SAIL हड़ताल की सजा: प्रमोशन रोककर प्रबंधन ने मारा पेट पर लात, EPS 95 पेंशन, ग्रेच्युटी संग लाखों का नुकसान, पढ़िए हिसाब

SAIL strike punishment: Management kicked in the stomach by stopping promotion, loss of lakhs along with EPS 95 pension, gratuity
महंगाई भत्ते की राशि पर यदि 12% सीपीएफ निकल जाए तो वह 392 प्रतिमाह होगा, जो 6 महीने में 2352 रुपए एवं 1 साल में 4704 रुपए होगा।
  • अपने ही साथियों से जूनियर हो जाएंगे भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारी।
  • मौखिक आदेश से कर्मियों को सेवानिवृत्ति होते तक आर्थिक रूप से लाखों का नुकसान होगा।  

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। 28 अक्टूबर को सेल हड़ताल (SAIL Strike) हुई थी। बीएसपी कर्मचारियों (BSP Employees) ने अपनी ताकत दिखाई थी। अब इसका बदला प्रबंधन ले रहा है। हड़ताल करने वाले कर्मचारियों के पेट पर ही प्रबंधन  ने लात मार दिया है। अपने ही साथियों से कर्मचारी जूनिरयर हो जाएंगे।

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संयंत्र में एक ही साथ भर्ती हुए कर्मियों में से कुछ कर्मी को क्लस्टर चेंज प्रमोशन दे दिया जाए एवं कुछ कर्मियों का जानबूझकर रोक दिया जाए तो 1 साथ भर्ती हुए कर्मी आपस में ही एक दूसरे के जूनियर सीनियर हो जाएंगे। प्रबंधन के निर्णय से संयंत्र के अंदर यह स्थिति निर्मित होने वाली है, जो संयंत्र के उत्पादन विकास एवं कर्मियों के मनोबल के लिए ठीक नहीं है।

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वर्क्स प्रबंधन के मौखिक आदेश से कर्मियों को होगा सेवानिवृत्ति तक लाखों का नुकसान

सीटू महासचिव जेपी त्रिवेदी के मुताबिक कर्मी बताते हैं कि क्लस्टर चेंज प्रमोशन रोकने के संदर्भ में जब विभाग के कार्मिक अधिकारी से पूछा गया तो वह स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि यह आदेश वर्क्स प्रबंधन के तरफ से दिया गया है, जब उसकी प्रति दिखाने की बात कही गई तो कार्मिक प्रबंधक ने कह दिया कि यह आदेश मौखिक रूप से आया है।

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इसका कोई लिखित प्रमाण हमारे पास भी नहीं है। किंतु वास्तविकता यही है कि वर्क्स प्रबंधन के द्वारा दिए गए इस मौखिक आदेश से कर्मियों को सेवानिवृत्ति होते तक आर्थिक रूप से लाखों का नुकसान होगा।  इसकी जिम्मेदारी केवल और केवल बिना किसी तर्क के मौखिक रूप से दिए गए वर्क्स प्रबंधन की होगी।

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इस तरह से समझिए होने वाले नुकसान को

सीटू उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्‌डी के मुताबिक एक कर्मी की उम्र 38 वर्ष है। वह S5 ग्रेड में कार्यरत है। क्लस्टर प्रमोशन लेकर 3 साल में S6 ग्रेड में पदोन्नति हो रहा है। यदि उसका मूल वेतन 36815 रुपए है तो पदोन्नति होते ही उनको 3% इंक्रीमेंट अर्थात 1105/- रुपए मिलेगा।

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उस इंक्रीमेंट की राशि अर्थात 1105 रुपए पर 47.7% महंगाई भत्ता भी मिलेगा, जो 527 रुपए होगा। उस इंक्रीमेंट राशि पर 26.5% पर्क्स मिलेगा 293 रुपए होगा।

यदि क्लस्टर प्रमोशन के चलते मिलने वाली इंक्रीमेंट राशि उस इंक्रीमेंट पर मिलने वाला महंगाई भत्ता एवं उस इंक्रीमेंट पर मिलने वाला पर्क्स की राशि जोड़ लिया जाए तो एक माह में बढ़कर मिलने वाली राशि कुल(1105+527+293)= 1925 रुपए होगी।

यदि उक्त कर्मी की पदोन्नति 6 महीने बाद होती है तो 6 माह में होने वाला नुकसान 11550 रुपए होगा। और यदि उक्त कर्मी की पदोन्नति 12 महीने बाद होता है तो 12 माह में होने वाला नुकसान 23100 रुपए होगा।

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सीपीएफ व ग्रेच्युटी में भी होगा भारी नुकसान

क्लस्टर प्रमोशन के चलते उक्त कर्मी को मिलने वाले इंक्रीमेंट की राशि एवं उस इंक्रीमेंट की राशि पर मिलने वाले महंगाई भत्ते की राशि पर यदि 12% सीपीएफ निकल जाए तो वह 392 प्रतिमाह होगा, जो 6 महीने में 2352 रुपए एवं 1 साल में 4704 रुपए होगा, जो उक्त कर्मी के वेतन से कट कर सीपीएफ फंड में जमा होगा।

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उतनी ही राशि प्रबंधन की तरफ से भी सीपीएफ फंड में जमा किया जाएगा, जिसमें से 8.33 प्रतिशत या निर्धारित राशि  EPS-95 हेतु कट जाएगा। बची हुई राशि गुणात्मक रूप से सेवानिवृत्ति होते तक कई हजारों रुपए हो जाएगा

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सेल पेंशन फंड में भी होगा भारी नुकसान

यदि क्लस्टर प्रमोशन के चलते उक्त कर्मी को मिलने वाले इंक्रीमेंट एवं उस इंक्रीमेंट पर मिलने वाले महंगाई भत्ते पर यदि प्रबंधन द्वारा दिए जा रहे सेल पेंशन फंड का 9% निकल जाए 147 रुपए एक माह में होगा, जो 6 माह में 882 रुपए एवं 12 माह में 1764 रुपए होगा। जो पेंशन फंड में जमा होने के बाद गुणात्मक रूप में बढ़ते हुए कई हजारों रुपए में बदल हो जाएगा।

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यदि इंक्रीमेंट से शुरू करके महंगाई भत्ता, पर्क्स, ईपीएफ पेंशन फंड आदि सभी में मिलने वाली राशि एवं उस राशि का सेवानिवृत्ति होते तक होने वाले गुणात्मक बढ़ोतरी की गणना करने पर यह राशि लाखों में पहुंच जाएगा।

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आर्थिक के साथ मानसिक नुकसान भी होगा कर्मियों को

प्रबंधन के निर्णय से जहां एक तरफ कर्मियों को आर्थिक रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। वहीं, वक्त पर प्रमोशन नहीं मिलने के कारण कर्मी मानसिक तनाव में रहेगा, जिसका खामियाजा कर्मी को ही नहीं बल्कि संयंत्र को भी भुगतना पड़ेगा। इसीलिए अपने अहम को संतुष्ट करने के लिए गए निर्णय कभी भी सही नहीं होते हैं।

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