- मॉक ड्रिल में विभाग प्रमुख एवं महाप्रबंधक (प्रोपेन स्टोरेज एवं डिस्ट्रीब्यूशन प्लांट) आरपी अहिरवार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल-भिलाई इस्पात सयंत्र (SAIL – Bhilai Steel plant) के अत्यंत खतरनाक श्रेणी में आने वाले प्रोपेन प्लांट विभाग में आपदा प्रबंधन को मजबूती प्रदान करने हेतु एक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया था। इस ड्रिल का उद्देश्य किसी भी संभावित आपदा की स्थिति में संयंत्र की तैयारियों का जायजा लेना था।
1 फरवरी को सुबह 10.30 बजे प्रोपेन प्लांट-1 में अचानक गैस का रिसाव शुरू हो गया और एक विस्फोट हुआ। जिसमें एक कर्मचारी घायल हो गया। विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए घायल कर्मचारी को प्राथमिक चिकित्सा देते हुए उसे सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इसके साथ ही, फायर ब्रिगेड और एम्बुलेंस को भी सूचित किया गया।
फायर ब्रिगेड एवं एम्बुलेंस के घटनास्थल पर पहुंचते ही घायल कर्मचारी को उपचार के लिए मेन मेडिकल पोस्ट भेजा गया और आग पर काबू पाया गया। गैस रिसाव को बंद कर सभी कर्मचारियों को सुरक्षित रूप से बाहर निकाल लिया गया।
10 मिनट के भीतर स्थिति सामान्य हो गई और विभाग का संचालन फिर से शुरू कर दिया गया। संयंत्र के कर्मचारियों और अधिकारियों ने त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करते हुए किसी भी प्रकार की जन-धन हानि को रोका। घायल कर्मचारी को भी तुरंत उपचार प्राप्त हुआ।
इस मॉक ड्रिल में विभाग प्रमुख एवं महाप्रबंधक (प्रोपेन स्टोरेज एवं डिस्ट्रीब्यूशन प्लांट) आरपी अहिरवार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने स्थिति को सामान्य करने और घायल कर्मचारी को तुरंत उपचार दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
मुख्य महाप्रबंधक (उपयोगिताएं) एके जोशी के नेतृत्व में मॉक ड्रिल की समीक्षा की गई। उन्होंने मॉक ड्रिल के सफल आयोजन के लिए सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को बधाई दी और कहा कि मॉक ड्रिल भिलाई इस्पात सयंत्र की आपदा प्रबंधन तैयारियों का एक सफल उदाहरण है। इस प्रकार की मॉक ड्रिल समय-समय पर आयोजित की जानी चाहिए ताकि किसी भी संभावित आपदा से निपटा जा सके और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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इस दुर्गम स्थिति से निपटने के लिये विभिन्न एजेंसियों के साथ साथ विभाग के सुरक्षा अधिकारी आरके चंद्रा एवं अन्य कर्मचारियों छोटे लाल, सत्या राजुलू, गौरव कुमार, अनंत किस्कू, सरोज चौरसिया, निलेश भांगे, नंदी केशवर, सूरज साहू, लोमेश, इन्द्रजीत, दिलेश्वर आदि ने भी सराहनीय योगदान दिया।
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