बीएसपी और निगम पूरे मामले से भाग रहा है। निगम ने नेहरू नगर की जमीन पर कालोनी बसा दिया है। इसके बदले जमीन मांगी जा रही है, लेकिन कोई संज्ञान नहीं ले रहा है।
अज़मत अली, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (SAIL) के भिलाई स्टील प्लांट और भिलाई नगर निगम के खिलाफ केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) कोर्ट केस करने की तैयारी में आ गई है। नेहरू नगर में बीएसपी (BSP) से जिस जमीन को सीआइएसएफ ने करीब ढाई लाख में खरीदा था, आज वहां अवैध कॉलोनी और बस्ती बन चुकी है। सीआरपीएफ अपनी जमीन मांग रहा। लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा है।
गुरुवार को भिलाई निगम सभागार में सीआरपीएफ (CRPF) के डीआईजी बलराम बेहरा खुद मीटिंग में शामिल हुए। बीएसपी से जीएम सुब्रत प्रह्लाद और निगम के उच्चाधिकारी मीटिंग में मौजूद रहे। शाम 4 बजे से लेकर 5 बजे तक मीटिंग हुई। चाय-पानी हुआ और फिर सब बाहर निकल आए।
सीआरपीएफ के अधिकारी पीछे से बीएसपी अधिकारियों को टोकते रहे। बीएसपी अफसर जोर से बोलते हुए आगे बढ़ गए कि हमने जमीन दे दिया है। सीमांकन कराना हमारा काम नहीं है। इस पर सीआरपीएफ की तरफ से मीटिंग में शामिल अधिकारी नाराज हो गए।
अनौपचारिक बातचीत में बताया गया कि बीएसपी और निगम पूरे मामले से भाग रहा है। निगम ने नेहरू नगर की जमीन पर कालोनी बसा दिया है। इसके बदले जमीन मांगी जा रही है, लेकिन कोई संज्ञान नहीं ले रहा है। कई चरण की बैठक हो चुकी है। इसलिए अब कोर्ट केस के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता है।
भिलाई की पॉश कॉलोनी नेहरू नगर की जमीन सीआरपीएफ को 1971 में आवंटित की गई थी। विशेष विकास क्षेत्र प्राधिकरण (साडा) कार्यकाल में जमीन पर प्लाटिंग कर दी गई। 2003 में नक्सल अभियान के दौरान सीआरपीएफ छत्तीसगढ़ में आई और उसने अपनी तलाश की। दस्तावेज में भिलाई में जमीन मिली।
इस पर कैंप लगाने आदि को लेकर प्लानिंग की गई। सीआरपीएफ के अधिकारी मौके पर पहुंचे तो वहां अवैध कॉलोनी और बस्ती दिखी। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने गृह मंत्रालय के आदेश पर नेहरू नगर की भूमि का सर्वे शुरू कर दिया है। रिक्त भूमि को पजेशन में लेने का निर्णय लिया।
जानिए 232.02 एकड़ जमीन मामले में क्या चल रहा
बीएसपी ने 18 अप्रैल 1972 राजस्व मंडल आमदी, पटवारी हल्का नंबर-22 खसरा नंबर 34 के 232.02 एकड़ जमीन सीआरपीएफ को बेची। तत्कालीन बटालियन के अधिकारियों ने जमीन के एवज में बीएसपी को 2,19236 रुपए भी दिए।
1977 में सीआरपीएफ भिलाई से पूर्वोत्तर राज्य के अभियान में भेज दी गई। इस वजह से यहां लोगों को मौका मिला और जमीन बंदरबाट कर दी गई। 2014 में जमीन के बारे में सेंट्रल जोन कोलकाता के विशेष पुलिस महानिदेशक से सेक्टर मुख्यालय छत्तीसगढ़ के 222 वीं बटालियन के कमांडेंट को आदेश जारी हुआ। तब महानिदेशक जमीन देखने भिलाई पहुंचे, तो वे भी आवंटित जमीन पर छोटे-छोटे प्लॉट, भवन देख कर दंग रह गए। इसके बाद से सीआरपीएफ और बीएसपी के बीच जमीन को मामला फंसा है।