- मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय) ने आइओसीएल की 25 यूनियनों और प्रबंधन के साथ बैठक की।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Indian Oil Corporation) के कर्मचारियों की हड़ताल को स्थगित कर दिया गया है। 7 अक्टूबर को प्रस्तावित हड़ताल को फिलहाल स्थगित किया गया है। मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय) कार्यालय में शुक्रवार को रात 9 बजे तक चली मीटिंग में यह फैसला लिया गया है। अगली बैठक 14 अक्टूबर को है। इसके बाद आइओसीएल (IOCL) की 25 यूनियनें हड़ताल पर फैसला लेंगी।
इंडियन आयल की हड़ताल को रोकने के लिए केंद्रीय मुख्य श्रमायुक्त ने दिल्ली में बैठक बुलाई थी। इसमें एटक के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व एनजेसीएस सदस्य विद्यासागर गिरी भी शामिल हुए थे। आइओसीएल की मीटिंग के बाद सेल के विषय पर श्रमायुक्त कार्यालय के उच्चाधिकारियों से बातचीत की गई। आधे-अधूरे वेज रिवीजन, बोनस आदि विषय पर चर्चा हुई।
श्रमायुक्त कार्यालय की ओर से जानकारी दी गई कि 23-24 अक्टूबर को मीटिंग संभव है। सेल प्रबंधन और यूनियनों के पत्र जारी किया जाएगा। दीपावली के बाद और छठ के पहले बैठक पर चर्चा हुई है। आधिकारिक पत्र आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय) ने आइओसीएल की 25 यूनियनों और प्रबंधन के साथ बैठक की। दोनों पक्षों की उपस्थिति में खुलकर बातचीत हुई। प्रस्तावित हड़ताल के कारणों पर विस्तार से चर्चा के दौरान, यूनियनों ने यह आशंका व्यक्त की गई कि उन्हें ऐसी व्यवस्था बनाने से उनके अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण की आशंका है, जो बिना किसी श्रेणी के कामगारों के काम करेगी।
ऐसा इरादा न केवल कर्मचारियों की पदोन्नति और अन्य अवसरों में बाधा उत्पन्न करेगा, बल्कि अंततः कर्मचारियों के संवर्ग को भी समाप्त कर देगा। हालाँकि, प्रबंधन ने यह भी कहा कि आशंकाएँ निराधार हैं क्योंकि प्रबंधन की कार्रवाई डीपीई दिशानिर्देशों के अनुसार है। लंबी चर्चा के बावजूद, कोई ठोस निर्णय नहीं निकल सका।
हालाँकि, दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से द्विपक्षीय स्तर पर मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करने पर सहमति व्यक्त की। और, इस बीच, यूनियनों ने 07.10.2025 को प्रस्तावित हड़ताल को अगली चर्चा तिथि तक स्थगित करने पर भी सहमति व्यक्त की।
पक्षों की आपसी सहमति से, चर्चा की अगली तिथि 14.10.2025 को ढाई बजे सीएलसी (सी) कार्यालय में निर्धारित की गई है। इस स्तर पर, दोनों पक्षों को सलाह दी जाती है कि वे भारतीय औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 22 और धारा 33 (1) के प्रावधानों का अक्षरशः पालन करें।
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