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- न्यूनतम पेंशन की लड़ाई को कोर्ट तक ले जाने की बात पेंशनभोगी कर रहे।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन (EPS 95 Minimum Pension) को लेकर रोज नई-नई बातें सामने आ रही है। अब नवीनतम एक्चुरियल मूल्यांकन (Actuarial Valuation) पर सवाल उठाया जा रहा है। 31 मार्च 2024 के बारे में पेंशनर्स क्या सोचते हैं, इस पर पेंशनभोगी रामकृष्ण पिल्लई लिखते हैं कि एचपीसी को भी ईपीएस की कमी के बारे में पता था। इसीलिए उनकी सिफारिशें “बजटीय सहायता के अधीन” थीं।
अरुण जेटली के समय वित्त विभाग ने प्रस्ताव वापस कर दिया था। उसके बाद टेम्स ब्रिज के नीचे बहुत पानी बह चुका है। मेरे विचार से, पिछले दस वर्षों में मुद्रास्फीति और वेतन में वृद्धि को देखते हुए पेंशन योग्य वेतन सीमा को बढ़ाकर 21,000 रुपये करने के अधीन, बिना किसी अतिरिक्त बजटीय सहायता के 3000 रुपये की न्यूनतम पेंशन तय की जा सकती है।
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फिर बढ़ी हुई आवक बढ़ी हुई निकासी का ध्यान रखेगी। जब अधिकतम पेंशन योग्य वेतन 21000 (Pensionable Salary) रुपये हो जाता है, तो अधिकतम पेंशनभोगी स्वचालित रूप से 3000 रुपये की न्यूनतम पेंशन के हकदार हो जाएंगे और अतिरिक्त बोझ केवल पुराने पेंशनभोगियों और कुछ नए पेंशनभोगियों के संबंध में होगा, जिसे ईपीएस वहन करने में सक्षम हो सकता है।
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पेंशनभोगी पीके कपूर लिखते हैं कि ईपीएस पेंशनर्स (EPS Pensioners) से पेंशन बढ़ोतरी के मुद्दे पर झूठे वादे क्यों किए जा रहे हैं। जैसा कि मेरे सभी पेंशनर्स मित्र इस सच्चाई से अवगत होंगे कि कई राज्यों के लगभग सभी उच्च न्यायालयों ने ईपीएस पेंशनर्स के लिए आदेश जारी किए हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के 4.11.2022 के आदेश को लागू नहीं किया गया है।
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यह सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का पालन न करने के लिए अज्ञानता और न्यायालय की अवमानना का मामला है। अगर पेंशनर्स संगठन सर्वोच्च न्यायालय में जाएं तो यह अधिक प्रभावी होगा।
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