- झारखंड मजदूर संघर्ष संघ के महासचिव राजेंद्र सिंधिया ने सेल-NJCS कमेटी पर उठाए सवाल।
सूचनाजी न्यूज, झारखंड। नेशनल ज्वाइंट कमेटी फॉर स्टील इंडस्ट्री-एनजेसीएस (National Joint Committee for Steel Industry-NJCS) में खदान कर्मचारियों के प्रतिनिधित्व की मांग तेज हो गई है। सेल प्रबंधन (SAIL Management) के सामझौता एनजेसीएस के जरिए ही होता है। एनजेसीएस में खदान से प्रतिनिधि न होने से आवाज गूंजने के बजाय दब जाती है।
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झारखंड मजदूर संघर्ष संघ (Jharkhand Mazdoor Sangharsh Sangh) के महासचिव राजेंद्र सिंधिया का कहना है कि सेल-NJCS कमेटी में सिर्फ SAIL के स्टील प्लांट के श्रमिक संगठनों की भरमार है। चाहे वह फुल बॉडी कमेटी हो अथवा सब कमेटी हो। खदान कर्मियों कहीं जगह नहीं। ना खदान कर्मियों की कोई बात सुनी जाती है ना ही समाधान किया जाता है। जबकि खदान इस्पात उद्योग का कैप्टिव खदान है।
उन्होंने कहा कि लाभ और क्षति मे खदान का भी बहुत बड़ा रोल है। क्या सेल प्रबंधन या NJCS के पांच घटक दलों को यह मालूम नहीं। सब मालूम है बस खदान को NJCS मे प्रतिनिधित्व नहीं देना है। प्लांट जो निर्णय दे उसे मानना है। सेल समविधान मे पांच राष्टीय श्रमिक संगठनों सहित मान्यता प्राप्त श्रमिक संगठनो की भी जगह है। पर प्रबंधन और NJCS के घटक दलों ने सिर्फ अपने ही लोगों को जगह दे रही है।
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चुनाव नहीं करा रहे हैं। चुनाव होना चाहिए और सभी को अपना सवाल पूछने का मौका देना चाहिए। अपने समस्या का समाधान करना चाहिए। इस लिए NJCS का पूर्ण गठन जरूरी, जिसमे खदान को भी प्रतिनिधित्व मिले।
झारखंड मजदूर संघर्ष संघ (Jharkhand Mazdoor Sangharsh Sangh) किरीबुरु यह मुद्दा सेल चेयरमैन और इस्पात मंत्रालय के समक्ष उठा चुकी है। अब परिवाद दायर करने की तैयारी कर रही है। सरकार द्वारा जारी तीन श्रम कानून को जिसमे औरद्योगिक नियोजन स्थाई आदेश अधिनियम, ट्रेड यूनियन एक्ट और औद्योगिक विवाद अधिनियम सेल प्रबंधन और NJCS नहीं मान रही है। कोई भी सरकारी संस्था या प्रतिष्ठान, अथवा उद्योग सरकारी अधिनियम का कैसे उल्लंघन कर श्रमिकों का अहित मे कार्य कर सकती है।
राजेंद्र सिंधिया ने कहा-फिर श्रम कानून का देश में क्या जरूरत है? सेल कर्मचारीयों का वेज सेटलमेंट आज तक नहीं हो पाया। आखिर क्यों? सवाल का ना तो NJCS घटक दल या ना ही सेल प्रबंधन जवाब दे रही है। हड़ताल नोटिस दिया गया था। दो महीने के समय लिया गया था। सेल प्रबंधन चुप और NJCS नेता चुप। आज भी मुद्दे के जस के तस हैं। इसलिए NJCS का पूर्ण गठन NJCS संविधान के तहत और जरूरत पड़ी तो NJCS संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए।
1969, 1979 का एक वक्त था, आज 2024 का एक वक्त है। सेल में कई परिवर्तन हुए है तो NJCS कमेटी में संशोधन क्यों नहीं हो सकता। NJCS संविधान modify होना चाहिए और खदान कर्मियों को भी इसमें जगह मिलना चाहिए।
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