- अस्पताल में चिकिस्ता सेवा को लेकर विस्तृत चर्चा पर रेफर छाया रहा। किरीबुरु अस्पताल में ICU वार्ड में खामियों को सामने रखा गया।
सूचनाजी न्यूज, बोकारो। झारखंड ग्रुप ऑफ माइंस (Jharkhand Group of Mines) की बैठक में वह सबकुछ हो गया, जिसकी उम्मीद प्रबंधन ने नहीं की थी। पोल खोल, भ्रष्टाचार, तीखी बहस और विवाद का चढ़ते पारे ने सबको झकझोर दिया है। खदान कर्मचारियों की फाइल को बोकारो (Bokaro) में दबाने, गुआ खदान को काला पानी की सजा के तौर पर लेने आदि को लेकर गहमागहमी रही।
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बैठक में स्थानीय मुद्दों का समाधान नहीं करने और आधे-अधूरे वेतन समझौते को लेकर मजदूर नेताओं ने आक्रामक रुख अपनाया। खदानों को नज़र अंदाज़ को लेकर आक्रोशित नेताओं ने सेल प्रबंधन बोकारो (SAIL Management Bokaro) को खरी खोटी सुनाई। मजदूरों की समस्या जैसे आवास, विद्युत, जल, चिकिस्ता और शिक्षा तथा ठेका श्रमिकों का शोषण और भ्रष्टाचार पर चर्चा हुई।
अस्पताल में चिकिस्ता सेवा (Medical Service) को लेकर विस्तृत चर्चा पर रेफर छाया रहा। किरीबुरु अस्पताल में ICU वार्ड में खामियों को सामने रखा गया।
डाक्टरों की कमी से कर्मचारीयों को चिकिस्ता सेवा सही ढंग से नहीं मिलना, रेफर मे आनाकनी कर मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया गया। प्रबंधन से पूछा गया कि खदान से approval के लिए आने वाली फाइल कहां गायब हो जाती है। यह मजदूर नेताओं ने जानना चाहा तो दोनों पक्षों में गहमा गहमी का वातावरण बना रहा।
श्रमिक नेता राजेंद्र सिंधिया ने कहा-ED (P&A) ने हस्तक्षेप कर सभी अधिकारियों को हिदायत दी की इस तरह का घटना दोबारा होना नहीं चाहिए। आग नहीं होता तो धुंआ नहीं निकलता। अगर फाइल में विलंब हो रही है तो इसकी सही जानकारी श्रमिक संगठनों को दें। इस तरह की शिकायत दोबारा हमारे पास नहीं आनी चाहिए। इसकी हिदायत दी।
MDO पर भी चर्चा हुई। रमा पाण्डे ने कहा MDO लाना है तो सबसे पहले अस्पताल में लाएं, ताक़ि स्वास्थ सेवा मजदूरों को मिल सके। अपोलो अस्पताल को दें या किसी को स्वास्थ सेवा मिलनी चाहिए। CMO (M&HS) ने कहा रेफर पर समस्या नहीं है या रिव्यू फॉलो-अप (Review Followup) पर कोई रोकथाम नहीं होगी। अगर ऐसी समस्या है तो मुझसे सीधे संपर्क करें।
रमा पांडे, अफताब आलम और राजेंद्र सिंधिया के आक्रोशित वार्तालाप और चर्चा बोकारो स्टील प्लांट के अधिकारीयों और बोकारो स्टील प्लांट (Bokaro STeel Plant) के कर्मचारीयों में चर्चा का विषय रहा। रमा पांडे के आक्रातमक रुख कुछ समय के लिए माहौल को गरम कर दिया। दासा के मुद्दे, श्रमिक संगठन का मान्यता के लिए चुनाव, पंजीकृत यूनियन को खदान सुरक्षा समिति में भागीदारी आदि का मुद्दा मांग पत्र के माध्यम से सेल प्रबंधन और खदान प्रबंधन को दी गई।
बातचीत के दौरान ये भी कहा गया कि एक भ्रष्ट कर्मचारी को गुआ भेज कर बोकारो प्रबंधन क्या? गुआ खदान को काला पानी समझ रखा है, या गुआ के सभी कर्मचारी भ्रष्ट हैं? यह साबित करने का प्रयास किया जा रहा है। श्रमिक नेताओं ने पूछा-ठेका श्रमिकों की समस्या पर ठेकेदार प्रबंधन के ऊपर हावी क्यों है, जरूरत से ज्यादा ठेका श्रमिक क्यों रख रहा है?
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काम करना है तो एक एक ठेका श्रमिकों से हज़ारों में पैसे की मांग ठेकेदारों द्वारा की जा रही है। कम रेट मे काम लेने के लिए ठेकेदारों में होड मची है। बाकी पैसे की भरपाई ठेका श्रमिक अपने जेब से करेंगे वरना, नौकरी से बैठा दिया जाएगा कि धमकी दी जा रहा है। पे-स्लिप कोई ठेकेदार, ठेका श्रमिकों को नहीं दे रहा है।
CGM पर्सनल बोकारो खान समूह हरि मोहन झा बैठक का संचालान किए। बैठक में गुआ खदान से रमा पांडे, अंतर्यामी माहाकुंड, मेघाहाताबुरु से अफताब आलम,कामता प्रसाद, किरीबुरु से राजेंद्र सिंधिया, सुनील पासवान, अजय बानरा, पीसी मलिक, रमेश नायक, सप्लाई मजदूर के राजेश कोड़ा आदि मौजूद थे।