एसीसी जामुल भिलाई के कार्मिकों ने Suchnaji.com को बताया कि कंपनी के जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों ने टेक्नीशियन को बुलाना शुरू कर दिया है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयर भाव औंधे मुंह गिरे। अडानी के अर्थतंत्र पर ऐसा असर पड़ा कि अब छंटनी तक की नौबत आने लगी है। एससीसी (ACC) और अंबूजा सीमेंट्स (Ambuja Cements) को खरीदने वाले अडानी ग्रुप (Adani Group) के छत्तीसगढ़ स्थित जामुल एसीसी प्लांट से मायूस करने वाली खबर सामने आ रही है।
यहां के टेक्नीशियन को बोल दिया गया है कि आप वीआर ले लें। अन्यथा कंपनी आपको जबरन रिटायर कर देगी। एसीसी जामुल भिलाई के कार्मिकों ने Suchnaji.com को बताया कि कंपनी के जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों ने टेक्नीशियन को बुलाना शुरू कर दिया है। सभी यही बोला जा रहा है कि वीआरएस ले लीजिए। कंपनी अब आपको आगे मौका नहीं देने वाली है।
अगर, खुद वीआर नहीं लेंगे तो अनिवार्य रूप से हटा दिया जाएगा। जिस-जिस कार्मिकों को छंटनी का संदेश दे दिया है, अब वे तनाव में आ चुके हैं। परिवार के भरण-पोषण को लेकर परेशान हो गए हैं। नौकरी जाने के बाद होम लोन, कार लोन, बच्चों के स्कूल की फीस आदि को लेकर बेचैनी बढ़ती जा रही है। कार्मिकों का एक दल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, सांसद विजय बघेल, विधायक देवेंद्र यादव से मिलकर अपना दुखड़ा सुनाने की तैयारी कर चुके हैं।
अडानी ग्रुप (Adani Group) के बारे में पिछले साल ही दावा किया गया था कि छंटनी का दौर शुरू होने जा रहा है। पहली गाज कारपोरेट आफिस में बैठने वाले अधिकारियों पर गिरने वाली थी। इस बाबत अडानी ग्रुप की ओर से आधारिक पुष्टि नहीं की गई है। इंतजार किया जा रहा है कि जल्द ही प्रबंधन की ओर से इस पर कोई जवाब आएगा।
होल्सिम कंपनी में अच्छी सैलरी मिलती थी। अडानी ग्रुप द्वारा टेकओवर करने के बाद सैलरी कम करने के लिए छंटनी का सहारा लिया जा रहा है। बता दें कि पिछले साल छत्तीसगढ़ के एसीसी सीमेंट प्लांट का दौरा करने के लिए गौतम अडानी के बेटे करण अडानी खुद भिलाई पहुंचे थे। सीमेंट प्लांट का दौरा करने के बाद अधिकारियों के साथ बैठक में फीडबैक लिया था।
करण अडानी ने बड़ा ख्वाब देखने का सबक दिया था। खदान आवंटन और अन्य प्रक्रिया की जानकारी ली थी। करण ने अधिकारियों को कहा था कि जब लीज आवंटन की प्रक्रिया करा रहे थे तो कम क्यों कराया। ज्यादा की उम्मीद क्यों नहीं रखी गई। ज्यादा के लिए कोशिश करनी चाहिए। इससे कंपनी और कार्मिकों का भला होता है।