अधिकारियों के 46 प्रतिशत पर्क्स, टैक्स, एलाउंस आदि को लेकर आप भी गणना कर सकते हैं।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल के अधिकारियों के लिए अच्छी खबर है। 11 माह के बकाया पर्क्स का भुगतान होने जा रहा है। अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर अधिकारियों के खाते में कितना रुपए आएगा। तत्कालीन जूनियर आफिसर से लेकर सीईओ, चेयरमैन तक को पैसा मिलेगा।
इस्पात मंत्री एचडी कुमार स्वामी के पास सेफी चेयरमैन एनके बंछोर ने गुहार लगाई थी, जिसके बाद मंत्रालय ने भुगतान का आदेश जारी कर दिया है। इससे साफ हो गया है कि जूनियर आफिसर से लेकर सेल चेयरमैन तक के खाते में बकाया पैसा आएगा। करीब 30 हजार से लेकर 2 लाख तक की राशि खाते में आ सकती है।
इस तरह सेल चेयमरैन समेत जूनियर आफिसर को बकाया पैसा मिलेगा। जिस समय का बकाया पैसा है, उस समय सेल के जीएम का बेसिक करीब 73 हजार रुपए था। वहीं, एजीएम का बेसिक 50 हजार रुपए था। 46 प्रतिशत पर्क्स था। 50 हजार रुपए से 46% निकालने पर यह राशि 23 हजार रुपए होती है।
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11 महीने का बकाया पर्क्स है। इसलिए 23 हजार गुणे 11 करने पर 2 लाख 53 हजार रुपए आता है। अब इसमें से व्हीकल एलाउंस, इंटरटेनमेंट एलाउंस, मैग्जीन एलाउंस का करीब 3000 रुपए वापस हो जाएगा। 30 प्रतिशत टैक्स कट जाएगा। इस तरह लगभग 1 लाख 70 हजार रुपए के आसपास एमाउंट मिलेगा।
इसी तरह ई-1 के अधिकारी का बेसिक उस वक्त 20 हजार 600 रुपए बेसिक था। 46 प्रतिशत पर्क्स के लिए यह राशि 9476 रुपए हुए। इस राशि को 11 माह से गुणा करने पर 104,236 रुपए आ रहा है। इसमें से टैक्स की राशि और एलाउंस की रकम कटने के बाद जो शेष बचेगा वह अधिकारी के खाते में डाला जाएगा।
11 माह के बकाया पर्क्स का समय क्या था
स्टील एग्जीक्यूटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया-सेफी चेयरमैन व बीएसपी आफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार बंछोर लगातार बकाया पैसे के लिए संघर्ष करते रहे। सेफी ने सेल में 26-11-2008 से 04-10-2009 के 11 माह के पर्क्स की राशि के भुगतान के लिए कैट के समक्ष केस दायर किया था। कैट ने सेफी के पक्ष में आदेश दिया था।
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सेल प्रबंधन इसके खिलाफ हाईकोर्ट तक गया
सेल प्रबंधन ने कैट के आदेश को उच्च न्यायालय कोलकाता में चुनौती दी थी। 13 सितंबर 2023 को सेल की रिट याचिका को कोलकाता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने खारिज कर दिया था। बावजूद, मंत्रालय से मामला फंसा हुआ था। अब मंत्रालय ने भी हरी झंडी दिखा दी है।