गैरकानूनी तरीके से ROC बंद कर दी गई सुविधा पुनः शुरू करवाने की मांग NAC के डिमांड चार्ट में  शामिल करने हेतु बार बार निवेदन किया। दबाव भी डाला।

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ROC का प्रावधान मूल स्कीम में है

बाद में पता चला कि ROC का प्रावधान मूल स्कीम में है। इसलिए सेलेरी से कटा पूरा पैसा वापस देने की मांग थोड़े से संघर्ष से ही पूरी हो जाएगी, जिससे पेंशनर संतुष्ट हो जाएंगे।

इस आंदोलन की शुरुआत में जुड़े संवेदनशील, निःस्वार्थी, विद्वान, त्यागी एवं पेंशनरों के प्रति समर्पित नेताओं ने दूरी बनाना शुरू कर दिया।

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