- ऊर्जा संरक्षण के महत्त्व को प्रतिपादित करते हुए इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स की भिलाई शाखा के अध्यक्ष पुनीत चौबे ने संबोधित किया।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्थित इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया (Institution of Engineers India) द्वारा ऊर्जा संरक्षण-समय की आवश्यकता विषय पर एक तकनीकी चर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बीएमके बाजपेयी-पूर्व कार्यपालक निदेशक (वर्क्स), भिलाई इस्पात संयंत्र एवं विशिष्ट अतिथि पीके तिवारी, पूर्व अध्यक्ष इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स भिलाई थे। विशिष्ट अतिथि वक्ता के रूप में अरविंद रस्तोगी, प्रमुख टेक्नोवेशन ग्रुप, भिलाई, राहुल गुप्ता सहायक अभियंता छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा अभिकरण क्रेडा उपस्थित थे।
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कार्यक्रम के आरम्भ में ऊर्जा संरक्षण के महत्त्व को प्रतिपादित करते हुए इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स की भिलाई शाखा के अध्यक्ष पुनीत चौबे ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग, ग्रीनहाउस गैस के दुष्प्रभाव एवं पर्यावरण विनाश को नियंत्रित करने हेतु हमें ऊर्जा संरक्षण की दिशा में निर्णायक कदम उठाना होगा।
उन्होंने कहा की ऊर्जा संरक्षण के द्वारा हम ना केवल पर्यावरण असंतुलन की चुनौतियों का सामना कर पाएंगे बल्कि ऊर्जा की बचत करके हम धन की बचत भी कर पाएंगे।
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मुख्य अतिथि बीएमके बाजपेयी ने अपने उद्बोधन में कहा कि सभी देशों के आर्थिक विकास का पैमाना जीडीपी दर की वृद्धि से तय करते हैं। यह अच्छी बात है, ठीक उसी प्रकार हम प्रत्येक देश का आंकलन उनके द्वारा ऊर्जा संरक्षण एवं प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत में न्यूनतम निर्धारित मापदंड प्राप्ति पर हो।
बाजपेई ने भिलाई इस्पात संयंत्र में व्यर्थ जा रही ऊर्जा को उपयोगी ऊर्जा में परिवर्तित किए जाने के लिए किए गए उपाय एवं अनुभव साझा किए। उन्होंने इस्पात उत्पादन में ऊर्जा की खपत को निरंतर कम करने के प्रति प्रयासों के बारे में भी अवगत कराया। उन्होंने भिलाई इस्पात संयंत्र में हेलमेट लागू करने के अपने प्रयास, उस समय आई दिक्कतों और तात्कालीन जिला प्रशासन से मिले सहयोग का उदाहरण देते हुए बताया कि सकारात्मक कार्य में सदैव सभी का सहयोग मिलता है।
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श्री बाजपेई ने सरकार द्वारा राजस्थान एवं गुजरात की मरू भूमि में सौर ऊर्जा के बड़े संयंत्र स्थापित करने के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि यह तकनीकी तौर पर एक अभिनव प्रयास है। उन्होंने कहा की ऊर्जा संरक्षण एवं नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करने के साथ ही जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन की दिशा में भी ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
विशिष्ट अतिथि अरविंद रस्तोगी ने “जीवन व्यवस्था में बदलाव से ऊर्जा संरक्षण” विषय पर रोचक प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने घर की रसोई से लेकर ऊर्जा उत्पादन एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक में ऊर्जा अपव्यय और उनके बचत की संभावनाओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। श्री रस्तोगी ने वर्तमान परिदृष्य में बढ़ते डिजिटल उपयोग, क्रिप्टो करेंसी माइनिंग, सॉफ्टवेयर विकास आदि क्षेत्र में ऊर्जा और जल के खपत की जानकारी दी जिस पर अभी कोई चिंतन नही हो रहा है।
उन्होंने कृषि क्षेत्र में जल के अपव्यय को रोकने और उससे होने वाली ऊर्जा खपत की जानकारी साझा कर जल के सकारात्मक उपयोग पर बल दिया। अरविंद रस्तोगी ने आंकड़ों की तुलना कर बताया कि आज भी रेल की यात्रा में सबसे कम ऊर्जा की खपत होती है जबकि हवाई यात्रा में सर्वाधिक ऊर्जा खपत होती है।
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उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों द्वारा एक क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलती है किंतु इससे विद्युत ऊर्जा की खपत बढ़ रही है तथा विद्युत ताप बिजली घर के द्वारा कार्बन उत्सर्जन बढ़ेगा। रस्तोगी ने कहा यदि हम इलेक्ट्रिक वाहनों को सही मायने में नवीकरणीय ऊर्जा से चला सके तब यह व्यवस्था सही मायनो में सफल कहलाएगी ।
विशिष्ठ अतिथि वक्ता राहुल गुप्ता-सहायक अभियंता क्रेडा, रायपुर ने अपने प्रस्तुतिकरण में भारत सरकार के ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के पी ए टी योजना के बारे में बताया की ऊर्जा खपत मानदंडों के पालन से प्राप्त ऊर्जा बचत प्रमाण पत्र को व्यापार योग्य उपकरण में परिवर्तित कर दिया जाता है।
उन्होने बताया कि लोगों के जीवन स्तर को बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति संवेदनशीलता बनाने हेतु चार पहल तय की गई थी जिनमें पी ए टी उसका एक हिस्सा है।
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इस अवसर पर संस्था के पूर्व अध्यक्ष बीपी यादव, कार्यकारिणी सदस्य, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स भिलाई शाखा के सदस्य, भिलाई इस्पात संयंत्र, सेल रिफ्रेक्टरी यूनिट, सीईटी, शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय रायपुर, बीआईटी दुर्ग, रूंगटा कॉलेज, प्रिज्म कॉलेज एवम शैक्षणिक संस्थानों के संकाय सदस्य एवं छात्र छात्राएं उपस्थित थे। आभार प्रदर्शन प्रोफेसर नागेंद्र त्रिपाठी ने दिया।
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