इस्पात मंत्रालय के नाम पर सेल प्रबंधन कर रहा गुमराह, MoU रद्द कराने BAKS जा रहा कोर्ट

SAIL Management is Misleading in the Name of the Steel Ministry BAKS is Going to Court to Cancel the Wage Agreement MoU
  • डीपीई ने वेज रीविजन के लिए गाईडलाईन जारी किया है। सेल का 2017 से एबीटा सकारात्मक है।

सूचनाजी न्यूज, बोकारो। बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इस्पात मंत्रालय के नाम पर गुमराह करने का आरोप है। यूनियन नेताओं का कहना है कि सेल के 2017 वित्त वर्ष से लाभ और उत्पादन का आँकड़ा सबके सामने है। सेल प्रबंधन के झूठे दावों को उजागर किया गया है।

सेल के पिछले 10 सालों के फाईनेंसियल रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद यह स्पष्ट है कि वित्त वर्ष 2016-17 से सेल का एबीटा हमेशा सकारात्मक रहा है।

जिसका विवरण निम्नलिखित है

वित्त वर्ष: एबीटा
2016-17: 672 करोड़
2017—18: 5184
2018—19 : 10283
2019—20 : 11199
2020—21: 13740
2021—22: 22364
2022—23 : 9379
2023—24 : 12280
2024—25 : 11765
2025—26 (6 माह) : 5593

यूनियन के अनुसार एबीटा का अधिकतर भाग रनिंग प्रोजेक्ट, कर्ज पर ब्याज राशि चुकाने तथा डिप्रेशिएशन में दिखलाकर कर पूर्व लाभ को काफी कम दिखाया गया है। साथ मे पिछले मॉर्डनाईजेशन को समय पर नहीं पुरा करवाने तथा उच्च लागत के कारण भी सेल के उपर भारी वित्तीय बोझ पड़ा है। इस्पात मंत्री ने राज्यसभा के लिखित जवाब मे जानकारी दिया है कि पिछले मॉर्डनाईजेशन की लागत 8100 करोड़ रुपया अधिक हुई थी।

सेल का कर पूर्व लाभ

वित्त वर्ष: कर पुर्व लाभ (करोड़ रुपये में)
2016-17 : (4581)
2017—18 : (759)
2018—19 : 3338
2019—20 : 3171
2020—21 : 6879
2021—22 : 16039
2022—23 : 2637
2023—24 : 3688
2024—25 : 3009
2025—26 (6 माह) : 1439

उपरोक्त आँकड़ों से स्पष्ट है कि 2017 के बाद सेल कभी भी वित्तीय रुप से गंभीर हालत में नहीं थी। उसमें भी कंपनी के आम कर्मचारी कभी भी डिसिजन मेकिंग में भागीदार नहीं थे। सेल प्रबंधन की गलत नीतियों, समय पर पिछले मॉर्डनाईजेशन तथा एक्सपेंशन को पूरा नहीं करने के कारण ही कंपनी कुछ समय के लिए संकट में थी।

सेल के उत्पादन पर एक नजर

वित्त वर्ष: हॉट मेटल क्रुड स्टील (आँकड़े मिलियन टन में)
2016—17 : 15.72 :14.49
2017—18 : 15.98 :15.02
2018—19 : 17.51 : 16.26
2019—20 : 17.43 : 16.15
2020—21 :16.58 : 15.21
2021—22 : 18.73 17.36
2022—23 :19.40 : 18.29
2023—24 : 20.49 : 19.24
2024—25 : 20.30 : 19.17

यूनियन बोला-सेल कर्मियों के वेज रीविजन में की गई गलतियाँ

1 . बगैर एमओए के ही वेज रीविजन 2017 लागू करना तथा एनजेसीएस सब कमेटी में हुए बहुमत आधारित समझौते को फुल एनजेसीएस से पारित नहीं करवाना। जबकि लगभग पिछले सभी वेज रीविजन फुल एनजेसीएस में आम सहमति के माध्यम से एमओए होने के बाद प्रभावी किया गया था।

2 . एनजेसीएस संविधान में वर्णित आम सहमति की जगह बहुमत से वेज रीविजन 2017 का एमओयू करना। जबकि 283th एनजेसीएस मीटिंग मे प्रबंधन और यूनियन इस पर सहमत भी हुए थे। जबकि एनजेसीएस संविधान में आम सहमति के आधार पर ही समझौता होने का नियम भी है।

3 . वेज रीविजन प्रक्रिया में खुद सेल प्रबंधन द्वारा विलंब करना तथा पर्क्स प्रतिशत को सरकार की मंजूरी तिथि से प्रभावी करवाना, जिसमें इस्पात मंत्रालय द्वारा मौन सहमति देना। जबकि इस्पात मंत्रालय द्वारा, सेल अधिकारी वर्ग के पर्क्स प्रतिशत को अप्रैल 2020 से मंजूरी देकर 18 माह के पर्क्स के एरियर का भुगतान करवाना।

4 . वेज रीविजन 2017 एमओयू में कही भी नोशनली तथा एक्चूअल इफेक्ट का जिक्र नहीं होने के बावजुद इस्पात मंत्रालय द्वारा खुद से नोशनली इफेक्टेड 01.01.2017 तथा एक्चुअल इफेक्टेड 01.04.2020 अंकित कर सर्कुलर निकालना।

5 . वेज रिवीजन एमओयू में एरियर के लिए (01.01.2017 से 01.03.2020 तक के लिए) सब कमेटी गठित करने का समझौता करने के बावजूद, सब कमेटी गठित नहीं करना।

6 . वेज रीविजन से जुड़े मामले को हल कराने के लिए फुल एनजेसीएस नहीं बुलाना। 21 अक्टूबर 2021 के अवैध वेज रीविजन एमओयू के बाद मात्र दो फुल एनजेसीएस मीटिंग बुलाना, जिससे आज तक सभी मुद्दों पर आम सहमति नहीं बनी है।

वेज रिवीजन में खुलेआम धांधली

अब हमारी यूनियन वर्तमान एमओयू को ही रद्द करवाने के लिए न्यायालय की शरण में जाएगी। सेल प्रबंधन और गैर निर्वाचित नेताओं के सहयोग से वेज रिवीजन में खुलेआम धांधली की गई है। जिस पर न्यायालय में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
हरिओम-अध्यक्ष, बीएकेएस