28 को सेल हड़ताल। कर्मचारी यूनियनों ने की तैयारी। अब देखना है सोशल मीडिया के धुरंधर कितना साथ देते हैं।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। 28 अक्टूबर की हड़ताल को लेकर सोशल मीडिया में धमाल मचा हुआ है। यदि यह धमाल हकीकत में बदल जाए तो भिलाई में ऐतिहासिक हड़ताल होनी तय है। किंतु सोशल मीडिया में कई सूरमा ऐसे ही हैं, जो दूसरों को हड़ताल के संदर्भ में नसीहत दे रहे हैं कि “हड़ताल के दिन ऐसा करना चाहिए, हड़ताल के दिन वैसा करना चाहिए, न जाने हड़ताल के दिन कैसा-कैसा करना चाहिए…”
अक्सर सोशल मीडिया में दो किस्म के लोग सक्रिय रहते हैं। एक वह जो अध्ययन करते हैं। लोगों के बीच काम करते हैं। गतिविधियों को अंजाम देते हैं और उसके बारे में सोशल मीडिया में लिखते हैं।
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दूसरे वह जो हमेशा दूसरे को नसीहत देते रहते हैं। यह नसीहत देने वाली वो कौम है, जो अक्सर कल्पनाओं में जीते हैं एवं चाहते हैं कि भगत सिंह पैदा हो पड़ोस में…। सोशल मीडिया पर प्रबंधन के खिलाफ ईंट से ईंट बजा देने का दम भरने वाले, जब जमीन पर लड़ने की बारी आते हैं तो रास्ता बदलकर निकल लेते हैं।
कुछ ऐसा ही नजारा बीएसपी के कई गेट को देखने को मिलता है। सोशल मीडिया पर लंबी-लंबी छोड़ने वाले भिलाई के कुछ छुटभैया नेताओं की बात तो निराली है। प्रबंधन-पुलिस ने ऐसा हड़काया कि बेचारे मुंह ही नहीं खोल पा रहे हैं। लाइमलाइट से नदारद हो गए हैं।
लोग अपने प्रवचनों का 10% भी अमल कर लेते तो
सोशल मीडिया में लिखने वाले लोग अपने प्रवचनों का 10% भी अमल कर लेते तो प्रबंधन कब का घुटने टेक देता।
एक सक्रिय यूनियन नेता ने कहा कि अक्सर यह भी देखने को मिलता है कि सोशल मीडिया में लोग एक-दूसरे को प्रवचन देने लगे हैं।
वेतन समझौता के मामले में यह कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है। यदि लोगों के द्वारा दिए जा रहे प्रवचन का 10% भी अमल कर लेते तो प्रबंधन कब का घुटना टेक देता।
अभी हड़ताल शुरू होने में वक्त है। यदि सोशल मीडिया में लिखने वाले लोग एवं उसे पढ़ने वाले लोग इस लड़ाई पर अपनी भागीदारी करने का मन बना लें। मैदान में उतर जाएं तो निश्चित ही प्रबंधन घुटने टेक देगा और जल्द ही कर्मियों की समस्याओं का समाधान भी निकल जाएगा।
भड़ास निकालने का मंच बन कर रह गया है सोशल मीडिया
सोशल मीडिया एक-दूसरे के साथ विचारों के आधार प्रदान करने का मंच है। अपने किए कार्यों को सार्वजनिक करने का मंच है। दूसरे के किए हुए कार्यों की जानकारी हासिल करने का मंच है। सोशल मीडिया में लिखी हुई बातों पर लोग विश्वास करते हैं। किंतु अब स्थितियां ऐसी होने लगी है कि लोग नहीं होने वाले कामों पर अपनी भड़ास निकालने के लिए अनर्गल लिखना शुरू कर दिए। अर्थात सोशल मीडिया भड़ास निकालने का मंच बन कर रह गया है, जिससे बचना चाहिए।