- पेंशनभोगियों को उपेक्षित और वोटरों को लुभाने का आरोप।
- सत्ता और मीडिया के रवैये पर भी पेंशनर्स नाराज हैं।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। पेंशनभोगी (Pensioner) गौतम चक्रवर्ती लिखते हैं कि वाराणसी में मोदी जी 6700 करोड़ का इनाम दिया। क्यों? उत्तर प्रदेश में दस विधानसभा सीटें दांव पर हैं। मोदी सेना के लिए वाकई बड़ी बात है। चुनाव से पहले राजनीतिक हलकों में बड़े-बड़े नेता इसी तरह दबाव में आ जाते हैं।
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कनाडा में भी यही स्थिति है। अपनी अल्पमत सरकार को बचाने के लिए जस्टिन ट्रूडो अल्पसंख्यक सिख समुदाय को खुश करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं, यहां तक कि भारत को बदनाम करने और उससे संबंध तोड़ने की हद तक।
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मोदी जी की वोट पाने के लिए इनाम देने की राजनीति का मुकाबला एनएसी के नेता मजबूत और प्रभावी मीडिया अभियान के जरिए कर सकते हैं। अगर स्थानीय प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कल मोदी जी द्वारा बुजुर्ग ईपीएस 95 पेंशनभोगियों (EPS 95 Pensioner) के साथ दो बार विश्वासघात की खबरें और वाराणसी के लिए घोषित की जाने गए 38 विकास परियोजनाओं की खबरें प्रकाशित हो जाएं, तो भाजपा इस प्रभाव से बच जाएगी।
इससे उपचुनावों में भाजपा की संभावनाओं पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा। यह हमारे दिमाग में है कि कैसे वाराणसी के मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव के दौरान दो राउंड की मतगणना में मोदी जी को परेशान कर दिया था। वह कांग्रेस के उम्मीदवार से पीछे चल रहे थे। पीएम के कद को देखते हुए उनकी जीत मामूली अंतर से हुई। मारने का मौका है न?
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इस पर जवाब देते हुए पेंशनर्स सनत रावल ने गौतम चक्रवर्ती को संबोधित करते हुए लिखा-जी, बहुत सही और सही कहा। अगर इस बार भाजपा-एनडीए दिवाली/महाराष्ट्र/झारखंड चुनाव से पहले एनएसी की मांग के अनुसार न्यूनतम पेंशन मंजूर नहीं करती है, तो ईपीएस-95 पेंशनभोगियों/वरिष्ठ नागरिकों के पास चुनाव का बहिष्कार करने और भाजपा-एनडीए का समर्थन न करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
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एक अन्य पेंशनभोगी राम शंकर शुक्ला का कहना है कि राजनीति जहां से हमारे विचारों की सीमा समाप्त होती है राजनीतिक का विचार वहीं से शुरू होता है। तो मोदी जी शायद स्वयं देश को घर में ले जाना चाहते हैं।