Manipur President Rule: 250 से ज्यादा मौत के बाद मणिपुर के सीएम का पहले इस्तीफा, अब राष्ट्रपति शासन, देरी पर उठे सवाल

Manipur President Rule: After more than 250 deaths, first resignation of Manipur CM, now President's rule, questions raised on delay
राहुल गांधी बोले-मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करना भाजपा द्वारा मणिपुर में शासन करने में अपनी पूर्ण अक्षमता की देर से की गई स्वीकारोक्ति है।
  • 3 मई 2023 से हिंसा जारी है। मणिपुर की महिलाओं को निर्वस्त्र करके जुलूस निकाला गया था।

सूचनाजी न्यूज, मणिपुर। पूर्वोत्तर भारत का मणिपुर राज्य दंगे की चपेट में रहा। लगातार दो साल से यहां हिंसा होती रही। 250 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। सत्ता पक्ष बीजेपी और विपक्षीय दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप होता रहा। दंगे और मौत के बीच न सीएम ने इस्तीफा दिया और न ही राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। अब हालात जब बदल रहे हैं तो ऐसे में सीएम एन बीरेन सिंह ने पहले इस्ताफा दिया। अब केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लगा दिया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब यही फैसला होना था तो इतनी देरी क्यों की गई?

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लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर कटाक्ष किया। उन्होंने एक्स पर लिखा- #Manipur में राष्ट्रपति शासन लागू करना भाजपा द्वारा मणिपुर में शासन करने में अपनी पूर्ण अक्षमता की देर से की गई स्वीकारोक्ति है। अब, प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर के लिए अपनी प्रत्यक्ष जिम्मेदारी से इनकार नहीं कर सकते।

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क्या उन्होंने आखिरकार राज्य का दौरा करने और मणिपुर और भारत के लोगों को शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने की अपनी योजना के बारे में बताने का मन बना लिया है?

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बता दें कि 3 मई 2023 से हिंसा जारी है। मणिपुर की महिलाओं को निर्वस्त्र करके जुलूस निकाला गया था। इस घटना ने देश-दुनिया में हड़कंप मचा दिया था। पीएम मोदी को भी अपनी चुप्पी तोड़नी पड़ी थी। केंद्र सरकार तमाम दावे करती रही, लेकिन मणिपुर में हिंसा जारी रही। दो समुदाय के बीच हिंसा ने आम लोगों की जान लिया।

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9 फरवरी को सीएम एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे चुके हैं। राज्य की विधानसभा को भी भंग कर दिया गया है। इसी के साथ भारतीय जतना पार्टी की अब सरकार नहीं रही। साल 2027 में यहां विधानसभा के चुनाव होने हैं। अब देखना यह है कि सरकार यहां चुनाव कब कराएगी।

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मैतेई, कुकी समुदाय के बीच चल रही जंग के बीच नए सीएम चेहरा की तलाश की गई थी। लेकिन, कामयाबी नहीं मिल सकी। पूर्वोत्तर के को-आर्डिनेट संबित पात्रा ने डेरा डाला। विधायकों से बातचीत की। किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन सकी। इस वजह से सरकार ने राष्ट्रपति शासन की तरफ रुख किया। राज्यपाल ने केंद्र सरकार को राष्ट्रपति शासन के लिए लिखा था। बता दें कि 23 साल बाद राष्ट्रपति शासन लगा है। 2001 में पिछली बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। इससे पहले भी 10 बार राष्ट्रपति शासन लग चुका था।

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