मरीज ई-एम्बुलेंस से जाएंगे हॉस्पिटल, हाइवे पर ई-ट्रक और शहर में चलेगी ई-बस

Patients will go to hospital by e-ambulance, e-truck will run on the highway
ई-एम्बुलेंस के लिए 500 करोड़ रुपए का बजट। आरामदायक रोगी परिवहन के लिए ई-एम्बुलेंस के उपयोग को प्रोत्साहित करने पर जोर।
  • CO2 उत्सर्जन को कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक ट्रकों को अपनाने के लिए बढ़ावा।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। अब तक आपने इलेक्ट्रिक साईकिल, स्कूटी को बहुत देखा होगा। अब ई-एम्बुलेंस और ट्रक भी शहर में दौड़ती नजर आएगी। पीएम ई-ड्राइव योजना (PM e-Drive Scheme) का लाभ उठाते हुए सरकारी एजेंसियों ने इसकी दिशा में कदम बढ़ा दिया है।

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इस योजना के तहत ई-एम्बुलेंस तैनात करने के लिए 500 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है। आरामदायक रोगी परिवहन के लिए ई-एम्बुलेंस के उपयोग को प्रोत्साहित करने की यह एक नई सरकारी पहल है।

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स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) (एमओएचएफडब्ल्यू), सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) (एमओआरटीएच), और अन्य संबंधित हितधारकों के सहयोग से प्रदर्शन और सुरक्षा मानक तय किए जाएंगे।

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ई-एम्बुलेंस के लिए पात्रता मानदंडों पर इस वक्त एमओएचएफडब्ल्यू के साथ विचार विमर्श किया जा रहा है और ये जल्द ही घोषित किए जाएंगे।

वाह…ई-ट्रक भी आएगी नजर

इस योजना का मकसद CO2 उत्सर्जन को कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक ट्रकों को अपनाने के लिए बढ़ावा देना और भविष्य में ई-ट्रकों को एक प्रमुख लॉजिस्टिक समाधान के रूप में स्थापित करना है।

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ई-ट्रकों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए 500 करोड़ रुपये का फंड अलग से रखा गया है। केवल एमओआरटीएच द्वारा अनुमोदित वाहन स्क्रैपिंग सेंटर (आरवीएसएफ) से जारी होने वाले स्क्रैपिंग प्रमाणपत्र रखने वाले लोग ही इस प्रोत्साहन के लिए पात्र हैं।

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मॉनिटरिंग सिस्टम के ज़रिए स्क्रैपिंग प्रमाणपत्रों का सत्यापन किया जाएगा। लाभार्थी वाहनों की संख्या, अधिकतम सब्सिडी, प्रदर्शन मानदंड आदि सहित ई-ट्रकों के लिए ज़रुरी जानकारी, संबंधित हितधारकों के साथ परामर्श के आधार पर अलग से अधिसूचित की जाएगी।

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इन शहरों में दौड़ेगी ई-बसें

राज्य परिवहन उपक्रमों (एसटीयू)/सार्वजनिक परिवहन एजेंसियों द्वारा 14,028 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए कुल 4,391 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इन बसों के लिए मांग एकत्रीकरण का प्रबंधन सीईएसएल द्वारा 40 लाख से अधिक आबादी वाले नौ प्रमुख शहरों, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, सूरत, बैंगलोर, पुणे और हैदराबाद में किया जाएगा।

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एमओआरटीएच के दिशानिर्देशों के अनुसार पुरानी एसटीयू बसों को हटाने के बाद, ई-बसें खरीदने वाले शहरों को प्राथमिकता दी जाएगी। विशेष भौगोलिक क्षेत्रों-पहाड़ी और उत्तर-पूर्वी राज्यों, द्वीप क्षेत्रों, तटीय क्षेत्रों आदि में ई-बसों की खरीद और संचालन के लिए ई-बस प्रवेश को प्रोत्साहन देने के लिए, गैर-ओपेक्स मॉडल सहित अलग दिशानिर्देश एमएचआई द्वारा अपनाए जा सकते हैं।

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