- न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए मिल रही है। इसे बढ़ाने की मांग जारी है।
- ईपीएफओ और केंद्र सरकार को लेकर बयानबाजी जारी है।
- पेंशनभोगी अपनी-अपनी पीड़ा को सोशल मीडिया पर साझा कर रहे।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organisation (EPFO)) और केंद्र की मोदी सरकार पर पेंशनभोगियों (Pensioners) को उम्मीद है। आस यही है कि न्यूनतम पेंशन (Minimum Pension) 7500 रुपए कर दी जाएगी, जो वर्तमान में 1000 रुपए ही मिल रही है। पेंशनर्स इस बात को लेकर आपस में ही भिड़ते जा रहे हैं। कोश्यारी कमेटी की सिफारिशों को लागू न करने और इसके बीच के कारणों पर जमकर तकरार हो रहा है।
पेंशन आंदोलन पर कमेंट करते हुए पेंशनर्स वादीराजा राव रामकृष्ण पिल्लई को कोट करते हुए लिखते हैं कि किसी की गलती के कारण क्या हमें चुप रहना चाहिए। अब यह हमारा अधिकार है कि हम इस मामले में लड़ें और सबसे बढ़कर सरकार ने कोश्यारी समिति को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया है और अब उन्हें निर्णय लेकर मामले को सुलझा लेना चाहिए।
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रामकृष्ण पिल्लई ने जवाब में लिखा-लड़ो, तुम्हें किसने रोका है। लड़ना तुम्हारा अधिकार है। कोश्यारी समिति की रिपोर्ट को किस सरकार ने स्वीकार किया? इसे मनमोहन सिंह सरकार ने सीरे से खारिज कर दिया था। यह अध्याय बंद हो चुका है।
वैसे, क्या आपने इसे पढ़ा है? कोश्यारी कौन थे? वे भाजपा के सांसद थे, जो बाद में महाराष्ट्र के राज्यपाल बने। क्या आप 2017 में भाजपा सरकार द्वारा नियुक्त एक अन्य समिति को जानते हैं, हाई पावर कमेटी। आठ मदों पर विचार किया गया, जिनमें से छह को खारिज कर दिया गया, एक को सरकार ने स्वीकार किया और लागू किया। न्यूनतम पेंशन (Minimum Pension) बढ़ाने का एक मद दिसंबर 2018 से अभी भी लंबित है। अब नई सोच चल रही है।
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इस पर पलटकर वादीराजा राव ने लिखा-मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि आप गलत हैं या कोई और सही है। और मैं एक वरिष्ठ नागरिक सह ईपीएस पेंशन धारक (EPS Pensioners) हूँ और मुझे पेंशन के रूप में 1660 रुपए की मामूली राशि मिल रही है, जो मेरी दवा के लिए बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं है। क्योंकि मैंने 2013 में बाईपास करवाया था और चिंता के कारण मैंने यह संदेश टाइप किया और कुछ नहीं। मुझे नहीं पता कि हमारी समस्याए कब हल होंगी।
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एक अन्य कमेंट में पिल्लई जी लिखते हैं कि जैसा कि आप अपनी समस्या लिए हैं। सरकार के पास अपने कारण हैं, और हमें इसका समाधान खोजना होगा। चुनाव जीतना और हारना हर प्रतियोगिता का हिस्सा है। इसलिए विफलता पर खुश न हों और जीतने पर बहुत अधिक खुश न हों।
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