- एलजीबीटीक्यू समुदाय की देखभाल के उपाय सरकार की ओर से किए गए हैं।
- स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित करने और एलजीबीटीक्यूआई+समुदाय के प्रति भेदभाव को कम करने के विषय पर पत्र जारी किया गया है।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) यानी लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर पर केंद्र सरकार का जवाब आया है। एलजीबीटीक्यू समुदाय की देखभाल के लिए सरकार द्वारा लगातार कई कदम उठाए गए हैं।
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खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डी/ओएफएंडपीडी) ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को एक सलाह जारी की है, जिसमें कहा गया है कि मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, राशन कार्ड के प्रयोजनों के लिए समलैंगिक संबंध में रहने वाले भागीदारों को उसी परिवार का सदस्य माना जाना चाहिए।
केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कई जानकारी दी है।
इसके अलावा, राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करने के लिए कहा गया है कि समलैंगिक संबंध में रहने वाले भागीदारों को राशन कार्ड जारी करने में किसी भी तरह के भेदभाव का सामना न करना पड़े।
वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने एक परामर्श जारी किया है कि समलैंगिक समुदाय के व्यक्तियों के लिए संयुक्त बैंक खाता खोलने तथा खाताधारक की मृत्यु की स्थिति में खाते में शेष राशि प्राप्त करने के लिए समलैंगिक संबंध वाले किसी व्यक्ति को नामित करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
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सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी की उपलब्धता
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों सहित सभी हितधारकों को पत्र जारी कर एलजीबीटीक्यूआई+ समुदाय के स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित अधिकारों को सुनिश्चित करने, जागरूकता गतिविधियों की योजना बनाने, धर्मांतरण चिकित्सा पर रोक लगाने, सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी की उपलब्धता, पाठ्यक्रम में बदलाव, टेली परामर्श का प्रावधान, विभिन्न स्तरों के कर्मचारियों को संवेदनशील बनाने और प्रशिक्षण देने तथा निकट संबंधी/निकटतम रिश्तेदार/परिवार के उपलब्ध न होने पर शव का दावा करने का प्रावधान करने के लिए कदम उठाने को कहा है।
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय से आदेश जारी
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित करने और एलजीबीटीक्यूआई+समुदाय के प्रति भेदभाव को कम करने के विषय पर राज्य स्वास्थ्य विभागों और अन्य हितधारकों को पत्र जारी किया है।
आवश्यक चिकित्सा हस्तक्षेप के संबंध में दिशा-निर्देश
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने यौन भेदभाव (अंतरलैंगिक) विकारों से ग्रस्त शिशुओं/बच्चों के लिए आवश्यक चिकित्सा हस्तक्षेप के संबंध में दिशा-निर्देश तैयार किए हैं, ताकि वे बिना किसी जटिलता के चिकित्सकीय रूप से सामान्य जीवन जी सकें।
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गृह मंत्रालय ने समलैंगिक समुदाय पर ये कहा…
गृह मंत्रालय ने समलैंगिक समुदाय के जेल मुलाकाती अधिकारों के संबंध में सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को परामर्श जारी किया है तथा समलैंगिक समुदाय को हिंसा, उत्पीड़न या जबरदस्ती का कोई खतरा न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए कानून एवं व्यवस्था संबंधी उपायों पर परामर्श जारी किया है।
ट्रांसजेंडर लोगों के कल्याण के लिए, ‘ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) के लिए कानून, 2019’ बनाया गया।
कानून के प्रावधानों को लागू करने के लिए ‘ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण), नियम, 2020’ अधिसूचित किया गया। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए नीतियां, कार्यक्रम, कानून और परियोजनाओं के बारे में सरकार को सलाह देने के लिए ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय परिषद (एनसीटीपी) की स्थापना की गई है।
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ट्रांसजेंडर आवेदकों को ट्रांसजेंडर प्रमाणपत्र और पहचान पत्र जारी करने के लिए ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय पोर्टल चालू किया गया। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के खिलाफ अपराध के मामलों की निगरानी और ऐसे अपराधों के समय पर रजिस्टर, जांच और अभियोजन के लिए 13 राज्यों में ट्रांसजेंडर सुरक्षा प्रकोष्ठ (टीपीसी) की स्थापना की गई है।
उनके अधिकारों और हितों की रक्षा करने और योजनाओं और कल्याणकारी उपायों तक आसान पहुंच बनाने के उद्देश्य से 19 राज्यों में ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड (टीडब्ल्यूबी) की भी स्थापना की गई है। मंत्रालय ने भेदभाव को खत्म करने, समान अवसरों को बढ़ावा देने के लिए ‘ट्रांसजेंडर लोगों के लिए समान अवसर नीति’ और उन्हें ऐसा कार्यस्थल प्रदान किया है जहां ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों और प्रतिष्ठा को सम्मान मिल सके।