- सेल माइंस एवं एन.एम.डी.सी. के अधिकारियों को थर्ड पे-रिविजन में डासा (डिफिकल्ट एरिया सर्विस एलाउंस) का भुगतान चालू करने की मांग की।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। इस्पात क्षेत्र के अधिकारियों की समस्याओं को लेकर एक बार फिर स्टील एग्जीक्यूटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया सेफी (SEFI) इस्पात मंत्रालय पहुंच गया है। इस्पात क्षेत्र के अधिकारियों के लंबित मुद्दों विशेषकर माइंस अधिकारियों का डासा (DASA) आदि पर केन्द्रीय इस्पात राज्यमंत्री व इस्पात सचिव से चर्चा की।
सेफी के चेयरमैन एनके बंछोर ने केन्द्रीय इस्पात राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, इस्पात सचिव एनएन. सिन्हा से इस्पात क्षेत्र के अधिकारियों के अन्य लंबित मुद्दों पर उद्योग भवन नई दिल्ली में विस्तृत चर्चा की। जिसमें मुख्य तौर पर सेल माइंस एवं एन.एम.डी.सी. के अधिकारियों को थर्ड पे-रिविजन में डासा (डिफिकल्ट एरिया सर्विस एलाउंस) का भुगतान चालू करने की मांग की।
वित्तीय वर्ष 2018-19 का इंक्रीमेंटल पीआरपी, आर.आई.एन.एल. के अधिकारियों के पिछले वर्षों से लंबित प्रमोशन को शीघ्र चालू करना, भिलाई टाउनशिप में अवैध कब्जों एवं विद्युत आपूर्ति सी.एस.पी.डी.सी.एल. को हस्तांतरित करने हेतु तथा इस्पात संयंत्रों के विनिवेश के स्थान पर सामरिक विलय (स्ट्रेटेजिक मर्जर) आदि विषयों पर चर्चा की।
विदित हो कि सेल की खदानों को दुर्गम क्षेत्र घोषित करना और सेल में तैनात तथा वहां कार्यरत कर्मचारियों के लिए विशेष भत्ता 11 जून 2014 से खानों में कार्यरत कर्मचारियों को मूल वेतन का 10 प्रतिशत विशेष भत्ते के रूप में दिया जा रहा था। सेल और एनएमडीसी की खदानों की स्थिति लगभग वैसी ही है जैसी 2010 में थी।
जिसे अब रोक दिया गया है। इस संदर्भ में सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने इस्पात मंत्रालय के समक्ष ‘डासा’ को लागू करने के समर्थन में तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि सेल और एनएमडीसी के खदान दूरस्थ स्थान पर स्थित हैं और चिकित्सा, शिक्षा और टाउनशिप जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी के साथ उग्रवाद से प्रभावित हैं। वर्तमान में विशेष भत्ते बहाल नहीं होने के कारण खदानों में कार्यरत अधिकारी हतोत्साहित हैं। जिसका प्रभाव कंपनी के निष्पादन पर पड़ सकता है।
अतः कंपनी के प्रदर्शन को बेहतर बनाए रखने के लिए माइंस के अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु डासा अत्यंत आवश्यक है। अतः इसे पुनः बहाल करने की अपील की।
सेफी चेयरमेन द्वारा सेल में पी.आर.पी. की गणना में इंक्रिमेंटल लाभ को डीपीई के दिशानिर्देशों के अनुरूप समायोजित करने की अनुशंसा करने का आग्रह किया है। विदित हो कि वित्त वर्ष 2017-18 में सेल ने कर पूर्व कुल हानि 759 करोड़ रूपये घोषित किया एवं वर्ष 2018-19 में कर पूर्व कुल लाभ 3338 करोड़ रुपए घोषित किया। जिससे इंक्रिमेंटल लाभ 4097 करोड़ रुपए पर आधारित पी.आर.पी. की गणना करने की मांग जो कि सेल में हुए टर्नअराउंड का लाभ, सभी अधिकारियों को इंक्रिमेंटल पी.आर.पी. देकर प्रोत्साहित किया जा सकता है।