- परशुराम चौक से न्यू खुर्सीपार श्री परशुराम धाम तक भव्य शोभायात्रा का भी आयोजन किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और प्रसाद ग्रहण किया।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भगवान श्री परशुराम जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर खुर्सीपार में उनकी विशालकाय प्रतिमा का अनावरण हुआ। छत्तीसगढ़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पाण्डेय एवं अतिथियों के करकमलों से परशुराम जी की भव्य विशाल प्रतिमा का अनावरण किया गया।
कार्यक्रम के पश्चात परशुराम चौक से न्यू खुर्सीपार श्री परशुराम धाम तक भव्य शोभायात्रा का भी आयोजन किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और प्रसाद ग्रहण किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व विस अध्यक्ष श्री पाण्डेय ने कहा कि आज अक्षय तृतीया है और भगवान श्री परशुराम जी का जन्मदिवस है। उन्होंने भगवान परशुराम की कथा का उल्लेख करते हुए बताया कि एक बार इनके पिता ने इनकी माता की हत्या करने के लिए कहा और भगवान परशुराम ने अपनी माता की हत्या कर दी। तो पिता ने उनसे कहा कि कोई वर मांगो तो परशुराम जी ने वर मांगते हुए कहा कि आप मेरी माता को जिंदा कर दें।
इस तरह भगवान परशुराम ने पितृ भक्ति औऱ मातृ भक्ति दोनों का परिचय दिया। उन्होंने हमेशा ज्ञान की शक्ति के बारे में बताया कि ज्ञान देना और ज्ञान लेना ये हमारा मूल धर्म और ज्ञान की शक्ति आज से पुरातन काल में भी उतनी ही महत्वपूर्ण थी, आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
श्री पाण्डेय ने कहा कि आज भी काम करने वालों का वर्गीकरण चार ही वर्ग में है। क्लास वन अफसर, क्लास टू अफसर, क्लास थ्री एम्पलाई और क्लास फोर एम्पलाई, इन चार के अलावा कोई वर्ग है क्या? चार ही वर्ग में आज सारे कार्यों का वर्गीकरण हुआ है और अपने यहां चार का तो बहुत महत्व है।
उसमें जाएंगे तो चार धर्म हैं, चार वर्ण हैं, चार आश्रम है। इन चार हमारे तन, मन, बुद्धि, आत्मा है, चार हमारे कर्तव्य हैं। यह भिलाई जो लघु भारत है, जहां देश के कोने कोने से हम सब के पिता लोग यहां अपने मेहनत पसीने से इस भिलाई स्टील प्लांट को खडा किया और इस भिलाई के कारण पूरे राज्य ने देश की आर्थिक शक्ति में बड़ा योगदान देने का कार्य भिलाई ने किया जो श्रम शक्ति का संगठित करके उसमें भी आज के युग में जो इकोनोमी युग चल रहा है, जो अर्थ युग चल रहा है।
प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने कहा कि ज्ञान की शक्ति को कभी भी कहीं कोई नकार नहीं सकता। दुनिया में हमारे तमाम अंगों का प्रत्यारोपण बताया दिया गया है, लेकिन बुद्धि का अभी तक प्रत्यारोपण करते हुए किसी ने नहीं देखा। ब्राह्मणत्व का मतलब है सत्य के लिए साहस रखना।
ब्राह्मणत्व का मतलब है वेद भी है। लोग आपके चरणों में ऐसे नहीं आते हैं, चरण में तब आते हैं जबकि आचरण आपका वैसा चरण आचरण होगा। लोग चरण में आ जाते हैं और इसलिए हमारे पूर्वजों के चरणों में बड़े बड़े राजा जो भिक्षाटन करते थे, उनके चरणों में अपनी अगर पगडी रखते थे तो उनका आचरण ऐसा था।
उनके पास ज्ञान की शक्ति वैसी थी और आज भी ज्ञान की शक्ति की महत्ता को कोई दुनिया में कम नहीं कर सकता। कार्यक्रम को वित्त आयोग निगम के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र पाण्डेय ने भी संबोधित किया।
संयोजक-पार्षद ने ये जानकारी दी
पार्षद एवं परशुराम सेवा समिति के संयोजक पीयूष मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि एक वर्ष पूर्व सर्व ब्राम्हण समाज द्वारा परशुराम जन्मोत्सव के दिन ही खुर्सीपार आईटीआई के पीछे परशुराम चौक की स्थापना की गई थी।
साथ ही यहां पर भगवान की विशालकाय प्रतिमा लगाने का संकल्प लिया गया था। जिसके पश्चात इस वर्ष यहां पर भगवान परशुराम की विशालकाय प्रतिमा का आज भव्य रूप से अनावरण किया गया। इस दौरान श्रद्धालओं के साथ परशुराम धाम न्यू खुर्सीपार के लिए सोभायात्रा निकाली गई, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं से प्रसाद ग्रहण किया।
कार्यक्रम में ये रहे मौजूद
इस दौरान मंच पर विशेष रूप से शिक्षाविद आईपी मिश्रा, राममिलन दुबे, प्रभुनाथ मिश्रा, यूके दीक्षित, भाजयुमो प्रदेश कार्यसमिति सदस्य मनीष पाण्डेय, विजय शर्मा, मधुसूदन शर्मा, डॉ. दीप चटर्जी, केके झा आदि उपस्थित थे।