सेल के एक महाप्रबंधक ने बताया कि जनवरी 2017 से वेज एग्रीमेंट हुआ। इससे पहले 2016 में प्रमोशन हो चुका था। इनका पुराने बेसिक से फिटमेंट हो गया है। समझौता होने के बाद ई-6 ग्रेड का वेतन ज्यादा हो गया, जबकि एस-7 का कम हो गया है।
अज़मत अली, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Steel Authority of India Limited) के कर्मचारियों के साथ ही अधिकारी भी परेशान हैं। कर्मचारी 39 माह के बकाया एरियर की मांग को लेकर हर स्तर पर आवाज उठा रहे हैं। लेकिन अब तक बैठक ही नहीं हो रही है, जिसमें इसका फैसला हो सके। इधर-महाप्रबंधक हर माह हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए चिंतित हैं। साल 2016 में प्रमोट होने वाले जीएम का वेतन अपने ही जूनियर अधिकारियों से कम हो गया है।
साल 2017 और 2018 में प्रमोट हुए अधिकारियों का वेतन 2016 में प्रमोट अफसर से करीब 18 हजार अधिक है। इस वजह से हर साल सवा 2 लाख रुपए की चपत लग रही है। इस तरह 2016 से अब तक करीब 16 लाख रुपए का नुकसान जीएम उठा चुके हैं। आगे इसका दायरा और बढ़ता ही जाएगा, क्योंकि विसंगति को दूर करने के लिए कहीं से कोई आवाज उठ नहीं रही है। आफिसर्स एसोसिएशन से उम्मीद जताई जा रही है कि तमाम मुद्दों के साथ इसकी आवाज भी उठाई जाएगी ताकि नुकसानी से बचा जा सके।
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सेल के एक महाप्रबंधक ने बताया कि जनवरी 2017 से वेज एग्रीमेंट हुआ। इससे पहले 2016 में प्रमोशन हो चुका था। इनका पुराने बेसिक से फिटमेंट हो गया है। समझौता होने के बाद ई-6 ग्रेड का वेतन ज्यादा हो गया, जबकि ई-7 का कम हो गया है। 2016 में प्रमोट हुए अधिकारी का बेसिक 2 लाख 15 हजार है। 2017 में प्रमोशन पाने वाले अफसर का बेसिक 2 लाख 20 हजार बेसिक और 2018 वाले का 2 लाख 25 हजार है। डीए, एचआर, पर्क्स आदि की राशि जोड़ने पर और अधिक हो जाती है। एक ही बैच के अधिकारियों के वेतन में विसंगति आ गई है। पहले जिसको प्रमोशन मिला, उसको कम और बाद में प्रमोशन पाने वाले की रकम ज्यादा हो गई।
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10 से 11 हजार तक बेसिक का नुकसान बताया जा रहा है। अब तो अधिकारी भी बोलने लगे हैं कि क्या प्रमोशन लेकर गुनाह कर दिया है। जिन लोगों को 2016 में जीएम के रूप में पदोन्नत किया गया था, उन्हें 2017 में पदोन्नत किए गए लोगों की तुलना में 9 हजार और 2018 में 18 हजार से कम वेतन मिल रहा है। यह मुख्य रूप से 2017 में वेतन संशोधन के कारण है। वेतन विसंगति परिपत्र में इस मुद्दे को संबोधित नहीं गया है।
जानिए सेफी ने क्या कहा…
सेफी चेयरमैन नरेंद्र कुमार बंछाेर का कहना है कि विसंगति को दूर करने के लिए सर्कलर जारी हुआ था। करीब 3 से 4 लाख रुपए तक एरियर अधिकारियों को मिला था। कंपनी के सर्कुलर के आधार पर लोगों ने आवेदन किया था। अगर, किसी ने आवेदन ही नहीं किया होगा तो उसे कैसे लाभ मिलेगा। यह व्यक्ति विशेष की गलती होगी। जिसने-जिसने आवेदन किया है, उसको लाभ मिला है। अगर, किसी ने आवेदन ही नहीं किया हो तो उसमें कोई एसोसिएशन और कंपनी क्या कर सकती है।
दूसरी ओर कर्मचारी वर्ग भी बकाया एरियर, नाइट शिफ्ट एलाउंस, एचआरए, ग्रेच्युटी, ट्रांसफर आदि मुद्दों को लेकर लगातार प्रबंधन पर दबाव बनाए हुए हैं। एनजेसीएस मीटिंग में मुद्दा उठाया जाता है, लेकिन कोई रिजल्ट नहीं निकल रहा है।