- कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के तहत पेंशनभोगियों की मांग पूरी न होने से मायूसी।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन (EPS 95 Minimum Pension) को लेकर बड़ा दावा किया जा रहा है। पेंशनभोगी सी उन्नीकृष्णन का कहना है कि मोदी सरकार सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों (Govt Employee and Pensioners) के लिए 7वें और 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कर रही है। इसके अलावा उन्होंने अब सरकारी पेंशनभोगियों को 3000 रुपये की अतिरिक्त राशि देने की घोषणा की है।
वेतन आयोग ने केवल सिफारिशें की हैं। यह अनिवार्य नहीं है कि सरकार इसे लागू करे। लेकिन हमारे प्रधानमंत्री बहुत उदार हैं और उन्होंने दोनों सिफारिशों को लागू किया है।
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किसी भी तरह से न्यायिक अदालत और वह भी देश की सबसे बड़ी अदालत (SC) के आदेश का क्रियान्वयन सरकार के लिए अनिवार्य है। लेकिन आश्चर्य की बात है कि मोदी और उनकी सरकार ने EPS पेंशन को संशोधित करने के SC के आदेश को कोई महत्व नहीं दिया।
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इसके अलावा भारत के कई उच्च न्यायालयों ने भी इसी तरह के आदेश दिए हैं, जिनमें सबसे पहला केरल उच्च न्यायालय से आया है। अब 4 नवंबर को SC का आदेश 2 साल पुराना हो जाएगा। लेकिन हमारे समझदार प्रधानमंत्री भारत की सबसे बड़ी अदालत के इस आदेश के बारे में एक शब्द भी नहीं बोल रहे हैं।
सी उन्नीकृष्णन ने कहा-यह रवैया दिखाता है कि वह न केवल वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान नहीं करते बल्कि न्यायपालिका का भी अपमान करते हैं। इन सबके साथ अब आम जनता को अदालत की तरह काम करना होगा।
इसके लिए हम ईपीएस पेंशनभोगी सभी मतदाताओं से विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों से विनम्र अनुरोध करते हैं कि वे आने वाले विधानसभा चुनावों और उपचुनावों में भाजपा से बदला लें।
सी उन्नीकृष्णन ने कहा-साथ ही हम चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार से विनम्र अनुरोध करते हैं कि वे वर्तमान मोदी सरकार से समर्थन वापस लें। यह अनुरोध इसलिए किया जा रहा है क्योंकि आप दोनों द्वारा समर्थित सरकार ईपीएस पेंशनभोगियों के साथ इंसान जैसा व्यवहार नहीं कर रही है।
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