- बीएसपी के उच्चाधिकारी भी बोल रहे-स्थानीय प्रबंधन मंत्रालय के फैसले से सहमत नहीं है। लेकिन, खुलकर कोई बोल नहीं पा रहा है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल के भिलाई, बोकारो, दुर्गापुर, राउरकेला स्टील प्लांट के हॉस्पिटल पर खतरा मंडला रहा है। निजी हाथों में देने की तैयारियां शुरू हो चुकी है। कंसल्टेंसी एजेंसी ने भिलाई के लिए अपनी रिपोर्ट तक जमा कर दी है।
इस्पात मंत्रालय के दबाव में सेल कारपोरेट आफिस भी कुछ बोल नहीं पा रहा है। अब सभी प्लांट के हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने आपस में बातचीत करके एक राय बना ली है। हॉस्पिटल मैनेजमेंट निजीकरण के प्रस्ताव को मानने को राजी नहीं होगा। अस्पताल की सुविधाओं को बेहतर करने की दिशा में काम किया जाएगा। स्थानीय प्रबंधन भी मंत्रालय के फैसले से सहमत नहीं है। लेकिन, खुलकर कोई बोल नहीं पा रहा है।
सभी प्लांट के डाक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ के कॅरियर, कर्मचारियों-अधिकारियों और परिजनों के इलाज को लेकर चिंता जाहिर की जा रही है। कंसल्टेंसी एजेंसी ने निजीकरण का एक मॉडल बनाकर सेल प्रबंधन को सौंप दिया है। किस तरह से हॉस्पिटल को संचालित किया जा सकता है, इसकी रिपोर्ट आने के बाद हड़कंप मचा हुआ है।
भिलाई स्टील प्लांट द्वारा संचालित जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र की ओर से भी अपना जवाब प्रबंधन को सौंप दिया गया है। अब, अगली मीटिंग का इंतजार किया जा रहा है। कारपोरेट स्तर पर जो भी मीटिंग होगी, उसमें सभी प्लांट के मेडिकल प्रतिनिधि मजबूती से अपनी बात रखेंगे।
सबसे ज्यादा चिंता एक्स इम्प्लाइज-परिजन को लेकर व्यक्त की जा रही है। अकेले भिलाई में 50 हजार से ज्यादा की संख्या बताई जा रही है। इनका ख्याल रखना होगा। संस्था के लिए खून पसीना दिया है। अस्पताल है, इसलिए भिलाई में रहते हैं। घर बनाए हैं।
इधर-बोकारो स्टील प्लांट को लेकर भाजपा के एक नेता ने यहां तक दावा कर दिया कि बोर्ड से मंजूरी मिल चुकी है। इसका निजीकरण होना तय है। सूचनाजी.कॉम में खबर आने के बाद हर प्लांट में सक्रियता बढ़ गई है।
बोकारो जनरल हॉस्पिटल-बीजीएच के निजीकरण के विरुद्ध BAKS के नेतृत्व में कर्मियों ने आक्रोश सभा कर अपने क्रोध को प्रकट किया है। BAKS अध्यक्ष हरिओम, महासचिव दिलीप कुमार ने भरोसा दिलाया है कि हम सभी अपनी एकता के दम पर किसी भी हालत में बीजीएच सहित सेल के किसी भी अस्पताल का निजीकरण नहीं होने देंगे।
एक तरफ भारत सरकार, राज्य सरकार नए-नए एम्स, बड़े मेडिकल कॉलेज खोल रही है तो दूसरी तरफ सरकारी कंपनी के अस्पताल का निजीकरण करना ठीक नहीं है।












