- समझौते पर जो साइन कर दिए, उनका क्या भरोसा रहेगा। हमें कोर्ट पर ही भरोसा है। 39 माह के बकाया एरियर की राशि लेकर रहेंगे। बिना लड़े, कुछ मिलने वाला नहीं है।
अज़मत अली, भिलाई। स्टील का अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (Steel Authority of India Limited-SAIL) के कर्मचारियों का दुखड़ा कम नहीं हो रहा है। वेतन समझौते और बकाया एरियर का मामला हल हुआ नहीं था। अब नाइट शिफ्ट एलाउंस के साथ बायोमेट्रिक गले में अटक चुका है। समझौते पर साइन करने वाली एनजेसीएस यूनियनों के नेता भी अब भड़के हुए हैं। भिलाई, दुर्गापुर, अलॉय स्टील प्लांट के इंटक नेता अपने नेताओं के फैसले पर सवाल उठा चुके हैं। वहीं, बीएमएस से संबद्ध राउरकेला इस्पात कारखाना कर्मचारी संघ भी खुलकर विरोध में आ गया है।
राउरकेला इस्पात कारखाना कर्मचारी संघ (Rourkela ispat karkhana karmachari sangh ) के अध्यक्ष हिमांशु शेखर बल से सूचनाजी.कॉम ने बातचीत की। कर्मचारियों के मुद्दे पर कई सवाल दागे। बारी-बारी से एक-एक सवालों का जवाब हिमांश शेखर बल ने दिया। साफ शब्दों में कहा कि नाइट शिफ्ट एलाउंस के साथ बायोमेट्रिक के समझौते पर जिन लोगों ने साइन किया है, वह गलत किए हैं। हमने अपने केंद्रीय नेतृत्व को मैसेज कर दिया है। उन्हें जानकारी दे दी गई कि कर्मचारियों के हित में फैसला नहीं लिया गया है। ओडिशा में सरकार गठन होने के बाद इस दिशा में प्रयास को तेज किया जाएगा।
यूनियन अध्यक्ष का कहना है कि नाइट एलाउंस (Night Allowance) के साथ बायोमेट्रिक जोड़ने का क्या औचित्य है। इससे हम लोग सहमत नहीं। मैनेजमेंट जो बोलता है उसी पर नेता नांच रहे हैं। खुद की कोई पकड़ नहीं है। कोई समझ नहीं है।
ये खबर भी पढ़ें : EPS 95 Higher Pension: PF ट्रस्ट विवाद होगा हल या सरकार देगी EPFO का साथ
ढाई साल और बचा, फिर आगे क्या
हिमांशु शेखर बल ने बताया कि सेल कर्मचारियों का नुकसान हो रहा है। लगातार नुकसान के बाद भी प्रबंधन ठहर नहीं रहा है। आधे-अधूरे वेतन समझौते को साढ़े 7 साल होने जा रहा है। ढाई साल का समय बचेगा। एमओयू धोखा हुआ है। इतना जल्दी समाधान निकलने का रास्ता नहीं दिख रहा है। कर्मचारियों को ही आगे आना होगा।
ये खबर भी पढ़ें : EPS 95 Higher Pension: PF ट्रस्ट विवाद होगा हल या सरकार देगी EPFO का साथ
ज्वाइंट फोरम और कोर्ट पर क्या बोले…
सवाल के जवाब में हिमाशु शेखर बल ने कहा-कर्मचारियों के लिए केंद्रीय नेता साइन करते हैं। और स्थानीय स्तर पर प्रदर्शन का नाटक किया जा रहा है। इंटक के नेता कुछ ऐसा ही कर रहे हैं। रही बात, ज्वाइंट फोरम की, तो क्या और किस पर भरोसा किया जाए। 3 लोग साइन कर देते हैं और दो विरोध में रहते हैं। जो साइन कर दिए, उनका क्या भरोसा रहेगा। हमें कोर्ट पर ही भरोसा है, हम छोड़ेंगे। 39 माह के बकाया एरियर की राशि लेकर रहेंगे। बिना लड़े, कुछ मिलने वाला नहीं है।