- भिलाई स्टील प्लांट की संयुक्त ट्रेड यूनियन ने मान्यता प्राप्त यूनियन बीएमएस पर बोला जुबानी। सवालों का दिया सबूतों के साथ जवाब।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। बीएमएस (BMS) के सवालों का जवाब देते हुए संयुक्त यूनियन ने कहा कि दुर्ग जिले के सांसद एवं स्टील स्टैंडिंग कमेटी (Steel Standing Committee) के सदस्य होने के नाते संयुक्त ट्रेड यूनियनों द्वारा जिन सवालों को सांसद से किया गया था। रही बात बीएमएस के पूछे गए सवालों का तो उनके जवाब नीचे सिलसिलेवार है।
अफॉर्डेबिलिटी क्लॉज वाली प्रेस विज्ञप्ति आज भी मौजूद है प्रेस ब्यूरो ऑफ़ इंडिया के साइट पर
संयुक्त यूनियन ने कहा कि आप मोबाइल अथवा कंप्यूटर में गूगल एप खोलिए उसमें pib Cabinet approval टाइप कीजिए। Prime Minister Cabinet Decisions लिखकर आएगा, उसमें क्लिक करने पर Date लिखने का कॉलम दिखेगा, जिसमें तारीख, महीना एवं साल को टाइप करने के लिए बॉक्स दिखेगा।
उसमें 22 नवंबर 2017 लिखने पर उसमें सार्वजनिक उद्योगों के लिए आठवें वेतन वार्ता हेतु कैबिनेट की बैठक का प्रेस विज्ञप्ति का हेडिंग दिखेगा, उसे क्लिक करने पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी की गई पूरी प्रेस विज्ञप्ति खुल जाएगी, उसे पढ़ने से ही स्पष्ट हो जाएगा कि प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता में केबिनेट स्तर की बैठक करके प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी किए गए गाइडलाइन प्रेस विज्ञप्ति में ही अफॉर्डेबिलिटी क्लॉज एवं फाइनेंशियल सस्टेनेबिलिटी क्लॉज है।
यूनियन का कहना है कि ज्ञात हो कि हम इस्पात उद्योग में दसवां वेतन समझौता करने जा रहे हैं। पिछले 9 वेतन समझौता में कभी भी केंद्र सरकार का कैबिनेट ने सार्वजनिक उद्योगों के वेतन समझौता के लिए सीधा कोई गाइडलाइन जारी नहीं किया।
यह लिखा है प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में
22 नवंबर 2017 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि जिन भी सार्वजनिक उद्योगों का वेतन समझौता 31 दिसंबर 2016 को समाप्त हो गया है। वह अपना नया वेतन वार्ता शुरू कर सकते हैं बशर्त है कि अफॉर्डेबिलिटी एवं फाइनेंशियल सस्टेनेबिलिटी को ध्यान में रखकर वेतन वार्ता किया जाना है।
केंद्र सरकार इन वेतन वार्ताओं में किसी भी तरह की वित्तीय सहायता नहीं करेगी। इसी का अनुसरण करते हुए सार्वजनिक उद्योग सेल प्रबंधन में घाटे के 3 साल बीत जाने के बाद 3 साल मुनाफा कमाया, उसके बाद वेतन वार्ता शुरू हुई।
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अर्थात 2017, 2018 एवं 2019 को बैठक ही नहीं किया 2019-20 का वित्त वर्ष अर्थात 31 मार्च 2020 संपन्न होने के बाद वेतन वार्ता शुरू किया गया क्योंकि अफॉर्डेबिलिटी क्लॉज में दर्ज है कि घाटे के वर्षों में ना ही वेतन वार्ता शुरू करना है और ना ही अफॉर्डेबिलिटी क्लॉज के अनुसार घाटे के वर्षों का एरियर्स देना है। इसीलिए 39 महीने का एरियर्स ना देने की सरकार की शर्त को प्रबंधन हूबहू अनुसरण कर रहा है। इसके खिलाफ हमारा संघर्ष जारी है।
इस्पात मंत्रालय के अनुशंसा पर ग्रेच्युटी को किया गया सीलिंग
22 अक्टूबर 2021 को तीन यूनियनों द्वारा एम ओयूपर दस्तखत करने के बाद सेल प्रबंधन ने इस्पात मंत्रालय के अनुशंसा का हवाला देते हुए सर्कुलर जारी किया। इस सर्कुलर का क्रमांक PER/PP/4007 दिनांक 26 नवंबर 2021 है यह सर्कुलर भी स्पष्ट है कि केंद्र सरकार (Central Govt) जो सत्ता में आने के बाद जुलाई 2014 में ही असीमित ग्रेच्युटी लेने वाले सेल का ग्रेच्युटी को सीमित कर देना चाहता था, जिसमें मौजूदा केंद्र सरकार उस समय कामयाब नहीं हो पाया।
किंतु 2021 में इस्पात मंत्रालय (Steel ministry) के हवाले से प्रबंधन द्वारा एक तरफ आदेश जारी करवा कर ग्रेच्युटी को सीमित कर दिया इसका आदेश भी अधिकांश साथियों के मोबाइलों एवं प्रबंधन के साइट पर मौजूद है बीएमएस के कहे अनुसार यदि ग्रेच्युटी सीलिंग पर यूनियनों ने किसी भी किस्म का दस्तखत किया है तो उसका दस्तावेज सार्वजनिक करें। अन्यथा अपने शीर्ष नेतृत्व का अनुसरण करते हुए झूठ बोलना बंद करें।
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वेतन वार्ता बैठकों से भागता रहा है बीएमएस
संयुक्त यूनियन नेताओं ने कहा-वेतन वार्ता के समय निश्चित रूप से प्रबंधन अपनी बात पर अड़ा रहता है एवं यूनियनों को भी कई तर्क के साथ प्रबंधन के ऊपर दबाव बनाना पड़ता है, जब 13% एमजीबी की बात आई तो सबसे पहले बीएमएस के नेता ने समर्थन किया था। जिसका ऑनलाइन मीटिंग का वीडियो आज भी मौजूद है।
जब 35% पर्क्स पर बातचीत शुरू हुई तो बीएमएस यह बताएं कि वह 28% के लिए क्यों राजी हो गया और अब अपने आप को खोकली लड़ाई लड़ता हुआ क्यों दिखाना चाहता है। वेतन वार्ता के समय बड़बोलापन दिखाते हुए कई बार केंद्र सरकार का हवाला दे चुका है कि केंद्र में हमारी सरकार है तथा सरकार में पकड़ है। इसलिए मंत्री जी से कहकर हम समस्याओं का समाधान करवा देंगे।
किंतु अभी तक ना मंत्री जी दिखे ना उनका समाधान सामने आया। उल्टा वेतन समझौता के लिए बनाए गए कई सब कमेटियों में बीएमएस कभी भाग लेता है तो कभी भाग जाता है।
मान्यता यूनियन होने के नाते बीएमएस को भी जवाब देना होगा कहां है 50 ग्राम सोना..ट्रिपल इंजन सरकार
संयुक्त यूनियन के नेताओं ने कहा कि पिछले मान्यता चुनाव के समय बीएमएस नेताओं ने कर्मियों के सामने केंद्र सरकार का हवाला देते हुए कई बड़बोले वादे किए थे कि प्रबंधन द्वारा ट्रांसफर किए गए दोनों कर्मी साथियों को केंद्र सरकार से कहकर वापस ले आएंगे। सभी को 50-50 ग्राम सोना दिलाएंगे, 50000 सालाना बोनस दिलवाएंगे। 39 महीने का एरियर दिलवाएंगे। नॉन एग्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी मे निहित मजदूर विरोधी प्रावधानों पर रोक लगवाएंगे और न जाने कौन-कौन सी लंबी चौड़ी वादे किए थे।
यह लोकसभा चुनाव हो जाने के बाद एवं आपका मान्यता कार्यकाल समाप्त होने के बाद इन सब वादों का बीएमएस नेताओं को ही कर्मचारियों के सामने जवाब देना होगा।