- RLC(C) और सीएलसी सेंट्रल के बीच रस्साकशी चल रही थी। अब विराम लग गया है।
सूचनाजी न्यूज, राउरकेला। SAIL प्रबंधन (Management) पर आरोप लग रहा है कि अफसरों का 50% हाउस टैक्स(House TAX) खुद अदा करता है। वहीं, कर्मचारियों को इस मद में फूटी-कौड़ी नहीं दी जाती है। इसको लेकर राउरकेला स्टील प्लांट (Rourkela Steel Plant) के कर्मचारियों ने मोर्चा खोल दिया है।
यह मामला सेल कारपोरेट आफिस (SAIL Corporate Office) का है या स्थानीय प्रबंधन का…। इसको लेकर RLC(C) और सीएलसी सेंट्रल (CLC Central) के बीच रस्साकशी चल रही थी। अब विराम लग गया है।
सेंट्रल ने स्पष्ट कर दिया कि यह मामला राउरकेला में ही सुना जाएगा। इसके बाद पहली मीटिंग (Meeting) मंगलवार को RLC(C) के कार्यालय में हुई। जहां आरएसपी प्रबंधन (RSP Management) के साथ राउरकेला इस्पात कारखाना (Rourkela Steel Factory) कर्मचारी संघ के जनरल सेक्रेटरी हिमांशु शेखर बल ने अपना पक्ष रखा।
कोई निष्कर्ष न निकलने पर मामले को श्रम मंत्रालय (labor Ministry) भेज दिया गया है। अब माना जा रहा है कि वहां यह केस खारिज कर दिया जाएगा या ट्रिब्यूनल-Tribunal में भेज दिया जाएगा। सबकी नजर श्रम मंत्रालय के अगले आदेश पर टिकी हुई है।
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Steel Authority of India Limited) – सेल (SAIL) के कर्मचारियों की मांग को लेकर राउरकेला इस्पात कारखाना कर्मचारी संघ के जनरल सेक्रेटरी हिमांशु शेखर बल ने आरएलसी-सेंट्रल (RLC-C) के पास परिवाद दायर किया था। पिछली मीटिंग में प्रबंधन की बात सुनने के बाद आरएलसी की तरफ से कहा गया था कि यह मामला सेल कारपोरेट आफिस का है। इसलिए राउरकेला में इसकी सुनवाई नहीं की जा सकती है।
अध्यक्ष हिमांशु बल ने आरएलसी को भिलाई का हवाला देते हुए बताया कि वहां की एक यूनियन दिल्ली सीएलसी के पास पहुंची तो उसे रायपुर भेज दिया गया। अब आप राउरकेला से दिल्ली भेजने की बात बोल रहे हैं। इस मीटिंग के बाद अगली मीटिंग मंगलवार को हुई जहां, केस को श्रम मंत्रालय ही भेज दिया गया।
यूनियन का कहना है कि सेल प्रबंधन 18 नवंबर 2021 से अधिकारियों को 50 प्रतिशत रिटर्न कर रहा है। कर्मचारियों को हक दिलाने के लिए मई में परिवाद दायर किया था। पहली सुनवाई 20 मई को हुई थी। उस वक्त स्थानीय प्रबंधन की तरफ से कहा गया था कि कारपोरेट में भेजेंगे।
प्रबंधन ने लिखित में दिया कि एनजेसीएस सब-कमेटी मीटिंग में इस विषय पर कोई डिमांड नहीं दिया गया और सब कमेटी के प्रस्ताब को 293वीं NJCS मीटिंग में पारित किया गया है। इसलिए इसके ऊपर दोबारा चर्चा नहीं हो सकता है। यह एनजेसीएस का मामला है।