Breaking News: भिलाई के बाद अब बोकारो में युवाओं की यूनियन, BSL अनाधिशासी कर्मचारी संघ के पहले अध्यक्ष हरिओम, पढ़िए पूरी खबर

  • बाहरी नेताओं की नाकामी से उबकर  बीएसएल कर्मियों ने बनाया खुद का बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ।

सूचनाजी न्यूज, बोकारो। बीएसएल के युवा कर्मचारियों ने अपना खुद का यूनियन बना लिया है। आज झारखण्ड सरकार के अपर निबंधक राकेश प्रसाद ने यूनियन पदाधिकारियों को निबंधन का प्रमाण पत्र जारी किया है। यूनियन की निबंधन संख्या 322 प्रदान की गई है।

यूनियन बनाने वालों का कहना है कि टाटा वर्कर यूनियन, वीआईएसएल भद्रावती युनियन  तथा ऑफिसर एशोसिएशन के तर्ज पर बीएसएल कर्मियों ने स्वतंत्र यूनियन बनाया है। बीएसएल कर्मियों के मुद्दों की लगातार अवहेलना के कारण तथा एनजेसीएस, गैर एनजेसीएस नेताओं की विफलता के कारण बीएसएल कर्मी खुद नेतृत्व करने पर मजबूर हो गए हैं।

गौरतलब है कि बोकारो इस्पात संयंत्र मे 40 से अधिक श्रमिक संगठन निबंधित है। परंतु सभी प्रमुख यूनियनों के नेता या तो सेवानिवृत है या बाहरी हैं। किसी भी यूनियन में गुप्त मतदान प्रणाली के तहत पदाधिकारियों का चुनाव नहीं होता है। अधिकतर यूनियनों के नेता कई दशक से अपने पद पर विराजमान है। वहीं, सेल तथा बीएसएल प्रबंधन द्वारा कर्मियों के मुद्दों की लगातार उपेक्षा के कारण बीएसएल कर्मी काफी दिनों से प्रबंधन तथा वर्तमान यूनियन नेताओं से काफी आक्रोशित है। इसी के कारण सिस्टम से लड़ने के लिए उन्होंने खुद यूनियन का गठन किया है।

यूनियन की प्रमुख विशेषताएं

1. यूनियन के संविधान के अनुसार वर्किंग कमेटी तथा पदाधिकारियों का अधिकतम कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। कमेटी का कार्यकाल पूरा हो जाने पर गुप्त मतदान प्रणाली के तहत पदाधिकारियों एवं कमीटी मेंबर का चुनाव होगा।
2. कमेटी में पदाधिकारियों की अधिकतम संख्या 7 होगी।  अध्यक्ष , उपाध्यक्ष , महासचिव , उप महासचिव , सचिव , कोषाध्यक्ष एवं उपकोषाध्यक्ष । इसके अतिरिक्त विभिन्न विभागों से निर्वाचित होकर आए 30 वर्किंग कमेटी मेंबर होंगे। बाकि यूनियनों जैसा जंबो कमेटी बनाने से परहेज किया गया है। जो निर्वाचित होगा, वही यूनियन का नेतृत्व करेगा।

यूनियन का प्रमुख लक्ष्य

1. बोकारो स्टील प्लांट तथा इसके अधीन सभी यूनिटों में प्रतिनिधि यूनियन का चुनाव कराने के लिए मुख्य श्रमायुक्त उप मुख्य श्रमायुक्त, झारखण्ड मुख्य श्रमायुक्त, इस्पात मंत्रालय, सेल प्रबंधन से पत्राचार करना तथा अंत मे न्यायालय की शरण मे जाकर यूनियन चुनाव हेतु केस करना।
औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत सभी तरह का कमेटी काउंसिल का गठन करवाना तथा प्रबंधन मे कर्मियो की भागीदारी लेना।

2. वेज रीविजन मे की गई धांधली को इस्पात मंत्रालय के संज्ञान मे लाना अंत मे न्याय के लिए न्यायालय के शरण मे जाना। एनजेसीएस संविधान के अनुसार एमओए कर सभी तरह का एरियर, रात्रि पाली भत्ता, गैर वैधानिक लागों को लेना।

3. एनजेसीएस मे सिर्फ रिकॉगनाईज्ड यूनियन के प्रतिनिधि को शामिल करने पर सभी तरह की मुहिम चलाना। नॉमिनेटेड नेताओं को भेजने की प्रथा को बंद करवाना।

4. संयंत्र में शुन्य दुर्घटना का लक्ष्य के लिए  दोषी अधिकारियों पर कारवाई करवाना

5. भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर कारवाई करवाना।

5. बीएसएल कर्मियों के स्थानीय सुविधाओं जैसे आवास, बिजली पानी, सड़क, पार्क , जिम, क्लब ,कैंटीन, सुरक्षा उपकरण, चिकित्सा मे कर्मचारियों के हितों को पूरा करने के लिए कमेटी के माध्यम से प्रबंधन में बंटवारा कराना।

जानिए अध्यक्ष संग ये पदाधिकारी क्या बोल रहे…

कर्मियों का लगातार शोषण, 82 माह बाद भी अधूरा वेज रीविजन,  मैनेजमेंट परस्त यूनियनों के कारण हमें खुद नेतृत्व करने हेतु आगे आना पड़ा है। विडंबना है कि पब्लिक सेक्टर कर्मचारी होने के बावजूद हम सभी टाटा स्टील जैसी निजी कंपनियों के कर्मचारियों को मिल रही सुविधाओं से भी काफी पीछे हैं।
हरिओम कुमार-अध्यक्ष बीएकेएस बोकारो

अब बीएसएल कर्मियों को खुद सोचना है कि “या तो नेता बने या नेता चुने” बुढ़े तथा गैर निर्वाचित बाहरी नेताओं ने बीएसएल कर्मिओं के मुद्दे को हाईजैक कर लिया है। अब “एक यूनिट एक लोकतांत्रिक  यूनियन” की अवधारणा के तहत सभी कर्मियों को एक यूनियन के बैनर तले आना होगा।
मुश्ताक आलम, उपाध्यक्ष

अभी सभी कर्मियों का एक समान शोषण हो रहा है। चाहे वह S1 ग्रेड का कर्मचारी हो या S11 ग्रेड का या डिप्लोमा हो या आईटीआई या डिपेंडेड कर्मचारी। अब हम सभी को एक होकर अपनी समस्याओ का निवारण करना होगा।
दिलिप कुमार-महासचिव

जानिए किसको क्या पद मिला
हरिओम कुमार: अध्यक्ष
मुश्ताक आलम: उपाध्यक्ष
दिलिप कुमार: महासचिव
आशुतोष आनंद:उप महासचिव
बिरेंद्र कुमार मिश्रा: कोषाध्यक्ष
सागर कुमार सिंह: उप कोषाध्यक्ष