- ठेका मजदूरों के वाजिब हक के लिए सेल के सभी प्लांट के ठेका श्रमिकों को एक मंच पर लाने और इसे देश की लड़ाई बनाने पर मंथन।
सूचनाजी न्यूज, बोकारो। नेशनल ज्वाइंट कमेटी फॉर स्टील इंडस्ट्री-एनजेसीएस (NJCS) की मीटिंग और सुझावों से प्रबंधन टाल-मटोल की नीति पर काम कर रहा है। यह आरोप एनजेसीएस यूनियन सदस्य एटक ने लगाया है। बोकारो स्टील प्लांट के कर्मचारियों क साथ एटक की मीटिंग में अब आर-पार की लड़ाई का दम भरा जा रहा है।
बोकारो इस्पात कामगार यूनियन (Bokaro Steel Workers Union) एटक के ठेका प्रकोष्ठ की बैठक प्राण सिंह की अध्यक्षता में यूनियन कार्यालय में हुई। महामंत्री रामाश्रय प्रसाद सिंह ने 6 जुलाई के संपन्न हुए एनजेसीएस की सब-कमेटी (Sub-Committee) की बैठक की रिपोर्टिंग करते हुए कहा कि ठेका मजदूरों के मजदूरी और सुविधाओं के लिए अब आर-पार की लड़ाई लड़नी होगी, क्योंकि सेल प्रबंधन ठेका मजदूरों के प्रति संवेदनहीन है नीति बनाने के सवाल पर प्रबंधन अब टालमटोल की नीति अपना रही है।
एनजेसीएस की सब कमेटी में यूनियन द्वारा उठाए गए सवालों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रबंधन को यह प्रपोजल दिया गया है कि ठेका श्रमिकों को पारा वर्कर के रूप में सेल में पुकारा जाए। ठेका मज़दूर प्लांट के ऑपरेशन से लेकर सभी प्रकार के मेंटेनेंस में कार्यरत हैं, जिनके पास टेक्निकल और नॉन टेक्निकल डिग्री भी उपलब्ध है। आईईडी विभाग से प्राप्त स्टडी के आधार पर बहुत पहले से 5 वर्ष 10 वर्ष 20 वर्ष से उस कार्य को कर रहे।
मजदूरों को 60 वर्ष की आयु तक सेवा सुनिश्चित करने का प्रावधान एनआईटी के अंदर किया जाए। एनआईटी के अंदर मैनपावर की संख्या जरूर दर्ज होनी चाहिए। एनआईटी के अंदर मैनपावर के अलावा उस विभाग का, उस विभाग का काम करने का एक्सपीरियंस, ट्रेंड वर्कर, स्किल्ड वर्कर अवश्य रूप में उल्लेख किया जाए।
एनआईटी के अंदर ठेकेदार बदले लेकिन मजदूर वही रहे का प्रावधान किया जाए। कांट्रैक्ट अवार्ड सिस्टम 5 वर्ष के लिए या मिनिमम 3 वर्ष के लिए होना चाहिए। छोटे-छोटे एक समान नेचर के कांट्रैक्ट को समाप्त कर नामित ठेका कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट अवार्ड होना चाहिए।
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बिलो रेट पर काम देने पर बिल्कुल रोक लगनी चाहिए। यदि कोई कांट्रैक्ट 5 प्रतिशत से ज्यादा लो रेट में एनआईटी में भरता है तो उसका रजिस्ट्रेशन समाप्त कर देना चाहिए। कॉन्ट्रैक्ट अवार्ड होने के बाद कांट्रैक्टर को अपनी कंपनी का जॉब कार्ड उन अवधि के लिए साथी साथ अटेंडेंस रजिस्टर, पेमेंट स्लिप, सीएलसी रूल के हिसाब से होना चाहिए।
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माह के प्रत्येक 10 तारीख को मजदूरों का पेमेंट हो जाना चाहिए, मजदूरों को एक जगह से दूसरी जगह ठेकेदार ना ले जाए,इसकी जवाबदेही सुनिश्चित होनी चाहिए, वार्षिक वृद्धि दर 250/ 275/ एवं 300/ रुपया क्रमश: 1 जनवरी या 1 जुलाई से मूल वेतन में जुड़ना चाहिए।
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रामाश्रय प्रसाद सिंह ने कहा कि रात्रि भत्ता सेल कर्मचारियों के बराबर मिलना चाहिए, ठेका मजदूरों के भी बच्चों को पढ़ने के लिए हर एक यूनिट के स्कूलों में एडमिशन का प्रावधान होना चाहिए, चिकित्सा सुविधा प्रत्येक यूनिट के अस्पतालों में उनके और उनके बच्चों का इलाज की सुविधा होना चाहिए,बोनस का भुगतान दुर्गा पूजा या दीवाली में किया जाना चाहिए, ग्रुप इंश्योरेंस मिनिमम 1500000 का हो, जिसे सेल प्रबंधन और ठेकेदार वाहन करें, प्लांट के अंदर दुर्घटना होने या बीमार होने से मृत्यु के उपरांत एक आश्रित की नौकरी सुनिश्चित होनी चाहिए।
लेकिन इन सवालों पर प्रबंधन का रुख बैठक में सकारात्मक नजर नहीं आया। इसलिए यूनियन ने फैसला किया है कि यह लड़ाई को देश की लड़ाई बनानी होगी, पूरे देश भर के स्टील प्लांट में कार्यरत ठेका मजदूरों का एक साथ एक समय आंदोलन होगा।
बैठक में प्राण सिंह, राजीव सिंह ,मोइन आलम, ओम प्रकाश, सागर, शंकर, गुलाम, तेज लाल, रवि, अरुण साहू, दुर्योधन, प्रमोद, रेखा, रूबी, रोजलीन, सुमन किरण, पूनम, पवित्रा और सावित्री आदि मौजूद रहीं।