ED Works कार्यालय में यूनियन नेताओं से कहासुनी पर साहब खफा, प्रमोशन मीटिंग छोड़िए-ये बताइए Suchnaji.com में खबर कैसे चली

Sir upset over dispute with union leaders in ED Works office, leave promotion meeting, tell me who gave the news in Suchnaji.com (1)
ईडी वर्क्स अंजनी कुमार से मुलाकात न होने और टीए से बहस होने का मामला अब तूल पकड़ चुका है। संयुक्त यूनियन को नहीं मिला मीटिंग का समय।

बीएसपी प्रबंधन का कहना है कि ईडी वर्क्स कार्यालय में मुलाकात और चर्चा को घेराव का स्वरूप देना उचित नहीं है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल हड़ताल के बाद कर्मचारियों का प्रमोशन रोके जाने का मामला गरमाया हुआ है। हर तरफ इसकी चर्चा हो रही है। भिलाई स्टील प्लांट की संयुक्त यूनियन के करीब एक दर्जन नेता ईडी वर्क्स कार्यालय में धमक पड़े थे।

ईडी वर्क्स अंजनी कुमार से मुलाकात न होने और टीए से बहस होने का मामला अब तूल पकड़ चुका है। Suchnaji.com में यह खबर प्रसारित हुई थी। इससे साहब इतना खफा हो गए कि यूनियन नेताओं के साथ सोमवार को प्रस्तावित बैठक को लेकर कोई जवाब तक नहीं दिया गया।

उल्टे यह खोजबीन की जा रही है कि विवाद की खबर सूचनाजी.कॉम में कैसे पहुंची और किसने दी। बकायदा जीएम स्तर के अधिकारियों को बाबूगिरी में लगा दिया गया है। फोन करके-करके पूछा जा रहा है कि यह खबर किसने दी…।

जब कहीं से कोई सुराग नहीं मिला तो साहब को खुश करने के लिए स्पष्टीकरण जारी कर दिया गया। बकायदा जीएम स्तर के एक अधिकारी की ओर से लिखित में दावा किया गया कि ईडी वर्क्स कार्यालय में कोई घेराव नहीं हुआ था। लिखित रूप से जारी बयान में साहब को खुश करने के लिए फेकम-फाक कर दी गई। लेकिन, सच्चाई तो इन्हें भी पता है।

खैर, अब मुद्दे पर आते हैं। जिस विषय को लेकर भिलाई की संयुक्त यूनियन इंटक, सीटू, एचएमएस, बीएमएस, एटक, एक्टू, स्टील वर्कर्स यूनियन, लोइमू, इस्पात श्रमिक मंत्र के पदाधिकारी ईडी वर्क्स कार्यालय धमक पड़े थे, अब वह खटाई में पड़ता दिख रहा है।

ईडी वर्क्स अंजनी कुमार के कार्यालय से यूनियन नेताओं को आश्वासन मिला था कि सोमवार को मीटिंग कराई जाएगी। सोमवार को जब कार्यालय से संपर्क किया तो जवाब आया, साहब बहुत भड़के हुए हैं। अंदर की खबर सूचनाजी.कॉम में कैसे चली गई। मीटिंग को छोड़िए, पहले यह बताइए कि खबर किसने दी।

इधर-बीएसपी प्रबंधन का कहना है कि ईडी वर्क्स कार्यालय में मुलाकात और चर्चा को घेराव का स्वरूप देना उचित नहीं है। ऐसी बैठकें और चर्चाएं रोज़ होती रहती हैं, जिन्हें ‘घेराव’ नहीं कहा जा सकता। इस पर संयंत्र प्रबंधन को कड़ी आपत्ति है।