
- कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने 18.01.2025 को परिपत्र जारी कर यह स्पष्ट किया है कि पेंशन की आनुपातिक गणना न्यायसंगत है।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995) को लेकर लोकसभा में सवाल दागे गए। सांसद एडवोकेट डीन कुरियाकोस ने पेंशन के लिए आनुपातिक मानदंड (Proportionality Criteria) पर श्रम एवं रोजगार मंत्री से सीधा सवाल किया।
सांसद का सवाल था कि क्या सरकार ने पेंशन के लिए आनुपातिक मानदंड को स्वीकृत करने के संबंध में परिपत्र जारी किया है? क्या उक्त परिपत्र उस समय जारी किया गया है, जबकि विभिन्न न्यायालयों में आनुपातिक मानदंड को चुनौती देने वाली याचिकाओं की जांच चल रही है, क्योंकि यह कर्मचारियों की सेवा अवधि को दो भागों में विभाजित करने के बाद पेंशन की गणना करेगा और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं तो इसके क्या कारण है?
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इसी तरह क्या पेंशन को दो भागों में विभाजित करने से अंततः पेंशन की राशि कम हो जाती है और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है तथा इस तरह के कदम से पेंशनभोगियों की पेंशन राशि कम करने के क्या कारण हैं?
श्रम और रोजगार राज्य मंत्री शोभा कारान्दलाजे (Minister of State for Labor and Employment Shobha Karandlaje) ने जवाब दिया कि कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 के पैरा 11 (1) और पैरा 12 के अनुसार, पेंशन योग्य वेतन 1 सितंबर, 2014 तक की पेंशन योग्य सेवा के लिए आनुपातिक आधार पर निर्धारित किया जाएगा, जो इस अवधि तक अधिकतम छह हजार पांच सौ रुपये प्रति माह और उसके बाद की अवधि के लिए अधिकतम पंद्रह हजार रुपये प्रति माह के अध्याधीन है।
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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) (Employees Provident Fund Pension – EPFO) ने 18.01.2025 को परिपत्र जारी कर यह स्पष्ट किया है कि पेंशन की आनुपातिक गणना न्यायसंगत है और इसमें दोनों श्रेणियों के पेंशनभोगियों अर्थात वेतन सीमा के अंतर्गत आने वाले पेंशनभोगियों और उच्च वेतन वाले पेंशनभोगियों को समान स्तर पर माना गया है।