- एक शेल कंपनी को सेल ने घोटाला करके लोहा बेचा, क्या यह सरकार के जानकारी के बिना संभव है?
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। संयुक्त यूनियन द्वारा भिलाई स्टील प्लांट के बोरिया गेट पर गेट मीटिंग कर पर्चा बांटा गया। संयुक्त यूनियन नेताओं ने बोरिया गेट में पर्चा बांटा। कहा कि 20 जनवरी के एनजेसीएस की बैठक में प्रबंधन ने यूनियनों को प्रस्ताव दिया था कि हड़ताल वापस ले लीजिए, 29 जनवरी को पुन: बैठक कर लेते हैं। प्रबंधन द्वारा जानबूझकर प्रस्तावित हड़ताल के दिन बैठक बुलाता देख यूनियनों ने प्रबंधन की बात को खारिज कर दिया था।
अब जबकि प्रबंधन ने मुख्य श्रम आयुक्त केंद्रीय के द्वारा बुलाए गए सुलह बैठक में लगातार एनजेसीएस बैठक कर मुद्दों को हल करने पर अपनी सहमति दी थी।
इसी आधार पर 29 एवं 30 जनवरी की हड़ताल स्थगित हुई है तो प्रबंधन अपने पूर्व प्रस्ताव के अनुसार 29 को बैठक बुला सकती थी। न ही 29 जनवरी को बैठक हुई और न ही अभी तक एनजेसीएस की बैठक का कोई दिन निश्चित किया है। यूनियन नेताओं ने कहा कि प्रबंधन जल्द से जल्द अपने वादे के अनुसार एनजेसीएस बैठक बुलाकर मुद्दों का निराकरण करे।
सेल में हुए घोटाले के खिलाफ सभी कर्मी एक हों
संयुक्त यूनियन के नेताओं ने कहा कि सेल के स्टील बेचने में जो घोटाला सामने आया है। वह सामान्य बात नहीं है। कर्मियों के खून पसीने से बना हुआ लोहे का एक-एक टुकड़ा बेसकीमती है, जिसे घोटाले के हवाले नहीं किया जा सकता है। इसीलिए सेल में हुए इस घोटाले के खिलाफ सभी कर्मियों को एक होना होगा।
संयंत्र के अंदर अक्सर स्टोर से चोरी होने, संयंत्र में स्लेग के रास्ते लोहा,तांबा, पीतल को संयंत्र से बाहर पार करने, संयंत्र से बड़े-बड़े सामान ट्रैकों में लाद कर गोलमाल करने की बातें सार्वजनिक होती रही है।
चोरी के लोहे को संयंत्र से बाहर पहुंचने के बाद पुलिस में शिकायत करने पर छानबीन के दौरान पुलिस के गिरफ्त में आने तथा कुछ चोरी की घटनाओं का पुलिस में शिकायत ही न करने पर पूरे मामले का रफा दफा हो जाने की बातें भी सामने आई है।
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ज्ञात हो कि यह बड़े-बड़े सामान बिना क्रेन लगाए उठाकर ट्रैकों में लोड करना संभव नहीं है। अर्थात संयंत्र प्रबंधन के जानकारी के बिना क्या यह सब संभव है।
इस तरह चोरी अथवा घोटाला करके संयंत्र से बाहर पहुंचने वाला एक-एक लोहे का टुकड़ा न केवल कीमती है, बल्कि कर्मियों के खून पसीने की कमाई है। जिस पर कर्मियों को कड़ी नजर रखनी होगी।
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एक शेल कंपनी को सेल ने घोटाला करके लोहा बेचा, क्या यह सरकार के जानकारी के बिना संभव है?
संयुक्त यूनियनों ने कहा कि यह बात जानकारी में आ रही है कि सेल के लोहा घोटाले में जिन कंपनियों को लोहा बेचा गया है, वह शेल कंपनियां है। शेल कंपनियां वह होती है जिनका धरातल पर कोई आधार नहीं होता। यह केवल कागजों में बनी होती है।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों गौतम अदानी के कंपनी में शेल कंपनियों द्वारा पैसा इन्वेस्ट करके अदानी ग्रुप को ऊपर उठने की बात हिडेनबर्ग की रिपोर्ट में आई थी। इसके बाद न केवल अदानी ग्रुप का शेयर नीचे गिरा, बल्कि देश दुनिया में उसकी किरकिरी भी हुई।
इस पूरे मामले का सरकार ने जांच करने के नाम पर गोलमोल कर दिया। अब सवाल यह उठता है कि सेल के द्वारा शेल कंपनियों को बेचे गए लोहा एवं इन शेल कंपनियों के बारे में क्या सरकार को जानकारी नहीं थी ?
यह सब जांच एवं विचारणीय प्रश्न है, जिस पर कर्मचारियों को गहराई से सोचना होगा एवं संघर्ष के मैदान में उतरना होगा, तभी हम सेल को बचाते हुए अपने वेतन समझौता को संपन्न करवा सकते हैं।
संयंत्र में बन रहा है भय का वातावरण
संयंत्र में नियमित कर्मचारियों को ट्रांसफर एवं पनिशमेंट का भय दिखाकर कार्य कराया जा रहा है। ठेका श्रमिकों को काम से निकाले जाने का भय दिखा कर असुरक्षित कार्य करवाया जा रहा है। नियमित कर्मचारी एवं ठेका श्रमिक खुलकर बात करने से भी कतराते हैं।