- सर्वोच्च न्यायालय के 4.11.22 के फैसले और उसके क्रियान्वयन के बारे में एक शब्द भी नहीं बोल रहे हैं।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। पेंशनभोगी सी उन्नीकृष्णन का कहना है कि सरकार और वित्त मंत्री केंद्रीकृत पेंशन योजना और जीवन प्रमाण पत्र आदि के बारे में बात कर रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी औश्र वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण या कोई अन्य सरकारी अधिकारी ईपीएस पेंशन के बारे में सर्वोच्च न्यायालय के 4.11.22 के फैसले और उसके क्रियान्वयन के बारे में एक शब्द भी नहीं बोल रहे हैं।
जबकि फैसला आने के 2 साल बाद भी ऐसा नहीं हुआ है। अब आम जनता की जानकारी के लिए कोई बता सकता है कि क्या कोई ऐसा नियम है जिसके तहत सरकार सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को खारिज कर सकती है?
प्रधानमंत्री 7वें और 8वें वेतन आयोग की रिपोर्ट और सरकारी कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि के बारे में बात करते रहते हैं। उसी प्रधानमंत्री के पास 4.11.22 को सर्वोच्च न्यायालय के ईपीएस पेंशन आदेश के बारे में बात करने का समय नहीं है।
वे आसमान के नीचे के सभी विषयों पर बात करते रहते हैं, लेकिन अभी तक उन्होंने 75 वर्ष से अधिक आयु के गरीब ईपीएस पेंशनभोगियों के बारे में अपना मुंह नहीं खोला है, जिन्हें ज्यादातर मामलों में 1000 रुपये या उससे कम मासिक पेंशन मिल रही है। “हमें ऐसी सरकार नहीं चाहिए जो वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा कर रही हो।