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SAIL पर गंभीर आरोप: झारखंड को ओडिशा से जोड़ने वाली घाटी की सड़क लेगी जान

SAIL पर गंभीर आरोप: झारखंड को ओडिशा से जोड़ने वाली घाटी की सड़क लेगी जान
  • क्या वजह है कि ठेकेदार यह सड़क निर्माण नहीं कर रहा है या प्रबंधन ठेकेदार के ऊपर दवाव नहीं बना रहा है। घाटी सड़क होने के नाते आये दिन हादसे हो रहे हैं। कर्मचारियों ने प्रबंधन से तीखे सवाल पूछने शुरू कर दिए।

सूचनाजी न्यूज, किरीबुरू। झारखंड ग्रुप ऑफ माइंस के किरीबुरू खदान की सड़क को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। किरीबुरू बेस से GR गेट तक की करीब 4 किलोमीटर की सड़क की हालात बद से बदतर हो चुकी है। कर्मचारियों का दावा है कि इस सड़क को बनाने के लिए चार-पांच साल पहले करीब सवा करोड़ का टेंडर हुआ था, लेकिन आज तक सड़क नहीं बनी है।

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खदान में कार्य करने वाले कर्मचारियों का दर्द अब बाहर आ गया है। बरसात के समय गड्‌ढों ने जान जोखिम में डालना शुरू कर दिया है। सड़क पर गड्‌ढा है या गड्‌ढों में सड़क, इसका अंतर कर पाना मुश्किल हो रहा है। सड़क निर्माण पूरा नहीं होने से जन साधारण असंतुष्ट है। कई वर्षों से करोड़ों की लागत में बनाई जा रही यह सड़क आज तक अधूरी है।

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सेल किरीबुरू प्रबंधन RMD के समय से सड़क बनवा रहा है। RMD टूट कर बोकारो हो गया। परंतु यह सड़क आज तक पूरी नहीं हो सकी। जन साधारण इस सड़क में भ्रष्टाचार होने का अंदेशा लगा रहे हैं। स्थानीय श्रमिक संगठनों ने भी सड़क संपूर्ण करने को प्रबंधन से कई दौर में चर्चा की है। तथापि कार्य संपूर्ण नहीं हो सका।

आये दिन इस सड़क पर दुर्घटनाएं बढ़ी है। बता दें कि यह सड़क झारखंड से ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर को जोड़ने वाली एक मात्र सड़क है। उधर बड़बिल से किरीबुरू तक DFMT फंड से ओडिशा सरकार सड़क बना रही है। पर यह सड़क बेस कैंप तक बनाई गई। आगे कि सेल प्रबंधन किरीबुरू बनाएगा।

इसी बात को लेकर स्थानीय लोगों ने किरीबुरू तक सड़क निर्माण संपूर्ण करने की मांग के बाबत प्रबंधन को ज्ञापन सौंपा है। अब एक public pitition तैयार कर सेल corporate office को भेजने की बात कही जा रही है। vigilance से जांच कराने की मांग की जा रही है।

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क्या वजह है कि ठेकेदार यह सड़क निर्माण नहीं कर रहा है या प्रबंधन ठेकेदार के ऊपर दवाव नहीं बना रहा है। घाटी सड़क होने के नाते आये दिन हादसा हो रहा है। ठेकेदार काम नहीं कर रहा है और प्रबंधन उस ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट भी नहीं कर रहा है। मिली भगत होने का आरोप लगाया जा रहा है। प्रबंधन की चुप्पी पर संदेह हो रहा है।