- इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों का रणनीतिक साझेदारी/विलय पर की चर्चा।
- सेफी चेयरमैन नरेंद्र कुमार बंछोर व अन्य पदाधिकारियों ने इस्पात मंत्री से मुद्दों पर बात की।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेफी ने मेकॉन अधिकारियों के 11 महीने के लंबित पर्क्स भुगतान, सेल में एचआरए पालिसी व कंपनी के बड़े मकानों में थर्ड पार्टी के कब्जों से मुक्त करवाने के लिए इस्पात मंत्री एचडी कुमार स्वामी से चर्चा की।
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सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर के नेतृत्व में केन्द्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी से उद्योग भवन, नई दिल्ली में भेंट की। इस बैठक में केन्द्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग राज्यमंत्री भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा भी उपस्थित थे।
इस दौरान सेफी के उपाध्यक्ष द्वय नरेन्द्र सिंह, अजय पाण्डेय, सेफी कोषाध्यक्ष पार्थ सारथी मिश्रा उपस्थित थे। जिसमें मुख्य तौर पर सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात संयंत्रों के निजीकरण के स्थान पर इसके पुर्नगठन, रणनीतिक साझेदारी/ विलय, वीआईएसएल भद्रावती का रिवाइवल, मेकॉन अधिकारियों को 11 माह के लंबित पर्क्स एरियर्स (26.11.2008 से 20.10.2009 तक), सेल में एचआरए पालिसी व सेल के बड़े मकानों में थर्ड पार्टी कब्जों से मुक्ति आदि मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की।
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1 लाख करोड़ की राशि का निवेश होगा सेल में
सेफी ने केन्द्रीय इस्पात मंत्री को अवगत कराया कि भारत सरकार की नवीन इस्पात नीति 2030 के तहत इस्पात मंत्रालय के द्वारा सेल को क्षमता विस्तार हेतु निर्देशित किया गया है। इसके अंतर्गत सेल को वर्ष 2030 तक 35 एमटी की क्षमता अर्जित करने का लक्ष्य दिया गया है।
नगरनार और आरआइएनएल का विलय सेल में करें
इस विस्तार हेतु सेल के द्वारा 1 लाख करोड़ रूपये की राशि का निवेश किया जाएगा। सेफी ने यह मांग की कि सेल के वर्तमान विस्तार के योजनाओं को ध्यान में रखते हुए इस्पात क्षेत्र के दो सार्वजनिक उपक्रमों नगरनार इस्पात संयंत्र एवं राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड जिनकी क्षमता क्रमशः 3 एमटी एवं 7 एमटी है।
अतः इन दोनों कंपनियों का सेल में रणनीतिक साझेदारी/विलय कर दिया जाए तो वर्तमान में दिए गए विस्तारीकरण के लक्ष्य को शीघ्र ही हासिल किया जा सकेगा। यह कदम जहां सेल के उत्पादन क्षमता को शीघ्र बढ़ाने में मददगार होगा।
वहीं, इन राष्ट्रीय संपत्तियों को विनिवेश से बचाया जा सकेगा और इनके संपूर्ण क्षमता का उपयोग किया जा सकेगा। इसके साथ ही इन इकाईयों में कार्यरत कार्मिकों के हितों की भी रक्षा की जा सकेगी।
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नगरनार इस्पात संयंत्र पर सेफी ने ये जानकारी दी
सेफी ने केन्द्रीय इस्पात मंत्री को अवगत कराया कि नगरनार इस्पात संयंत्र 3 एमटी की क्षमता के साथ 24000 करोड़ की लागत से अत्यंत आधुनिक तकनीक के साथ बना इस्पात संयंत्र है, जो कि कच्चे लौह अयस्क की खदानों से परिपूर्ण इकाई है।
इसे चलाने के लिए मात्र 200 अधिकारी एवं 1000 कर्मचारी उपलब्ध है, जो कि अपर्याप्त है। इन परिस्थितियों में इस संयंत्र की भी लाभार्जन क्षमता भारी रूप से प्रभावित हुई है।
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इसी प्रकार राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड 7.3 एमटी की क्षमता के साथ कुशल तकनीकी विशेषज्ञों से परिपूर्ण इकाई है, जो कि वर्तमान में कच्चे लौह अयस्क की कमी एवं ऊंची कीमतों से जूझ रहा है।
सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात उपक्रमों के अधिकारियों का अपेक्स संगठन सेफी प्रारंभ से ही सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अंधाधुंध नीजिकरण एवं विनिवेश के स्थान पर, पुर्नगठन तथा रणनीतिक समायोजन पर जोर देता रहा है।
… विनिवेश की आवश्यकता नहीं होगी
विनिवेश किये जाने वाले इन इकाईयों की क्षमता पर अगर गंभीरतापूर्वक विचार करें तो इन इकाईयों के अलग-अलग क्षमताओं तथा उपलब्ध संसाधनों को मिलाकर एक लाभकारी रणनीति बनाई जा सकती है, जिसमें इन इकाईयों को विनिवेश की आवश्यकता नहीं होगी।
इन इकाईयों के रणनीतिक विलय से जहां एक इकाई को कच्चा माल उपलब्ध हो पाएगा। वहीं, दूसरी इकाई को तकनीकी क्षमता से परिपूर्ण मानव संसाधन मिलने में सहुलियत होगी। इस प्रकार दोनों ही कंपनियां एक दूसरे की पूरक बनकर लाभार्जन करने लगेगी, जो भारत सरकार को आर्थिक संबलता प्रदान करेगा।
मेगा पीएसयू का निर्माण किया जाए
लाभार्जन की इस क्षमता को बढ़ाने हेतु आर.आई.एन.एल., नगरनार इस्पात संयंत्र आदि को विनिवेश के बजाए इनका रणनीतिक साझेदारी/विलय महारत्न कंपनी सेल के साथ कर एक मेगा पीएसयू का निर्माण किया जाए। इस प्रकार देश इस्पात क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से अग्रसर होने के साथ ही रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
11 माह के पर्क्स की राशि
11 माह के पर्क्स की राशि के शीघ्र भुगतान हेतु सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने केन्द्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री एच डी कुमारस्वामी से विस्तृत चर्चा की। उन्होंने मेकॉन अधिकारियों के 11 माह के लंबित पर्क्स एरियर्स का भुगतान करवाने का आग्रह किया।
विश्वेश्वरैया स्टील प्लांट पर भी हुई चर्चा
सेफी ने इस्पात मंत्री को अवगत कराया कि वीआईएसएल की स्थापना 1929 में भारत रत्न सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया द्वारा की गयी थी। सन 1998 में तत्तकालीन प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा के प्रयासों से वीआईएसएल का सेल में विलय हुआ था।
केन्द्र शासन द्वारा विनिवेश की प्रक्रिया वीआईएसएल में भी चालू की गयी थी। वर्तमान परिस्थितियों में वीआईएसएल का रिवाईवल हेतु निवेश की आवश्यकता होगी, क्योंकि विगत कई वर्षों से इस इकाई में कोई निवेश नहीं किया गया है। सेफी ने इस्पात मंत्रालय द्वारा ग्रीन स्टील का उत्पादन भारत में बढ़ाने हेतु प्रयासों की सराहना की तथा वीआईएसएल में ग्रीन स्टील उत्पादन हेतु निवेश की मांग की।
छत्तीसगढ़ के अधिकारियों को बाहर निकालें मकान से
सेफी चेयरमेन ने इस्पात मंत्री जी से आग्रह किया कि आज भिलाई टाउनशिप में ऐसे छत्तीसगढ़ सरकार के अधिकारी जो दुर्ग जिले में पदस्थ नहीं है, उनका अन्यंत्र स्थानांतरण हो चुका है। या वे सेवानिवृत हो चुके हैं। इसके बाद भी वे बीएसपी के बड़े मकानों पर काबिज हैं।
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इस प्रकार के कब्जे के चलते सेल अधिकारियों को अपने ग्रेड के अनुरूप बेहतर आवास प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं। अतः इन कब्जों को शीघ्रातिशीघ्र खाली करवाने हेतु इस्पात मंत्री जी से दखल देने की मांग की। जिससे बीएसपी अधिकारियों को बेहतर आवास प्राप्त हो सके।
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