SAIL को ग्रेट प्लेस टू वर्क नहीं मानता BAKS, सर्वे में है फर्जीवाड़ा, रखिए कर्मचारियों के प्रश्न भी…

BAKS does not consider SAIL as a great place to work, put employees' questions also in the survey
फैक्ट्री एक्ट 1948 के हिसाब से सुविधा दी जानी है, परंतु बोकारो इस्पात संयंत्र में कई सुविधाओं का अभाव है।
  • ग्रेट प्लेस टू वर्क सर्वे में पारदर्शिता और कर्मचारियों से जुड़े प्रश्नों को रखे प्रबंधन।  

सूचनाजी न्यूज, बोकारो। बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ (BSL Non-Executive Employees Union) ने सेल (SAIL) को ग्रेट प्लेस टू वर्क (Great Place to Work) घोषित करने के लिए हो रहे सर्वे की प्रक्रिया में सुधार करने, पारदर्शिता रखने तथा कर्मचारियों से जुड़े प्रश्नों को स्थान देने की मांग की है।

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इसके लिए निगमित कार्यालय के अधिशासी निदेशक एच आर तथा सर्वे एजेंसी “ग्रेट प्लेस टू वर्क (Great Place to Work)” के फाउंडर डायरेक्टर को पत्र लिखा है। गौरतलब  है कि सेल प्रबंधन द्वारा 30 अक्टूबर 2024 को जारी सर्कुलर के तहत सेल कार्मिकों से ग्रेट प्लेस टू वर्क का सर्वे कराने के लिए गाईडलाइन जारी की गई थी।

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सेल में कार्यपालक अधिकारी, गैर कार्यपालक कर्मचारी तथा ठेका श्रमिक तीन समूह के कार्मिक कार्यरत हैं। तीनों समूहों का सर्विस कंडिशन, वेज रीविजन, श्रम कानून, कार्य की प्रकृती अलग-अलग है।

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सेल में कार्यरत गैर कार्यपालक कर्मचारी स्टैण्डिंग ऑर्डर के तहत शासित होते हैं। अतः उनसे जुड़े प्रत्येक निर्णय मे रिकॉगनाईज्ड यूनियनों की सहमति तथा भूमिका होती है। सेल गैर कार्यपालक कर्मचारियों के सेवा शर्तों, स्टैण्डिंग ऑर्डर 1947 के हिसाब से कार्य संचालन, फैक्ट्री एक्ट 1948 के हिसाब से सुविधा दी जानी है, परंतु बोकारो इस्पात संयंत्र में कई सुविधाओं का अभाव है।

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यूनियन द्वारा सर्वे  हेतु दिए गए सुझाव तथा प्रश्न

1 . सर्वे एजेंसी की विश्वसनियता तथा सरकार से जारी प्रमाणपत्र।

2 . टास्क फोर्स में सर्वे एजेंसी, मैनेजमेंट के अधिकारी तथा सभी यूनियनो के दो दो पदाधिकारी रखा जाए, ताकि सर्वे प्रक्रिया पूर्णतः पारदर्शी हो।

3 . सर्वे में सभी कार्मिको की भागिदारी सूनिश्चित की जाए। कुछ लोगों की राय को सभी कार्मिकों की राय नहीं बनाया जाए।

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4 . सेल गैर कार्यपालक कर्मचारियो के लिए सर्वे प्रश्नों को उनके मुद्दे के हिसाब से सेट किया जाए जो कि निम्नलिखित है…

1 . वेज रीविजन में पारदर्शिता रखी जाती है या नहीं।
2 . कर्मचारियों के वास्तविक प्रतिनिधि ही मैनेजमेंट के साथ कमेटी साझा करते है या नहीं।
कर्मचारियों को अपना प्रतिनिधि चुनने का विकल्प दिया जाता है या नहीं
3 . कारखाना अधिनियम 1946 के हिसाब से कैंटीन व्यवस्था संचालित है या नहीं।
4 . कार्यस्थल पर सभी सुरक्षा उपकरण दिए जाते है या नहीं।
5 . कर्मचारियों के रेस्ट रूम नियमानुसार बनाए गए हैं या नहीं।
6 . कर्मचारियों के आवास, वर्तमान समय के हिसाब से बने हुए है या नहीं।
7 . आवासों का अनुरक्षण सही है या नहीं।
8 . कर्मचारियों के साथ अधिकारियों का नियमानुसार व्यवहार रहता है या नहीं।
9. कर्मचारियों तथा उनके आश्रितों को नियमानुसार स्वास्थ्य व्यवस्था देना तथा व्यवहार सही है या नहीं।
10 . कर्मचारियों के बच्चो हेतु शिक्षा के लिए सब्सिडी युक्त विद्यालय है या नहीं।
11 . कर्मचारी अपने प्रबंधन से खुश है या नहीं।
12. सर्वे रिपोर्ट के आधार पर सुधार हेतु उठाए गए कदमो का अवलोकन किया गया या नहीं

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नॉर्मल प्लेस टू वर्क का भी प्रमाण नहीं मिल सकता…

बगैर कर्मचारी संतुष्टी का “ग्रेट प्लेस टू वर्क” छोड़िए , नॉर्मल प्लेस टू वर्क ” भी कंपनी घोषित नहीं हो सकती है। अधूरा वेज रीविजन, बकाया एरियर, कर्मचारियों पर किया गया अत्याचार, श्रम कानूनों का खुला उल्लंघन आदि कारणो के बाद भी कंपनी को “कंपनी को ग्रेट प्लेस टू वर्क” घोषित करना सवालो के घेरे में है।
हरिओम अध्यक्ष,बीएकेएस बोकारो

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सर्वे एजेंसी की पुरानी टीम को सर्वे कंपनी से हटा दिया गया है। उनका खुद का विवाद चल रहा है। बगैर जमीनी सच्चाई जाने ही कंपनी को ग्रेट प्लेस टू वर्क का सर्टिफिकेट देना कही से ठीक नहीं है।
आशुतोष आनंद,
उपमहासचिव बीएकेएस बोकारो

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