रेल मिल के गोल्डन रेल को क्यों काटा गया, प्रबंधन दे जवाब। मामला गरमाया। रेल-सेल के रिश्ते की निशानी बर्बाद।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल तक को शर्मसार कर दिया है। रेल-सेल के रिश्ते की निशानी को ही भिलाई स्टील प्लांट के नादान अधिकारियों की हरकत से मिटा दिया गया।
देश की पहली 78 मीटर लंबी रेल पटरी को टुकड़े में काट दिया गया है। बीएसपी के गौरव गाथा को बयां करने वाली रेल पटरी को टुकड़ों में काटने से कार्मिकों में काफी आक्रोश है।
इस रेल पटरी की ढलाई में रेल मिल के पूर्व जीएम भरत लाल और एवी कमलाकर की खास भूमिका रही। एवी कमलाकर दुर्गापुर और इस्को बर्नपुर स्टील प्लांट के सीईओ भी रहे।
बीएसपी की पूर्व मान्यता प्राप्त यूनियन सीटू के उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी ने रेल मिल के गोल्डन रेल को काट दिए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह रेल 2004 में लांग रेल प्रोजेक्ट से निकली हुई पहली रेल है, जिसकी लंबाई 78 मीटर है। इसे बड़े सम्मान के साथ लॉन्ग रेल की दर्शक दीर्घा में गोल्डन पेंट कर रखा गया था।
इसे गेट बनाने के नाम पर लगभग 20 साल बाद एक GM ने तीन जगह से कटवा दिया। इसे काटने की जरूरत क्यों पड़ी, प्रबंधन जवाब दे?
इस रेल के काटने से कर्मियों में आक्रोश
भिलाई इस्पात संयंत्र में रेल मिल बनने के बाद से 13 मीटर, 26 मीटर रेलों का उत्पादन किया जाता रहा है। लेकिन एक समय ऐसा आया कि भारतीय रेलवे ने लॉन्ग रेल की डिमांड कर दी।
इसके पश्चात रेल मिल के तत्कालीन GM भरत लाल ने इस प्रोजेक्ट को अपने कंधे पर लिया और प्रबंधन ने जो उम्मीद उनसे और प्रोजेक्ट से किए थे, उसको उन्होंने रिकॉर्ड समय में पूरा किया और उत्पादन शुरू हुआ।
इससे उत्पादन पहली रेल आज 20 साल बाद टुकड़े-टुकड़े में काट दिया गया है, जिससे कर्मियों एवं अधिकारियों में भारी आक्रोश है।
प्लांट देखने के लिए आने वाले आगंतुकों का आकर्षण का केंद्र था यह रेल
हर साल हजारों आगंतुक भिलाई स्टील प्लांट देखने आते हैं। इसमें मिल एरिया आकर्षण का केंद्र रहता है। जहां आगंतुक को रेल मिल का रोलिंग दिखाने के बाद उस पहली रेल को दिखाया जाता था, क्योंकि उस समय 13 एवं 26 मी रेल का ही उत्पादन को देखने के बाद लोगों में उत्सुकता रहती है कि इस रेल को किस तरह से गाड़ी में लोड किया जाता होगा।
इसकी हैंडलिंग कैसी होगी। इस एलआरपी की विशेषता यह भी है यहां पर भरत लाल ने रेल के इतिहास से लेकर रेल उत्पादन की पूरी प्रक्रिया भारतीय रेल का इतिहास रेल पटरी बनाने उत्पादन प्रक्रिया और उसके मापदंडों को डिस्प्ले करवाया था।
रेल है तो सेल है वाले नारे को चरितार्थ किया था लांग रेल प्रोजेक्ट ने
रेल मिल के कार्मिक बता रहे हैं कि जब इस्पात उद्योग में मंदी का दौर चला तो नारा दिया गया था रेल है तो सेल है। इस दौर में रेल मिल की उत्पादन क्षमता लगभग 4 लाख टन थी, उन्ही संसाधनों में इस मिल से 7 लाख टन प्राइम रेल का उत्पादन किया था।
इस उपलब्धि को जिस तरह से काटा गया है, उसको लेकर सीनियर अधिकारी, जो उस दौर में इस मिल से जुड़े हुए थे और आज URM में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वह भी कर्मियों से कहने लगे यह तो गलत हुआ है। हम कह नहीं सकते कम से कम आप तो बोलिए…।