- कर्मचारी पेंशन योजना 1995 का मामला।
- न्यूनतम पेंशन 7500 रुपए करने की मांग।
- इंडिया गठबंधन के पक्ष और विपक्ष में पोस्ट।
- मोदी सरकार की नीतियों पर भी पेंशनर्स नाराज।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employees Pension Scheme 1995) पर बहस छिड़ी हुई है। मोदी सरकार के पक्ष और विपक्ष के साथ अब इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों का ही पोस्टमार्टम किया जा रहा है। पेंशन आंदोलन से जुड़े सत्यनारायण हेगड़े क्या सोचते हैं। इसकी झलक उनके पोस्ट से नजर आ रही है।
उनका कहना है कि हम सभी सहमत हैं कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल पूरी तरह से भ्रष्ट हैं। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? गैर-भाजपा समूह की पार्टियाँ जिम्मेदार नहीं हैं। इसके लिए केवल मोदी+उनके सहयोगी+उनके सांसद/विधायक और समर्थक जिम्मेदार हैं।
मोदी तीसरे कार्यकाल में फंस गए, जब वे न्यूनतम 272 का बहुमत हासिल नहीं कर सके। “400 पार” तो दूर की बात है, न तो 282 और न ही 303। मोदी और उनकी पार्टी/सहयोगियों की क्या स्थिति है।
सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों/ईपीएफ पेंशनरों की पूरी तरह से उपेक्षा की है। भाजपा और उसके समर्थक/सहयोगी जरूरतमंद समूहों की देखभाल करने के लिए चिंतित नहीं हैं, लेकिन “संपन्न” लोगों के साथ बहुत दोस्ताना हैं। कोई पहली बार और दूसरी बार भी लोगों को मूर्ख बना सकता है, लेकिन तीसरी बार “नहीं”।
लोगों ने अब भाजपा समूह के वास्तविक इरादे को समझ लिया है और इसलिए हार हुई है। सरकार के स्थिर रहने की पूरी संभावना कब तक है, क्योंकि दोनों पलटी-बाबू, नीतीश और नायडू इंडिया समूह में जा सकते हैं। जब तक प्रशासन में कुछ ठोस नीति परिवर्तन नहीं किए जाते हैं, सरकार लंबे समय तक नहीं चल सकती है।
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मध्यम वर्ग, गरीबों और पेंशनभोगियों के प्रति अपने जिद्दी दृष्टिकोण को बदलना चाहिए जो आबादी का लगभग 60+% हैं। उन्हें अपनी नीतियों की समीक्षा करनी चाहिए। इंडिया गठबंधन के लिए, एनसीपी आदि जैसे कई पेंशनभोगी समर्थक हैं जो पेंशनभोगियों के बचाव में आ सकते हैं।
लेकिन हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि एनडीए समूह पूरी तरह से ईपीएफ पेंशनभोगी समूह के खिलाफ है, क्योंकि यह पीएम मोदी की ईपीएफ पेंशनभोगियों के साथ न्याय करने की प्रतिबद्धता है, लेकिन कोई सकारात्मक नहीं है। आज तक की कार्रवाई के पीछे केवल उन्हीं का कारण है। हमें उम्मीद है कि भगवान की कृपा से सब कुछ ठीक रहेगा।