SAIL ने श्रम विभाग को भेजा जवाब, BAKS बोकारो ने खोला पोल, श्रम आयुक्त को लिखी चिट्ठी

SAIL sent reply to Labor Department, BAKS Bokaro wrote a letter to Labor Commissioner
बोनस और बकाया एरियर आदि को विवाद गहराता जा रहा है। सेल प्रबंधन के खिलाफ यूनियनों ने खोला है मोर्चा।
  • क्षेत्रीय श्रम आयुक्त केंद्रीय को सेल प्रबंधन ने भेजा है जवाब। इस पर पलटवार बीकेएस बोकारो ने किया।

सूचनाजी न्यूज, बोकारो। सेल कर्मचारियों (SAIL Employees) के बोनस, बकाया एरियर आदि विषयों को लेकर 28 अक्टूबर को हड़ताल है। एनजेसीएस यूनियनों की हड़ताल नोटिस पर क्षेत्रिय श्रम आयुक्त (केंद्रीय) दिल्ली ओपी सिंह के सवालों का जवाब प्रबंधन की तरफ से दे दिया गया है। सेल प्रबंधन के द्वारा दिए गए उत्तर की बिंदुवार त्रुटियों को clc के संज्ञान में लाने के लिए बोकारो अनाधिशासी कर्मचारी संघ (Bokaro Non-Authority Employees Union)-BAKS ने भी एक पत्र लिखा है।

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यूनियन की तरफ से कहा गया है कि सेल प्रबंधन (SAIL Management) द्वारा लगातार औद्योगिक विवाद अधिनियम का उल्लंघन करने एवं सेल गैर कार्यपालक कर्मचारियों से अनुचित श्रम व्यवहार करने के विरुद्ध शिकायत की गई है।

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बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ द्वारा 19.10.2024 को बोकारो इस्पात संयंत्र में हड़ताल का नोटिस विधिपूर्वक सभी संबंधित पक्षों को दिया गया था। जिस पर संज्ञान लेते हुए तथा झारखण्ड में चुनाव आचार संहिता का हवाला देते हुए हड़ताल पर रोक लगा दिया गया। सहायक श्रम आयुक्त धनबाद ने हड़ताल के मुद्दे पर कॉंसिएलेशन जारी रखा है।

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वहीं, कई यूनियनों द्वारा 28 अक्टूबर 2024 को सेल के कई यूनिटो में हड़ताल का आह्वान है।

Annual SAIL Performance Linked Incentive Scheme (ASPLIS) मैनेजमेंट द्वारा छुपाया गया तथ्य
अध्यक्ष हरिओम का कहना है कि ASPLIS समझौते में शामिल 5 यूनियनों तथा सेल प्रबंधन (SAIL Management) प्रतिनिधियों के बीच आम सहमति नहीं बनी थी। 5 यूनियनों में से तीन यूनियने भारतीय मजदूर संघ (BMS), इंटक तथा हिंद मजदूर सभा (HMS) के प्रतिनिधियों ने ही उक्त फॉर्मूले पर सहमती दिया था। सीटू तथा एटक यूनियन के प्रतिनिधियों ने समझौते पर सहमति नहीं दिया था। जब समझौता पर दोनों पक्षो के बीच consensus हुआ ही नहीं तो ASPLIS फॉर्मूला को लागू कैसे कर दिया गया?

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नेशनल ज्वाइंट कमेटी फॉर स्टील इण्डस्ट्री (National Joint Committee for Steel Industry) (NJCS) के संविधान (बायलॉज) के THE HISTORICAL PERSPECTIVE खंड के 5 वें बिंदू में मौजुद 5.0 UNIQUE FEATURES: में साफ साफ लिखित है कि (i) All the decisions are taken by consensus and not by voting.

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संविधान में स्पष्ट लिखित निर्देश का उल्लंघन कर consensus की जगह voting pattern के आधार पर ASPLIS फॉर्मूले को जबरदस्ती लागू कर भुगतान भी शुरू कर दिया गया है, जो कि पूरी तरह अनफेयर लेबर प्रैक्टिस साबित हो रहा है।

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वहीं, ASPLIS समझौते का प्रारूप भी विवादास्पद है। उपरोक्त समझौते पर प्रबंधन तथा यूनियनों के किन-किन प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किया, उनका नाम, पदनाम तक का जिक्र नहीं है।

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Finalization of NJCS Agreement and Payment of Arrears पर सेल प्रबंधन द्वारा छुपाए गए तथ्य
यूनियन का कहना है कि वेज रीविजन 2017 का गलत तरीके से मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैण्डिंग (MOU) दिनांक 22 अक्टूबर 2021 को किया गया। जिसकी कोई भी वैधानिकता नहीं है, क्योंकि अभी तक अंतिम रूप से मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (MOA) नहीं किया गया है।

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वेज रीविजन 2017 समझौते का MOU ही अवैध है, क्योंकि समझौते में एनजेसीएस संविधान में मौजूद नियमों का पालन ही नहीं किया गया है। समझौते में शामिल 5 यूनियनों तथा सेल प्रबंधन प्रतिनिधियों के बीच consensus नहीं हुआ था। 5 यूनियनों में से तीन यूनियनों एटक, इंटक, हिंद मजदूर सभा (HMS), सेलम तथा वीआईएसएल के प्रतिनिधियों ने ही उक्त फॉर्मुले पर सहमती दिया था। सीटू तथा बीएमएस यूनियन के प्रतिनिधियों ने समझौते पर सहमति नहीं दिया था। जब समझौता पर दोनों पक्षों के बीच consensus हुआ ही नहीं तो सेल वेज रीविजन MOU को लागू कैसे कर दिया गया?

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जब एनजेसीएस संविधान के अनुसार वेज रीविजन MOU किया ही नहीं गया तो फिटमेंट लाभ 13% MGB तथा 26.5% पर्क्स के भुगतान का समझौता भी गलत है। जबकि सेल अधिकारी तथा अन्य प्रमुख तेल, गैस, उर्जा, खनन क्षेत्र की महारत्ना/नवरत्ना कंपनी में कार्यरत यूनियनाईज्ड वर्कमैन कैटोगरी में कार्यरत कर्मचारियों को 15% MGB फिटमेंट लाभ तथा रिवाइज्ड बेसिक का 35% पर्क्स लाभ के आधार पर वेज रीविजन का लाभ दिया गया है।

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