CSR पर छिड़ी बहस, मंत्री बोले-यह दान नहीं, कर्तव्य और जिम्मेदारी है…

  • केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्री मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व कोई दान नहीं है, बल्कि समाज के प्रति एक कर्तव्य और ज़िम्मेदारी है।

सूचनाजी न्यूज, पुणे। सीएसआर (CSR) को लेकर सवाल उठते रहे हैं। कोई इसे दान बोलता है तो कोई सामाजिक दायित्व। एक बार फिर, यह सुर्खियों में आ गया है। केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने खुलकर इस बार बोल दिया है।

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उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) कोई दान नहीं है, बल्कि समाज के प्रति एक कर्तव्य और जिम्मेदारी है, क्योंकि हमें जो भी मिला है उसका एक हिस्सा समाज को लौटाने के उच्चतम मूल्यों से प्रेरित है, जिस क्षमता और जिस हद तक हम कर सकते हैं।

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डॉ. जितेंद्र सिंह आज कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) अधिनियम के कार्यान्वयन के एक दशक पूरे होने के अवसर पर महाराष्ट्र के ठाणे में रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी (आरएमपी) द्वारा आयोजित कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व संवाद के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में सभा को संबोधित कर रहे थे।

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सामाजिक दायित्व संस्कार और प्राचीन भारतीय परंपरा का हिस्सा

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सामाजिक दायित्व हमारे संस्कार और प्राचीन भारतीय परंपरा का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज के कल्याण में योगदान देने की भावना प्रत्येक भारतीय व्यक्ति में निहित है, लेकिन कभी-कभी इसे प्रेरणा, मार्ग और दिशा की आवश्यकता होती है।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सामाजिक दायित्व का सबसे अच्छा उदाहरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उन संपन्न नागरिकों से की गई अपील है जो गैस कनेक्शन खरीद सकते हैं, ताकि वे स्वेच्छा से योग्य और गरीबों के लाभ के लिए अपनी सब्सिडी छोड़ दें।

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20 करोड़ लोगों ने सब्सिडी छोड़ दी

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान का प्रेरक प्रभाव पड़ा और कुछ ही समय में 20 करोड़ लोगों ने सब्सिडी छोड़ दी, जिसका उपयोग उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को सहाता देने के लिए किया गया।

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स्वामी विवेकानंद ने जमशेदजी टाटा को प्रेरित किया था

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसी तरह, स्वामी विवेकानंद ने जमशेदजी टाटा को स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च करने के लिए प्रेरित किया था, जब उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) (Tata Institute of Fundamental Research (TIFR)), राष्ट्रीय प्रदर्शन कला केंद्र (एनसीपीए) और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल जैसे अग्रणी संस्थानों की स्थापना की थी।

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यह मानते हुए कि समाज में योगदान केवल अमीर और संपन्न लोगों तक ही सीमित नहीं है, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह किसी भी माध्यम से समाज के उत्थान के लिए काम करे।

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स्टार्टअप स्थापित करने पर करें फोकस

डॉ. जितेंद्र सिंह ने विज्ञान सामाजिक उत्तरदायित्व का उल्लेख करते हुए कहा कि विज्ञान के शिक्षक और विशेषज्ञ अपने अनुभव का उपयोग शोधकर्ता बनने और स्टार्टअप स्थापित करने के लिए कर सकते हैं।

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दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए

उन्होंने कहा कि ऐसे में आशा है कि कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) का योगदान भी कई गुना बढ़ जाएगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “आइए हममें से प्रत्येक को हरसंभव प्रयास करना चाहिए, हमें न केवल कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) गतिविधि में योगदान देना चाहिए, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए।

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हमें विभिन्न क्षेत्रों में समाज में योगदान करने के तरीकों की तलाश करनी चाहिए और विकसित भारत @2047 के लिए बुनियादी ढांचे और संस्थानों का निर्माण करना चाहिए।”

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दुनिया का पहला देश

भारत 1 अप्रैल 2014 को, कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (corporate social responsibility) को कानूनी रूप से अनिवार्य करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था। कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 135 के नियम एक निश्चित टर्नओवर और लाभप्रदता वाली कंपनियों के लिए पिछले तीन वर्षों के औसत शुद्ध लाभ का 2 प्रतिशत कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व गतिविधियों पर खर्च करना अनिवार्य बनाते हैं।

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सबसे विस्तृत कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) व्यवस्था वाले भारत ने राष्ट्र निर्माण में स्थिरता लक्ष्यों और हितधारक सक्रियता को प्राप्त करने में एक मानदंड स्थापित किया है।

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