- पेंशनरों के मामले में न तो नामुमकिन हो रहा है, न ही मुमकिन।
- न पेंशनर्स उनके की मन की बात समझ पा रहे है, न वो इनके मन की बात…। ऐसा कैसे चलेगा और कब तक…।
- सबको आशा की डोर से लटकाए रखने का क्या सबब हो सकता है।
- यही बात किसी को समझ नहीं आ रही है।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन (EPS 95 Minimum Pension) को 1000 से बढ़ाकर 7500 रुपए करना नामुमकिन नहीं, मुमकिन है। सरकार को इस पर फैसला लेना है। जैसे वोट बैंक के हिसाब से लिया जाता है। पेंशनर्स की आवाज बन चुके Anil Kumar Namdeo ने सोशल मीडिया (Social Media) पर मन की बात लिखी। पीएम मोदी से गुहार लगाई।
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EPS 95 पेंशन (EPS 95 Pension) पर किंकर्तव्यविमूढ़ वोभी-किंकर्तव्यविमूढ़ हम भी…शीर्षक से पोस्ट लिखा, जो काफी मार्मिक भी है। उन्होंने लिखा-इस देश में जो कभी किसी ने सोचा न था ,वो कर के दिख दिया गया। बहुत सी बातें देश हित में भी हुई हैं। इससे किसी को इनकार भी नहीं है।
आगे भी बहुत ही जनहित की योजनाओं की घोषणा होती रहीं है…। देश आगे बढ़ रहा है…। ये तो सब दिख ही रहा है, पर वो नहीं दिख पा रहा है। जो पेंशनर्स देखने की कोशिश कर रहे है। पेंशनरों के मामले में न तो नामुमकिन हो रहा है, न ही मुमकिन। हम तो कहते हैं, कर दें जो करना है। कह दें जो कहना है…। सबको आशा की डोर से लटकाए रखने का क्या सबब हो सकता है। यही बात किसी को समझ नहीं आ रही है। यदि वो समझते हैं कि पेंशनर्स उनका क्या बिगाड़ लेंगे तो कह दें कि पेंशन नहीं बढ़ाएंगे,जो करना है कर लो।
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पेंशनर्स नामदेव ने लिखा-जैसे कृषि कानून के मामले में उनका फैसला है। उनका तो राजनैतिक प्रेरित मामला हो सकता है। ऐसा कहा जा रहा है, पर हमारा तो कोई ऐसा मामला नहीं है। अरे भाई हमारे पीछे तो किसी राजनीति पार्टी का हाथ नहीं है। न हमने कभी किसी से समर्थन लेने की गुहार लगाए हैं। फिर हमसे डर किस बात का?
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पेंशनरो को बैंक वोट भी नहीं मानते हों शायद। पर, देश के नागरिक तो मानते होंगे कि वो भी नहीं…? आखिर मसला क्या है… न हम उनके की मन की बात समझ पा रहे है न वो हमारे मन की बात…। ऐसा कैसे चलेगा और कब तक…।