- कर्मनेना अधिकारस्थ मा फलेशु कडचना…। मतलब यह है कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संघर्ष जारी रखें।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। रिजल्ट ऐसे ही नहीं आता है। आवाज उठाने और लगातार प्रयास करने से ही रिजल्ट हासिल होता है। सरकार को समझाने और मनाने के बाद ही पेंशन का मामला हल होगा। ईपीएस 95 पेंशन को लेकर भी ऐसा ही नजरिया पेंशनभोगी रख रहे हैं।
कर्मनेना अधिकारस्थ मा फलेशु कडचना…। मतलब यह है कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संघर्ष जारी रखें। हर नेता, संगठन अपने अनुयायियों के लिए कुछ हासिल करने का श्रेय चाहता है। इसीलिए मांग में होड़ लगी है।
3,000/5000/7500/ की मांग देखें 9
000/10,000 आदि।
इन मांगों के साथ कोई औचित्य नहीं मिलता, सिर्फ आंकड़े मिलते हैं।
पेंशनभोगी की राय में न्यूनतम पेंशन न्यूनतम मजदूरी पर आधारित होनी चाहिए। अगर सरकार 21,000 माह को न्यूनतम पेंशन के रूप में मान्यता दें, तो न्यूनतम पेंशन पेंशन के अधिकार के लिए आवश्यक न्यूनतम सेवा पर आधारित होनी चाहिए।
ऊपर दिए गए डेटा के आधार पर एक पेंशनर की गणना देखें।
21,000×10/70= 3000.00/माह
ये चाहते हैं कि अगर सरकार 25 वर्षों को सेवा के रूप में मान्यता दे तो पेंशन योग्य वेतन का आधा केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर पेंशन के रूप में प्राप्त करने के लिए आवश्यक है, तो न्यूनतम पेंशन होगी
21000×10/50=4250/ महीना।
तो 10 साल के लिए अधिकतम पेंशन होगी 10,500.00/माह और 35 वर्षों के लिए = 14200.00 / माह।
21000×35/50=14200.00
सरकार 21,000 न्यूनतम वेतन पेंशन योग्य वेतन के रूप में या किसी अन्य उच्च राशि को पेंशन योग्य वेतन के रूप में तय कर सकती है और तदनुसार, दूसरों के लिए पेंशन अधिक होगी।