Employees Provident Fund Organisation: EPS 95 पेंशन पर ऐसी नाराजगी, क्या पेंशनभोगी देश के नागरिक नहीं…?

Employees Provident Fund Organisation: Such resentment on EPS 95 pension, are pensioners not citizens of the country…?
सालों के संघर्ष बाद आज न तो हायर पेंशन का मुद्दा तय हो पाया है, न ही न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी पर सरकार कोई निर्णय ले सकी है...।
  • कहीं National Register of Citizen के लिए भी अपात्र न घोषित कर दिया जाए।

सूचनाजी न्यूज, रायपुर। Employees Provident Fund Organisation: केंद्र सरकार और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organisation) पर पेंशनभोगी भड़के हुए हैं। पेंशनर का कहना है कि वर्तमान सरकार ने यह जताने की कोशिश की है कि जितने भी पुराने कानून थे,उन्हें या तो अप्रासंगिक होने से,या सुधार की जरूरत होने से,सभी को निरस्त करते हुए नए कानून बनाये जा रहे है।

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ईपीएस 95 पेंशन राष्ट्रीय संघर्ष समिति रायपुर (EPS 95 Pension National Struggle Committee Raipur) के अध्यक्ष अनिल कुमार नामदेव ने कहा-फिर चाहे वो कृषि कानून हो,श्रम कानून हो या फिर कोई अन्य कानून। जनता की भलाई और उनके हितों को ध्यान में रख कर सरकार अपनी कार्यवाही कर रही है,तो फिर क्या देश के लाखों पेंशनरों के लिए EPS 95 के नियमों में उन्हें अवगत कराएं जाने के बावजूद कोई कमी नजर नहीं आ रही है।

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लगता है सरकार इस पर हाथ लगाने से इसीलिए कतरा रही है। शायद उसमें सरकार को अपना हित ज्यादा ही नजर आ रहा हो। पेंशनरों की चिंता फिर सरकार क्यूँ करने चली…। बहुत सीधा गणित है। सब समझ गए हैं,किन्तु गिड़गिड़ाने के सिवाय हम कुछ नहीं कर सकते। ये बात सरकार भी अच्छी तरह से जानती है।

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अनिल नामदेव ने कहा-रही बात सर्वोत्तम न्यायालय की तो लोगों का विचार अब धीरे धीरे विश्वास से अविश्वास की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। शायद फैसले के अनुपालन में अति विलंब ,न्यायालय द्वारा पारित आदेश में अनुपालन की समय सीमा निर्धारित न होना,सरकार पर न्यायालय के आदेश पालन और रिपोर्ट प्रस्तुत करने निर्देश का न होना, या फिर सीधे सीधे सरकार की असीमित ताकत को ही इसका कारण माना जा रहा हो।

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बिना प्रमाण के कुछ ठीक से नहीं कहा नहीं जा सकता,पर इतना तो तय है कि पेंशनरों की स्थिति सरकार की कार्यसूची में अंतिम वरीयता क्रम में होने की कौन बात करे। उन्हें तो सूची में शायद रखा ही नहीं गया हो। कौन जाने। हो सकता है आगे चल कर इन्हें NRC (National Register of Citizen) के लिए भी अपात्र न घोषित कर दिया जाए,क्यूँकि यदि EPS 95 के पेंशनर्स देश के ही नागरिक समझे जाते होते तो सालों साल इतनी बेरुखी इतनी उपेक्षा का डँस झेलते रहने की त्रासदी हमारी नियति न बन गई होती।

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पेंशनभोगी ने कहा-क्षमा करना मित्रों दिल की भड़ास,जब्तशुदा गुबार अपनों के साथ ही साझा न करें तो किस से किया जा सकता था भला? सब जानते हैं कि सालों साल संघर्ष करते रहने के बाद भी आज तक न तो हायर पेंशन का मुद्दा तय हो पाया है, न ही न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी पर सरकार कोई निर्णय ले सकी है…।आखिर EPS95 के पेंशनरों के साथ ही ऐसा क्यूँ? क्या हम इस देश के नागरिक नहीं?

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